पीलीभीतः सांसद वरुण गांधी एक दिवसीय दौरे पर सोमवार को पीलीभीत पहुंचे. वरुण गांधी ने इस दौरान तमाम जनसभाओं को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जाति-पाति के चक्कर में न पड़ें, देशहित सर्वोपरि रखें. बोले कि मैं राजनीति में समृद्ध होने नहीं बल्कि सेवा करने के लिए आया हूं.
वरुण गांधी ने कहा कि जब मैं पहली बार सांसद बना तो मुझे 1,00,000 रुपए की सैलरी मिली. मैंने सैलरी लेने से इनकार कर दिया. उस समय देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हुआ करते थे, जब मैं उनके पास गया और मैंने कहा की सेवा के लिए सैलरी की क्या जरूरत तो मुझे डॉक्टर मनमोहन सिंह ने सुझाव दिया कि इन पैसे से उसकी मदद कर दो जिसे तुम जरूरतमंद समझते हो. तभी मेरे संज्ञान में एक किसान के आत्महत्या करने का मामला आया. किसान के आत्महत्या करने से मैं काफी आहत हुआ जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मैंने सभी जिलों में कर्ज के तले दबे और आत्महत्या करने को मजबूर किसानों की संख्या जानने के लिए कदम उठाने के लिए कहा.
मेरी पहल को राजनीति से परे समझते हुए अखिलेश यादव ने सर्वे कराकर तमाम अधिकारियों को मजबूर किसानों की लिस्ट बनाने की बात कही. इस दौरान करीब 42000 लोग ऐसे पाए गए जो कर्ज के तले दबे थे और आत्महत्या करने को मजबूर थे. ऐसे में मेरे पास कोई संगठन नहीं था फिर भी मैंने तमाम जिलों का भ्रमण कर उन लोगों से जरूरतमंद किसानों की मदद करने के लिए कहा जो उस इलाके के धनाढ्य थे. मैंने कहा कि अमीर लोगों को आगे आकर उन किसानों की मदद करनी चाहिए और उनके कर्ज को समाप्त कर देना चाहिए. मेरी पहल पर करीब 42000 किसानों का कर्जा माफ हुआ.
वहीं, सांसद वरुण गांधी ने एक स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि बच्चों का नैतिक कर्तव्य है कि माता-पिता के सपनों को साकार करें. छोटे सपने ना देखकर बड़े सपने देखने चाहिए क्योंकि बड़े सपने आदमी को जल्दी बड़ा बनाते हैं. वरुण गांधी ने कहा कि एक बार मैं अपने घर पर बैठा था इस दौरान हरियाणा के एक व्यक्ति मेरे घर आए. उनके साथ में एक बाबा जी भी थे. जब मैंने बाबाजी के बारे में पूछा तो मेरे घर आए व्यक्ति ने बताया कि यह बाबा जी बड़ा पुण्य का काम करते हैं यह नदियों के अस्तित्व को बचाए रखने का काम कर रहे हैं. कुछ साल बाद वह बाबाजी मुझे संसद में मिले, जब मैंने उनसे पूछा आप यहां क्या कर रहे हैं तो उन्होंने बताया कि मेरे कामों की प्रशंसा की गई और मुझे राज्यसभा सांसद बना दिया गया. ऐसे में वरुण गांधी ने सीख बताते हुए कहा कि जरूरी नहीं कि आपके किसी पुण्य के काम को आपका पड़ोसी, आपके इलाके के लोग अच्छा कहे. कोई अच्छा कहे ना कहे लेकिन भगवान आपको अच्छे कामों का फल जरूर देगा.
वरुण गांधी ने कहा कि जाति-पाति सिर्फ देश को बांटने का काम करते हैं. यह सिर्फ सामाजिक कुरीतियां हैं. देश हित इन सबसे काफी ऊपर है. वरुण गांधी ने कहा कि जब देश की सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देती है तो हम यह नहीं कहते कि किसी धर्म विशेष के व्यक्ति ने दुश्मन देश को जवाब दिया. जब क्रिकेट में टीम इंडिया जीतती है तो हम किसी विशेष प्रांत या समुदाय के व्यक्ति को श्रेय नहीं देते बल्कि भारत को श्रेय देते हैं. ऐसे में सभी को जाति-पाति के बंधन से ऊपर उठना चाहिए.
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