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मुजफ्फरनगर का कुख्यात बदमाश सुशील मूंछ भगोड़ा करार, लंबे समय से कोर्ट में नहीं हो रहा था हाजिर - सुशील मूंछ

उत्तर प्रदेश के टॉप 10 बदमाशों की सूची में शामिल सुशील मूंछ (Sushil Mooch) का नाम लखनऊ की अदालत के अंदर हुई संजीव जीवा की हत्या के मामले में भी आया था. लंबे समय से कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2023, 1:28 PM IST

मुजफ्फरनगर: प्रदेश के माफिया की सूची में शामिल कुख्यात सुशील मूंछ को गैंगस्टर के 25 साल पुराने मुकदमे में मुजफ्फरनगर की अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया. अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर 5 गैंगस्टर कोर्ट के अंतर्गत कार्यवाही में तहसील अधिकारी अशोक कुमार ने सुनवाई की.

विशेष लोक अभियोजक ने बताया 1998 में सुशील मूंछ, दीपक शर्मा और मनोज पवार के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमे में सुशील मूंछ के बयान होने थे. वह समय पर हाजिर नहीं हुआ. इस पर अदालत ने पहले गैर जमानती वारंट जारी किया. उधर, लखनऊ में पुलिस सुरक्षा मे संजीव जीवा की हत्या के मामले में भी सुशील मूंछ का नाम आया है. उसके अदालत में हाजिर नहीं होने पर मूंछ के जमाती रहे कृष्ण पाल और जितेंद्र सिंह पर कोर्ट ने एक लाख रुपए का अर्थ दंड लगाया था. दोनों जमानतियों ने अदालत में राशि जमा कर दी थी, जिसके बाद दोनों के खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी.

कुख्यात सुशील मूंछ प्रदेश की टॉप 10 सूची में शामिल है. सुशील मूंछ के रिश्तेदार रहे अनिल राठी और कई अन्य नाम उसके साथ जुड़े हैं. प्रशासन की ओर से मूंछ की बेनामी संपत्ति भी जप्त की गई थी. लंबे समय से कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर अदालत ने सुशील मूंछ को भगोड़ा घोषित कर दिया. उधर दूसरी ओर इसी अदालत में गैंगस्टर मामले में तीन दोस्तों को दो-दो साल की सजा और अर्थदंड की भी सजा सुनाई है. गैंगस्टर कोर्ट के तीन दोषियों को अलग-अलग मुकदमे में अदालत ने दो-दो साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया है.

पीठासीन अधिकारी अशोक कुमार ने फैसला सुनाते हुए बताया कि 31 अक्टूबर 2014 में थाना अध्यक्ष चमन सिंह चावड़ा ने लूटपाट की वारदातों के बाद गैंगस्टर की कार्रवाई की थी. इसके अलावा दूसरे प्रकरण में शराब तस्करी व अन्य मामलों में पटियाला के चमारों निवासी गुरु सेवक के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. अदालत ने दोषी आरिफ सुहेल और दूसरे मुकदमे में आरोपी गुरु सेवक को दो-दो वर्ष के कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है.

ये भी पढ़ेंः 'हर-हर शंभू' फेम फरमानी नाज के पिता और भाई गिरफ्तार, चाकू से गोदकर युवक को मार डाला था

मुजफ्फरनगर: प्रदेश के माफिया की सूची में शामिल कुख्यात सुशील मूंछ को गैंगस्टर के 25 साल पुराने मुकदमे में मुजफ्फरनगर की अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया. अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर 5 गैंगस्टर कोर्ट के अंतर्गत कार्यवाही में तहसील अधिकारी अशोक कुमार ने सुनवाई की.

विशेष लोक अभियोजक ने बताया 1998 में सुशील मूंछ, दीपक शर्मा और मनोज पवार के खिलाफ पुलिस ने गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमे में सुशील मूंछ के बयान होने थे. वह समय पर हाजिर नहीं हुआ. इस पर अदालत ने पहले गैर जमानती वारंट जारी किया. उधर, लखनऊ में पुलिस सुरक्षा मे संजीव जीवा की हत्या के मामले में भी सुशील मूंछ का नाम आया है. उसके अदालत में हाजिर नहीं होने पर मूंछ के जमाती रहे कृष्ण पाल और जितेंद्र सिंह पर कोर्ट ने एक लाख रुपए का अर्थ दंड लगाया था. दोनों जमानतियों ने अदालत में राशि जमा कर दी थी, जिसके बाद दोनों के खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गई थी.

कुख्यात सुशील मूंछ प्रदेश की टॉप 10 सूची में शामिल है. सुशील मूंछ के रिश्तेदार रहे अनिल राठी और कई अन्य नाम उसके साथ जुड़े हैं. प्रशासन की ओर से मूंछ की बेनामी संपत्ति भी जप्त की गई थी. लंबे समय से कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर अदालत ने सुशील मूंछ को भगोड़ा घोषित कर दिया. उधर दूसरी ओर इसी अदालत में गैंगस्टर मामले में तीन दोस्तों को दो-दो साल की सजा और अर्थदंड की भी सजा सुनाई है. गैंगस्टर कोर्ट के तीन दोषियों को अलग-अलग मुकदमे में अदालत ने दो-दो साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया है.

पीठासीन अधिकारी अशोक कुमार ने फैसला सुनाते हुए बताया कि 31 अक्टूबर 2014 में थाना अध्यक्ष चमन सिंह चावड़ा ने लूटपाट की वारदातों के बाद गैंगस्टर की कार्रवाई की थी. इसके अलावा दूसरे प्रकरण में शराब तस्करी व अन्य मामलों में पटियाला के चमारों निवासी गुरु सेवक के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई की गई थी. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. अदालत ने दोषी आरिफ सुहेल और दूसरे मुकदमे में आरोपी गुरु सेवक को दो-दो वर्ष के कारावास और पांच हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है.

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