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CAA PROTEST: मुजफ्फरनगर में केंद्रीय राज्य मंत्री ने मदरसों की भूमिका पर उठाए सवाल

मुजफ्फरनगर में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने बीते शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान मदरसों के बच्चों के शामिल होने पर सवाल उठाये. उन्होंने पूरे मामले की जांच की मांग की.

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Published : Dec 27, 2019, 8:15 PM IST

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मुजफ्फरनगर में केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान ने मदरसों की भूमिका पर उठाए सवाल.

मुजफ्फरनगर: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बीती 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसक घटना को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने मदरसों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने मदरसा संचालकों की जांच करने की बात कही है. उनका कहना है कि प्रदर्शन में मदरसे के नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हुए और किसके कहने पर शामिल हुए, इसकी जांच होनी चाहिए.

केंद्रीय राज्य मंत्री ने प्रदर्शन में बच्चों के शामिल होने पर उठाए सवाल.

'प्रदर्शन में बच्चों का शामिल होना चिंता का विषय'
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बीते शुक्रवार को प्रदर्शन में छोटे बच्चे शामिल हुए,जो चिंता का विषय है. यदि प्रदर्शन बड़े लोग करते तो ठीक था, सबको अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन वह प्रदर्शन हिंसक नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि प्रदर्शन में 12 से 18 साल के बच्चे बड़ी संख्या में थे. कुछ बच्चे मदरसे के भी गिरफ्तार हुए. यह हम सबके लिए चिंता का विषय है.

'बच्चों के हाथ में पत्थर अच्छा संकेत नहीं'
डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि मदरसे से 12 से 18 साल तक के बच्चे बाहर क्यों निकले. किसने उन्हें बाहर निकाला, किसके कहने पर वह शहर की सड़कों पर आए. सड़कों पर बच्चों के हाथ में अगर पत्थर हैं तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि करगिल के सांसद का उनके पास फोन आया. उन्होंने कहा कि करगिल का एक बच्चा, जो मुजफ्फरनगर के मदरसे में पढ़ता है, वह कैसे पथराव में शामिल हुआ.

ये भी पढ़ें: जयंत चौधरी ने पुलिस को दिया चकमा, गुपचुप तरीके से पहुंचे मुजफ्फरनगर

'मदरसों को कौन कंट्रोल करता है'

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदर्शन में 50 हजार लोग शामिल हुए. राजनीतिक दल कहते हैं, यह प्रदर्शन उन्होंने नहीं किया, धार्मिक संगठन भी प्रदर्शन से इंकार करते हैं तो फिर किसके कहने पर यह सब हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि मदरसों को कौन कंट्रोल करता है. निर्दोष लोगों का कहीं से भी उत्पीड़न नहीं होना चाहिए और विशेष रूप से बच्चों के मामले में. जो नाबालिग बच्चे हैं, उनके साथ विनम्रता से पेश आया जाए.

मुजफ्फरनगर: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बीती 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसक घटना को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने मदरसों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने मदरसा संचालकों की जांच करने की बात कही है. उनका कहना है कि प्रदर्शन में मदरसे के नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हुए और किसके कहने पर शामिल हुए, इसकी जांच होनी चाहिए.

केंद्रीय राज्य मंत्री ने प्रदर्शन में बच्चों के शामिल होने पर उठाए सवाल.

'प्रदर्शन में बच्चों का शामिल होना चिंता का विषय'
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बीते शुक्रवार को प्रदर्शन में छोटे बच्चे शामिल हुए,जो चिंता का विषय है. यदि प्रदर्शन बड़े लोग करते तो ठीक था, सबको अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन वह प्रदर्शन हिंसक नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि प्रदर्शन में 12 से 18 साल के बच्चे बड़ी संख्या में थे. कुछ बच्चे मदरसे के भी गिरफ्तार हुए. यह हम सबके लिए चिंता का विषय है.

'बच्चों के हाथ में पत्थर अच्छा संकेत नहीं'
डॉ. संजीव बालियान ने कहा कि मदरसे से 12 से 18 साल तक के बच्चे बाहर क्यों निकले. किसने उन्हें बाहर निकाला, किसके कहने पर वह शहर की सड़कों पर आए. सड़कों पर बच्चों के हाथ में अगर पत्थर हैं तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि करगिल के सांसद का उनके पास फोन आया. उन्होंने कहा कि करगिल का एक बच्चा, जो मुजफ्फरनगर के मदरसे में पढ़ता है, वह कैसे पथराव में शामिल हुआ.

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'मदरसों को कौन कंट्रोल करता है'

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदर्शन में 50 हजार लोग शामिल हुए. राजनीतिक दल कहते हैं, यह प्रदर्शन उन्होंने नहीं किया, धार्मिक संगठन भी प्रदर्शन से इंकार करते हैं तो फिर किसके कहने पर यह सब हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि मदरसों को कौन कंट्रोल करता है. निर्दोष लोगों का कहीं से भी उत्पीड़न नहीं होना चाहिए और विशेष रूप से बच्चों के मामले में. जो नाबालिग बच्चे हैं, उनके साथ विनम्रता से पेश आया जाए.

Intro:मुजफ्फरनगर: केंद्रीय मंत्री ने मदरसों की भूमिका पर उठाए सवाल

केंद्रीय राज्य मंत्री डा संजीव बालियान ने बीते शुक्रवार को प्रदर्शन के दौरान मदरसे के बच्चों के शामिल होने पर सवाल उठाया है, उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि किसके कहने पर वह प्रदर्शन में शामिल हुए।

मुज़फ्फरनगर। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुज़फ्फरनगर में बीती 20 दिसम्बर को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसक घटना को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान मदरसों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने मदरसा संचालकों की जांच करने की बात कही है। बालियान का कहना है कि प्रदर्शन में मदरसे के नाबालिग बच्चे कैसे शामिल हुए, किसके कहने पर शामिल हुए इसकी जांच होनी चाहिए।

Body:केंद्रीय राज्यमंत्री डा. बालियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है। बीते शुक्रवार को प्रदर्शन में छोटे बच्चे शामिल हुए। यदि प्रदर्शन बड़े लोग करते तो ठीक था, सबको अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन वह प्रदर्शन हिंसक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि प्रदर्शन में 12 से 18 साल के बच्चे बड़ी संख्या में थे, कुछ बच्चे मदरसे के भी गिरफ्तार हुए। यह हम सबके लिए चिंता का विषय है। मदरसे से 12 से 18 साल तक के बच्चे बाहर क्यों निकले। किसने उन्हें बाहर निकाला, किसके कहने पर वह शहर की सड़कों पर आए। सड़कों पर बच्चों के हाथ में अगर पत्थर हैं तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कारगिल के सांसद का उनके पास फोन आया था। उन्होंने बताया था कारगिल का एक बच्चा जो मुजफ्फरनगर के मदरसे में पढ़ता है वह कैसे पथराव में शामिल हुआ। प्रदर्शन में 50 हजार लोग शामिल हुए, राजनीतिक दल कहते हैं उन्होंने नहीं किया, धार्मिक संगठन भी प्रदर्शन से इंकार करते हैं तो फिर किसके कहने पर यह सब हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए।

Conclusion:डा. संजीव बालियान ने कहा कि एक बार शांति हो जाने के बाद इसकी पूरी तरह से जांच होनी चाहिए कि किसने मदरसे के बच्चों को बाहर प्रदर्शन में भेजा। मदरसों को कौन कंट्रोल करता है इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों का कहीं से भी उत्पीड़न नहीं होना चाहिए और विशेष रूप से बच्चों के मामले में। उन्होंने प्रशासन से कहा है कि जो नाबालिग बच्चे हैं उनके साथ विनम्रता से पेश आया जाए।

बाइट— डा. संजीव बालियान (केंद्रीय राज्यमंत्री)

अजय चौहान
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