पीलीभीतः एक महीने पहले इंडो नेपाल बॉर्डर को पार कर नेपाली हाथियों का झुंड जिले के टाइगर रिजर्व की सीमा में दाखिल हुआ था. नेपाली हाथियों का यह झुंड टाइगर रिजर्व से सटे गांव में लगातार दहशत फैला रहा है. नेपाली हाथी पीलीभीत टाइगर रिजर्व से निकलकर अक्सर आस-पास के गांव में किसानों की फसलों को उजाड़ देते हैं. जिसकी वजह से किसान बहुत परेशान हैं. वहीं, रविवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व से निकलकर हाथियों का एक झुंड धनारा घाट रोड को पार करता देखा गया. सड़क को पार करते हाथियों के झुंड को देखकर राहगीर रुक गए. राहगीरों ने इस पूरे मामले का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है.
बता दें कि नेपाल की शुक्ला फेंटा सेंचुरी से निकलकर नेपाली हाथी हर साल पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा में दाखिल होते हैं. लेकिन यह पहली बार है कि नेपाली हाथी शहर के काफी करीब तक आकर वापस लौट गए. 10 दिन पहले नेपाली हाथी जिले में उत्तराखंड की तरफ रुख कर गए थे. जिसके बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के स्टाफ ने राहत की सांस ली थी. लेकिन एक बार फिर नेपाली हाथियों का रुख पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तरफ हो गया. टाइगर रिजर्व से सटे 1 दर्जन से अधिक गांव में नेपाली हाथियों ने सैकड़ों एकड़ फसल को उजाड़ कर किसानों को खून के आंसू रोने को मजबूर कर दिया है.
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पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सटे पिपरिया, संतोष, सैजना समेत कई गांव में किसानों की फसलों को नेपाली हाथियों ने रौंद कर रख दिया है. जिसके बाद मुआवजे की मांग को लेकर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के मुख्यालय पर भी ग्रामीणों ने धरना-प्रदर्शन किया. ग्रामीणों का कहना है कि नेपाली हाथी अक्सर आबादी के काफी करीब आ जाते हैं. वहीं जब वन महकमे को पूरे मामले की खबर दी जाती है तो वह समय से नहीं पहुंचता. ग्रामीण खुद ही आधे अधूरे संसाधनों के साथ शोर शराबा कर हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ते हैं. वहीं, अब नेपाली हाथियों द्वारा नुकसान की गई फसलों के नुकसान के आकलन के लिए राजस्व विभाग की टीम लगाई गई हैं. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल की माने तो राजस्व विभाग की टीम से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर विभागीय नियमों के अनुसार पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा.
बता दें कि वर्ष 2019 कीयह नेपाली हाथी उत्पात मचाने के लिए रामपुर तक पहुंच गए थे. जहां बहेड़ी इलाके के एक गांव में उत्पात मचाते हुए खेत पर काम कर रहे किसानों पर हमला बोल दिया था. इस हमले में एक किसान की हाथियों के पैर तले कुचले जाने से मौके पर ही मौत हो गई थी.