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मुजफ्फरनगर: पीर खुशहाल के किले पर चला प्रशासन का बुलडोजर - muzaffarnagar police

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित पीर खुशहाल के किले पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलाया गया है. बता दें कि इस जमीन को लीज पर लिया गया था, जिसका समय अब समाप्त हो चुका है. इसको लेकर दो बार नोटिस भी जारी की जा चुकी है, लेकिन जमीन खाली न करने पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई है.

जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने की कार्रवाई.
जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने की कार्रवाई.
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Published : Nov 14, 2020, 1:14 PM IST

मुजफ्फरनगर: जिले के भोपा थाना क्षेत्र के बिहारगढ़ गांव में स्थित पीर खुशहाल के किले पर प्रशासन पर का बुलडोजर चला है. आरोप है कि कई वर्षों से वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर किले का निर्माण किया गया था. बता दें कि पाकिस्तान से आये पीर खुशहाल नाम के व्यक्ति ने 1964 में वन विभाग की करीब 100 बीघा जमीन को लीज पर लिया था. पीर खुशहाल ने उसी जमीन पर मस्जिद और एक किले का निर्माण किया था. इसमे 400 से ज्यादा कमरे बनाये गए थे.

जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने की कार्रवाई.

तीन बेगमों के साथ रहता था पीर खुशहाल

बता दें कि यह मुजफ्फरनगर का वह इलाका है, जो महाभारत काल की मान्यताओं से जुड़ा है. यहां सैकड़ों श्रद्धालु हर साल पिण्डदान और धार्मिक अनुष्ठान के लिए आते हैं. शुकतीर्थ के बराबर में ही वन्य अभ्यारण का बहुत बड़ा इलाका है, जो हरिद्वार से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जनपदों को जोड़ता है. इसी इलाके में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां काला बादशाह की कई वर्षों से सत्ता चली आ रही है. काला बादशाह को ही लोग पीर खुशहाल के नाम से जानते हैं. पीर खुशहाल ने 1964 में अपनी सल्तनत की शुरुआत की थी. इसके बाद उसने अपनी सल्तनत को राजनीतिक नेताओं में भी बढ़ाया. उसका वर्चव बढ़ता चला गया. 1979 में पीर खुशहाल ने अपना भारतीय मूल निवास प्रमाणपत्र बनवाया, जिसे तत्कालीन जिलाधिकारी ने जारी किया था. पीर खुशहाल ने तीन महिलाओं से शादी की, जिसमे एक पाकिस्तान से है और एक अफगानिस्तान की महिला है.

पीर खुशहाल की ड्योढ़ी पर आती थीं बड़ी हस्तियां

पीर खुशहाल की ख्याति इतनी बढ़ी की राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारी भी उसकी चौखट पर हाजरी लगाने आते थे. उसके पास कई मुस्लिम देश के लोगों का आना-जाना लगा रहता था. यहीं से पीर खुशहाल ने तब्लीगी जमात और इस्लाम के प्रति लोगों को धार्मिक सन्देश देना शुरू किया. विदेशी लोगों का रात में आना और उसी रात में वापिस जाना भी संदेह में लाता था.

पीर खुशहाल व उसकी पत्नी हुईं गिरफ्तार

मार्च सन 2009 में सीबीआई ने पीर खुशहाल और उसकी पत्नी को गाजियाबाद से फेमा के उलंघन के तहत गिरफ्तार किया था. स्थानीय लोग बताते हैं कि अक्सर महीने में 3 से 4 ट्रक डीजल की कहां खपत होती थी, इसका किसी को पता नहीं. गैस से भरे सिलेंडरों की गाड़ियां भी ऐसे ही यहां आती थीं.

7 अप्रैल 2009 को मायावती के कार्यकाल में विशेष सचिव कुंवर फतेह बहादुर और डीजीपी कर्मवीर सिंह मुजफ्फरनगर आए थे. यहां पत्रकारों की ओर से पीर खुशहाल के बारे में पूछने पर तत्कालीन सीडीओ रविन्द्र गोड ने कहा था कि SP सिटी राजीव मल्होत्रा को मौके पर भेज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन सपा और बसपा की सरकार में पीर खुशहाल के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ कागजों पर की गई.

पीर खुशहाल के किले पर चला जिला प्रसाशन का बुलडोजर

भाजपा के कार्यकाल में एक बार फिर बुधवार देर शाम को भारी पुलिस फोर्स बिहारगढ़ किले पर पहुंची और पीर खुशहाल के साम्राज्य को नेस्तनाबूत कर दिया. अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया कि डीएफओ ने अवगत कराया गया था कि बिहारगढ़ का प्रकरण है. इसमे वन विभाग जमीन की लीज खत्म हो गई थी. माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय भी वन विभाग के फेवर में आया था. इसके अलावा हाईकोर्ट और शासन भी इसकी समीक्षा करता है. इनको दो बार नोटिस भी भेजा गया है. नोटिस के बाद भी इसको खाली नहीं कराया गया. वन विभाग ने वहां पर अपना बोर्ड भी लगाया था.

उन्होंने बताया कि डीएफओ और पुलिस प्रशासन की टीम ने वहां पर कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई है. यह जमीन लगभग 100 बीघा के आस-पास बताई जा रही है. इसमे कुछ निर्माण किया हुआ है, जिसे घ्वस्त किया जा रहा है. यह जमीन शासन की तरफ से 30 साल पहले लीज पर दी गई थी. इसकी लीज दो बार समाप्त भी हो चुकी थी. डीएफओ साहब ने बताया था कि लास्ट आदेश हाईकोर्ट का था. उसके बाद दो नोटिस भी जारी कए गए थे.

मुजफ्फरनगर: जिले के भोपा थाना क्षेत्र के बिहारगढ़ गांव में स्थित पीर खुशहाल के किले पर प्रशासन पर का बुलडोजर चला है. आरोप है कि कई वर्षों से वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर किले का निर्माण किया गया था. बता दें कि पाकिस्तान से आये पीर खुशहाल नाम के व्यक्ति ने 1964 में वन विभाग की करीब 100 बीघा जमीन को लीज पर लिया था. पीर खुशहाल ने उसी जमीन पर मस्जिद और एक किले का निर्माण किया था. इसमे 400 से ज्यादा कमरे बनाये गए थे.

जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने की कार्रवाई.

तीन बेगमों के साथ रहता था पीर खुशहाल

बता दें कि यह मुजफ्फरनगर का वह इलाका है, जो महाभारत काल की मान्यताओं से जुड़ा है. यहां सैकड़ों श्रद्धालु हर साल पिण्डदान और धार्मिक अनुष्ठान के लिए आते हैं. शुकतीर्थ के बराबर में ही वन्य अभ्यारण का बहुत बड़ा इलाका है, जो हरिद्वार से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जनपदों को जोड़ता है. इसी इलाके में एक क्षेत्र ऐसा भी है जहां काला बादशाह की कई वर्षों से सत्ता चली आ रही है. काला बादशाह को ही लोग पीर खुशहाल के नाम से जानते हैं. पीर खुशहाल ने 1964 में अपनी सल्तनत की शुरुआत की थी. इसके बाद उसने अपनी सल्तनत को राजनीतिक नेताओं में भी बढ़ाया. उसका वर्चव बढ़ता चला गया. 1979 में पीर खुशहाल ने अपना भारतीय मूल निवास प्रमाणपत्र बनवाया, जिसे तत्कालीन जिलाधिकारी ने जारी किया था. पीर खुशहाल ने तीन महिलाओं से शादी की, जिसमे एक पाकिस्तान से है और एक अफगानिस्तान की महिला है.

पीर खुशहाल की ड्योढ़ी पर आती थीं बड़ी हस्तियां

पीर खुशहाल की ख्याति इतनी बढ़ी की राजनेताओं के साथ-साथ अधिकारी भी उसकी चौखट पर हाजरी लगाने आते थे. उसके पास कई मुस्लिम देश के लोगों का आना-जाना लगा रहता था. यहीं से पीर खुशहाल ने तब्लीगी जमात और इस्लाम के प्रति लोगों को धार्मिक सन्देश देना शुरू किया. विदेशी लोगों का रात में आना और उसी रात में वापिस जाना भी संदेह में लाता था.

पीर खुशहाल व उसकी पत्नी हुईं गिरफ्तार

मार्च सन 2009 में सीबीआई ने पीर खुशहाल और उसकी पत्नी को गाजियाबाद से फेमा के उलंघन के तहत गिरफ्तार किया था. स्थानीय लोग बताते हैं कि अक्सर महीने में 3 से 4 ट्रक डीजल की कहां खपत होती थी, इसका किसी को पता नहीं. गैस से भरे सिलेंडरों की गाड़ियां भी ऐसे ही यहां आती थीं.

7 अप्रैल 2009 को मायावती के कार्यकाल में विशेष सचिव कुंवर फतेह बहादुर और डीजीपी कर्मवीर सिंह मुजफ्फरनगर आए थे. यहां पत्रकारों की ओर से पीर खुशहाल के बारे में पूछने पर तत्कालीन सीडीओ रविन्द्र गोड ने कहा था कि SP सिटी राजीव मल्होत्रा को मौके पर भेज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन सपा और बसपा की सरकार में पीर खुशहाल के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ कागजों पर की गई.

पीर खुशहाल के किले पर चला जिला प्रसाशन का बुलडोजर

भाजपा के कार्यकाल में एक बार फिर बुधवार देर शाम को भारी पुलिस फोर्स बिहारगढ़ किले पर पहुंची और पीर खुशहाल के साम्राज्य को नेस्तनाबूत कर दिया. अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया कि डीएफओ ने अवगत कराया गया था कि बिहारगढ़ का प्रकरण है. इसमे वन विभाग जमीन की लीज खत्म हो गई थी. माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय भी वन विभाग के फेवर में आया था. इसके अलावा हाईकोर्ट और शासन भी इसकी समीक्षा करता है. इनको दो बार नोटिस भी भेजा गया है. नोटिस के बाद भी इसको खाली नहीं कराया गया. वन विभाग ने वहां पर अपना बोर्ड भी लगाया था.

उन्होंने बताया कि डीएफओ और पुलिस प्रशासन की टीम ने वहां पर कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई है. यह जमीन लगभग 100 बीघा के आस-पास बताई जा रही है. इसमे कुछ निर्माण किया हुआ है, जिसे घ्वस्त किया जा रहा है. यह जमीन शासन की तरफ से 30 साल पहले लीज पर दी गई थी. इसकी लीज दो बार समाप्त भी हो चुकी थी. डीएफओ साहब ने बताया था कि लास्ट आदेश हाईकोर्ट का था. उसके बाद दो नोटिस भी जारी कए गए थे.

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