पीलीभीत: जिले के सामाजिक वानिकी क्षेत्र में ट्रेंकुलाइज के दौरान टाइगर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. वहीं शासन की ओर से तीन सदस्य टीम अचानक इसकी जांच के लिए पीलीभीत पहुंची है. जांच टीम के घटनास्थल पर पहुंचते ही तमाम वन अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए
दरअसल, 1 मई को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से सटे सामाजिक वानिकी क्षेत्र जरा चौकी के पास के गांव में टाइगर ने 3 ग्रामीणों पर हमला कर दिया. अभी भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम पर भी टाइगर ने हमला कर दिया था, जिसके बाद एक बार फिर से 3 मई को टाइगर वहां पर घूमता हुआ दिखाई दिया.
ट्रेंकुलाइज करने के बाद मौत पर सवाल
इसके बाद पहुंची वन विभाग की टीम ने टाइगर को ट्रेंकुलाइज करना चाहा. ट्रेंकुलाइज के दौरान टाइगर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. वहीं वन्य प्रेमी लोगों का कहना है कि ट्रंकलेस के दौरान टाइगर को बेहोश करने वाली दवा के चार गन शॉट दिए गए थे, जिससे ओवरडोज होने के चलते टाइगर की मौत हुई थी. वहीं वन विभाग के आला अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा था कि ट्रेंकुलाइज सफल हो गया था, लेकिन टाइगर के शरीर पर 3 चोट थी, जिसके चलते ट्रीटमेंट के दौरान टाइगर की मौत हो गई.
तीन सदस्यीय टीम का किया गया गठन
वहीं टाइगर की मौत होने पर शासन स्तर पर अपर प्रमुख वन संरक्षक निदेशक टाइगर प्रोजेक्ट पीके शर्मा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है. इसमें मुख्य वन संरक्षक रमेश पांडे, कानपुर जू के डॉक्टर आरके सिंह को रखा गया है.
बुधवार को यह 3 सदस्यीय टीम अचानक पीलीभीत पहुंच गई. फिलहाल यह टीम टाइगर की मौत से संबंधित सभी जानकारियां जुटा रही है. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि तीन सदस्यीय जांच टीम बुधवार को पीलीभीत पहुंची है.
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