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स्पेशल रिपोर्ट : तड़पती रही मासूम, नोचते रहे कुत्ते और फिर... - स्पेशल रिपोर्ट

पीलीभीत में कुत्तों ने 12 साल की एक बच्ची को नोच-नोचकर मार डाला. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. 12 साल की बच्ची अपने खेत से धनिया तोड़कर लाने गई थी लेकिन फिर लौट नहीं सकी. देखिए यह रिपोर्ट...

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jan 5, 2021, 10:54 PM IST

पीलीभीत : जिले के जहानाबाद के इस परिवार की ये चीखें और आंसू आपके कलेजे को चीर देंगी. कैसे थम जाएगा ये रुदन और कैसे थम सकते हैं आंसू...इनके कलेजे के टुकड़े को कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला. अब सिवाय आंसू बहाने के ये परिवार कर ही क्या सकता है. 12 साल तक जिसे अपने कलेजे से लगाए रखा था, उसे कुत्तों ने नोच डाला था. घर में जिसके होने से खुशियां चहका करती थीं और वो सामने निढाल पड़ी थी. कैसे थम जाए ये आंसू और किससे शिकायत करें. सभी तो हैं यहां...अपने परिवार वाले, पड़ोस वाले...खाकी वाले. बस नहीं है तो वो मासूम जिसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.

स्पेशल रिपोर्ट

अपने खेत से धनिया लाने गई थी मासूम

पीलीभीत के जहानाबाद की यह घटना दिल दहला देने वाली है. 12 साल की मासूम नेहा अपने खेत से धनिया तोड़ने गई थी. बस यहीं घर से कुछ दूरी पर ही तो खेत था. लेकिन तब उसे क्या पता था कि उतनी ही दूरी पर बेरहम मौत उसका इंतजार कर रही थी. धनिया तोड़कर लौटते समय रास्ते में जंगली कुत्तों ने उस पर हमला बोल दिया. मासूम नेहा कुछ समझ नहीं पाई. करीब आधा दर्जन कुत्तों के बीच वह घिर चुकी थी और फिर देखते ही देखते ही कुत्तों ने उसके जिस्म को नोचना शुरू कर दिया. बेचारी नेहा कुत्तों का सामना नहीं कर सकी और वहीं बेजान होकर गिर पड़ी. पल भर में ही सब कुछ खत्म हो गया. नेहा दुनिया छोड़कर जा चुकी थी.

कुत्तों से लड़ी लेकिन जिंदगी की जंग हार गई

लेकिन नेहा ने इतनी आसानी से हार नहीं मानी थी. उसने कुत्तों का मुकाबला किया था. आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े आए. लेकिन जंगली कुत्तों की रफ्तार और फुर्ती के सामने वो छोटे पड़ गए. बहुत देर हो चुकी थी. नेहा अब तक सदा के लिए सो चुकी थी.

नहीं बचाई जा सकी नेहा

जानकारी मिलते ही सब पहुंच गए. गांव वाले, खाकी वाले सब जमा हो गए. बस नेहा की आंखें अब नहीं खुल सकती थीं. परिजन दहाड़ मार कर रो रहे थे. पड़ोसियों की आंखें भी नम थी...और नेहा चुपचाप सो रही थी.

कुछ करिएगा जरुर साहेब...

एसपी साहेब ने कहा कि इंतजाम किया जा रहा है ताकि आगे ऐसी घटना ना हो. लेकिन क्या करें साहेब. बाप के कलेजे और मां के दिल को कौन समझाए. जिस बाप के कंधों पर कुछ बरस बाद नेहा की डोली सजती आज उसी कंधे पर उसकी अर्थी उठेगी. कुछ ऐसा कीजिए साहेब कि फिर ये जंगली कुत्ते किसी बिटिया को अपना शिकार ना बना सकें. कुछ करिएगा जरुर साहेब ताकि फिर कोई नेहा ऐसे ना सो जाए.

पीलीभीत : जिले के जहानाबाद के इस परिवार की ये चीखें और आंसू आपके कलेजे को चीर देंगी. कैसे थम जाएगा ये रुदन और कैसे थम सकते हैं आंसू...इनके कलेजे के टुकड़े को कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला. अब सिवाय आंसू बहाने के ये परिवार कर ही क्या सकता है. 12 साल तक जिसे अपने कलेजे से लगाए रखा था, उसे कुत्तों ने नोच डाला था. घर में जिसके होने से खुशियां चहका करती थीं और वो सामने निढाल पड़ी थी. कैसे थम जाए ये आंसू और किससे शिकायत करें. सभी तो हैं यहां...अपने परिवार वाले, पड़ोस वाले...खाकी वाले. बस नहीं है तो वो मासूम जिसने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया.

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अपने खेत से धनिया लाने गई थी मासूम

पीलीभीत के जहानाबाद की यह घटना दिल दहला देने वाली है. 12 साल की मासूम नेहा अपने खेत से धनिया तोड़ने गई थी. बस यहीं घर से कुछ दूरी पर ही तो खेत था. लेकिन तब उसे क्या पता था कि उतनी ही दूरी पर बेरहम मौत उसका इंतजार कर रही थी. धनिया तोड़कर लौटते समय रास्ते में जंगली कुत्तों ने उस पर हमला बोल दिया. मासूम नेहा कुछ समझ नहीं पाई. करीब आधा दर्जन कुत्तों के बीच वह घिर चुकी थी और फिर देखते ही देखते ही कुत्तों ने उसके जिस्म को नोचना शुरू कर दिया. बेचारी नेहा कुत्तों का सामना नहीं कर सकी और वहीं बेजान होकर गिर पड़ी. पल भर में ही सब कुछ खत्म हो गया. नेहा दुनिया छोड़कर जा चुकी थी.

कुत्तों से लड़ी लेकिन जिंदगी की जंग हार गई

लेकिन नेहा ने इतनी आसानी से हार नहीं मानी थी. उसने कुत्तों का मुकाबला किया था. आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े आए. लेकिन जंगली कुत्तों की रफ्तार और फुर्ती के सामने वो छोटे पड़ गए. बहुत देर हो चुकी थी. नेहा अब तक सदा के लिए सो चुकी थी.

नहीं बचाई जा सकी नेहा

जानकारी मिलते ही सब पहुंच गए. गांव वाले, खाकी वाले सब जमा हो गए. बस नेहा की आंखें अब नहीं खुल सकती थीं. परिजन दहाड़ मार कर रो रहे थे. पड़ोसियों की आंखें भी नम थी...और नेहा चुपचाप सो रही थी.

कुछ करिएगा जरुर साहेब...

एसपी साहेब ने कहा कि इंतजाम किया जा रहा है ताकि आगे ऐसी घटना ना हो. लेकिन क्या करें साहेब. बाप के कलेजे और मां के दिल को कौन समझाए. जिस बाप के कंधों पर कुछ बरस बाद नेहा की डोली सजती आज उसी कंधे पर उसकी अर्थी उठेगी. कुछ ऐसा कीजिए साहेब कि फिर ये जंगली कुत्ते किसी बिटिया को अपना शिकार ना बना सकें. कुछ करिएगा जरुर साहेब ताकि फिर कोई नेहा ऐसे ना सो जाए.

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