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मुजफ्फरनगर फैमिली कोर्ट का आदेश, पति को गुजारा भत्ता दे पत्नी

मुजफ्फरनगर जिले के खतौनी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत फैमिली कोर्ट ने एक चौंकाने वाला फैसला दिया है. पति द्वारा दायर वाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पत्नी से पति को प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है.

गुजारा भत्ता देने का आदेश कोर्ट ने दिया
गुजारा भत्ता देने का आदेश कोर्ट ने दिया
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Published : Oct 24, 2020, 10:39 AM IST

Updated : Oct 26, 2020, 9:40 AM IST

मुजफ्फरनगर: जिले के खतौनी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत एक फैमिली कोर्ट ने पत्नी से पति को गुजारा भत्ता देने को कहा है. किशोरी लाल चाय बेचने का काम करता है और सात साल पहले गुजारा भत्ता के लिए मुजफ्फरनगर के फैमिली कोर्ट में वाद दायर किया था. जिसमें कोर्ट ने किशोरी लाल की दलीलों को मान लिया है.

गुजारा भत्ता देने का आदेश कोर्ट ने दिया
बता दें, जिले के किशोरी लाल सोहंकार का 30 साल पहले कानपुर की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था. शादी के कुछ समय बाद दोनो में विवाद हो गया था. लगभग 10 साल से किशोरी लाल और मुन्नी देवी अलग अलग रह रहे थे. उस समय पत्नी मुन्नी देवी कानपुर में स्थित इंडियन आर्मी में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थी. कुछ समय पूर्व पत्नी मुन्नी देवी रिटायर्ड हो गई थी. जिसके बाद मुन्नी देवी अपनी 12 हजार की पेंशन में अपना गुजर बसर करती आ रही है.

कोर्ट ने दिया आदेश
किशोरी लाल भी खतौली में रहकर चाय बेचने का काम करता है, लेकिन अपनी दयनीय हालत के चलते किशोरी लाल ने सात साल पूर्व मुजफ्फरनगर की फैमली कोर्ट में गुजारे भत्ता के किये एक वाद दायर किया था. जिसमें फैमली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पत्नी मुन्नी देवी को पति किशोरी लाल सोहंकार को 2 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया. कोर्ट के इस फैसले से किशोरी लाल सोहंकार पूरी तरह संतुष्ठ नहीं है. किशोरी लाल का कहना है कि कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. लगभग 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया लोगों से कर्जा लेकर केस लड़ा है. लॉकडाउन में भी इधर उधर से मांग कर मैंने अपना इलाज कराया है.

किशोरी लाल का कहना है कि 20 साल से विवाद चल रहा है. 2013 से मामला कोर्ट में है अब इसमें 2000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता आदेशित हुआ है. जबकि 9 साल से जो मैं केस लड़ रहा हूं उसका कोई जिक्र नहीं है. कायदा यह है कि 1/3 गुजारा भत्ता मिलना चाहिए था जबकि मुझे 2000 प्रतिमाह मिला है. उसकी पेंशन 12हजार प्रतिमाह से अधिक है.

किशोरी लाल सोहंकार के अधिवक्ता बालेश कुमार तायल ने बताया कि यह मामला फैमिली कोर्ट में पेंडिंग था. दोनों पार्टियों के बीच इसमें जो हुआ भी है किशोरीलाल उसने सेक्शन 9 में प्रेस्टीज ऑफ कंज्यूमर राइट्स का मुकदमा दायर किया जो उसका डिग्री हो गया था. उसके बाद भी उसने कोर्ट के आदेश को नहीं माना. बतौर पत्नी वह उसके पास आकर नहीं रही. विपक्षी पार्टी की कुल इनकम 12हजार महीना है. वादी किशोरी लाल चाय की दुकान भी करता है तो इसमें 2हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता आदेश की तारीख से तय हुआ है. दोनों का तलाक नहीं हुआ है जबकि इसमें कोर्ट पहले दोनों को साथ रहने का आदेश कर चुकी है.

मुजफ्फरनगर: जिले के खतौनी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत एक फैमिली कोर्ट ने पत्नी से पति को गुजारा भत्ता देने को कहा है. किशोरी लाल चाय बेचने का काम करता है और सात साल पहले गुजारा भत्ता के लिए मुजफ्फरनगर के फैमिली कोर्ट में वाद दायर किया था. जिसमें कोर्ट ने किशोरी लाल की दलीलों को मान लिया है.

गुजारा भत्ता देने का आदेश कोर्ट ने दिया
बता दें, जिले के किशोरी लाल सोहंकार का 30 साल पहले कानपुर की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था. शादी के कुछ समय बाद दोनो में विवाद हो गया था. लगभग 10 साल से किशोरी लाल और मुन्नी देवी अलग अलग रह रहे थे. उस समय पत्नी मुन्नी देवी कानपुर में स्थित इंडियन आर्मी में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थी. कुछ समय पूर्व पत्नी मुन्नी देवी रिटायर्ड हो गई थी. जिसके बाद मुन्नी देवी अपनी 12 हजार की पेंशन में अपना गुजर बसर करती आ रही है.

कोर्ट ने दिया आदेश
किशोरी लाल भी खतौली में रहकर चाय बेचने का काम करता है, लेकिन अपनी दयनीय हालत के चलते किशोरी लाल ने सात साल पूर्व मुजफ्फरनगर की फैमली कोर्ट में गुजारे भत्ता के किये एक वाद दायर किया था. जिसमें फैमली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पत्नी मुन्नी देवी को पति किशोरी लाल सोहंकार को 2 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया. कोर्ट के इस फैसले से किशोरी लाल सोहंकार पूरी तरह संतुष्ठ नहीं है. किशोरी लाल का कहना है कि कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. लगभग 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया लोगों से कर्जा लेकर केस लड़ा है. लॉकडाउन में भी इधर उधर से मांग कर मैंने अपना इलाज कराया है.

किशोरी लाल का कहना है कि 20 साल से विवाद चल रहा है. 2013 से मामला कोर्ट में है अब इसमें 2000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता आदेशित हुआ है. जबकि 9 साल से जो मैं केस लड़ रहा हूं उसका कोई जिक्र नहीं है. कायदा यह है कि 1/3 गुजारा भत्ता मिलना चाहिए था जबकि मुझे 2000 प्रतिमाह मिला है. उसकी पेंशन 12हजार प्रतिमाह से अधिक है.

किशोरी लाल सोहंकार के अधिवक्ता बालेश कुमार तायल ने बताया कि यह मामला फैमिली कोर्ट में पेंडिंग था. दोनों पार्टियों के बीच इसमें जो हुआ भी है किशोरीलाल उसने सेक्शन 9 में प्रेस्टीज ऑफ कंज्यूमर राइट्स का मुकदमा दायर किया जो उसका डिग्री हो गया था. उसके बाद भी उसने कोर्ट के आदेश को नहीं माना. बतौर पत्नी वह उसके पास आकर नहीं रही. विपक्षी पार्टी की कुल इनकम 12हजार महीना है. वादी किशोरी लाल चाय की दुकान भी करता है तो इसमें 2हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता आदेश की तारीख से तय हुआ है. दोनों का तलाक नहीं हुआ है जबकि इसमें कोर्ट पहले दोनों को साथ रहने का आदेश कर चुकी है.

Last Updated : Oct 26, 2020, 9:40 AM IST
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