मुजफ्फरनगर: नागरिकता संशोधन बिल के पास होते ही इसका असर देखने को मिल रहा है. जहां लोग इस कानून का चौतरफा विरोध कर रहे है तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस कानून के समर्थन में हैं. जनपद में कुछ लोग ऐसे हैं, जिनके जीवन में ये पल दीवाली और होली से कम नहीं हैं. ये वह लोग हैं, जो 44 साल पहले पाकिस्तान छोड़ मेहमान बनकर हिंदुस्तान चले आए थे. ये लोग उसी समय से भारत की नागरिकता के लिए आस लगाए थे. अब नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद ये लोग प्रधानमंत्री और अमित शाह को धन्यवाद करते नजर आ रहे हैं.
44 साल पहले पाकिस्तान छोड़कर आए थे भारत
मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन्स थाना क्षेत्र में गंगनहर कालोनी है, जहां CAA को लेकर दीवाली और होली जैसा माहौल है. यहां के लोगो में इस कानून को लेकर इतनी खुशी इसलिये है, क्योंकि 44 साल पहले पाकिस्तान छोड़कर भारत में आए अमरनाथ के परिवार को आज भारत देश की नागरिकता मिली है. अमरनाथ मल्होत्रा अपने परिवार को लेकर पाकिस्तान से यहां आ तो गए, पर उन्हें यहां कि नागरिकता और उनके अधिकार नहीं मिल पाए. आज नागरिक संशोधन बिल पास होने के बाद उन्हें भारत का नागरिक होने को प्रमाण पत्र मिला तो उनके चेहरे के खुशी देखने के काबिल थी.
अमरनाथ के घर होली और दिवाली का माहौल
अमरनाथ के इस खुशी का हिस्सा बनने के लिये उत्तर प्रदेश के स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल और विजय कश्यप भी पहुंचे. इन्होंने उन्हें नागरिकता मिलने पर बधाई दी. वहीं अमरनाथ ने केन्द्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार और उनके मंत्रियो को आभार जताया. अमरनाथ की मानें तो वह इस पल को अपने ऐतिहासिक पल के रूप में मानते हैं.
1947 में हुआ था हिंदुस्तान-पाकिस्तान का बटवारा
अमरनाथ मल्होत्रा बताते हैं कि 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान हिंदुस्तान से अलग हो गया और ये लोग वहीं पाकिस्तान में रह गए. उनके कुछ रिश्तेदार बंटवारे के समय भारत आ गए, लेकिन उनका पाकिस्तान में रहना अब मुश्किल होने लगा था. वजह थी वहां की जनता और सरकार उन पर धर्म बदलने का दबाव बना रही थी. साथ ही वहां उनकी बहू-बेटियां भी सुरक्षित नहीं थीं.
हद तो तब हो गई जब अमरनाथ मल्होत्रा के परिवार की महिलाओं को अगवा कर लिया गया और वर्ष 1979 में वह अपने चचरे भाइ हिम्मत सिंह, शरण सिंह और जोगेंद्र के साथ पाकितान के पासपोर्ट पर ट्रेन से अटारी बॉर्डर होते हुए हिंदुस्तान आ गए. यहां अपने रिश्तेदार के घर में पनाह ले ली. तभी से अमरनाथ और उनके भाई भारत की नागरिकता पाने के लिए दिल्ली के चक्कर काट रहे थे. अब जाकर उन्हें भारत की नागरिकता मिली है, जिसे सुनकर अमरनाथ और उनके परिवार में खुशी की लहर है.
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