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Rampur Tiraha Incident: 22 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध सीबीआई कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किए

कोर्ट ने चर्चित रामपुर तिराहा कांड में समर्थकों पर फायरिंग व महिलाओं पर अत्याचार के मामले में तत्कालीन थाना सिविल लाइन प्रभारी राधामोहन द्विवेदी सहित 22 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोर्ट में पेश न होने पर गैर जमानती वारंट जारी किए है.

Rampur Tiraha Incident
Rampur Tiraha Incident
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Published : Feb 23, 2023, 10:34 PM IST

मुजफ्फरनगर:जनपद के छपार थाना क्षेत्र में गत 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड से दिल्ली जा रहे पृथक उत्तराखड समर्थकों पर पुलिस फायरिंग व महिलाओं पर अत्याचार के मामले में तत्कालीन थाना सिविल लाइन प्रभारी राधामोहन द्विवेदी सहित बाईस पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विशेष अदालत सीबीआई ने कोर्ट में पेश न होने पर गैर जमानती वारंट जारी किए है.

मुजफ्फरनगर का चर्चित रामपुर तिराहा कांड में हाईकोर्ट ने सुनवाई दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी. हाईकोर्ट के आदेश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट से मुकदमे की फाइल अब एडीजे नंबर सात की कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था. 29 साल पुराने इस रामपुर तिराहा कांड के मामले की सुनवाई की अब नंबर सात अपर जिला जज शक्ति सिंह की अदालत सुनवाई चल रही है. साल 1994 में पृथक उत्तराखंड गठित करने की मांग को लेकर पहाड़ों में आंदोलन चरम पर पहुंच रहा था.

मांग को लेकर उत्तराखंड वासियों ने देहरादून से होते हुए दिल्ली के लिए कूच किया था. दिल्ली के लिए बसों और गाड़ियों में सवार होकर उस समय निकले सैकड़ों उत्तराखंड वासी महिला और पुरुषों को मुजफ्फरनगर में छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था. दो अक्टूबर 1994 को आंदोलन उग्र होने पर रामपुर तिराहा पर बहुत बड़ा हंगामा भी हो गया था. मामले में आरोप था कि पुलिस ने दिल्ली जाने के लिए निकले उत्तराखंड वासियों पर रामपुर तिराहा क्षेत्र में गोली चला दी थी. इस हत्याकांड मामले में सात लोगों की जान भी चली गई थी और कई लोग घायल भी हुए थे. और तो और महिलाओं से रेप का आरोप भी लगाया गया था.

उत्तराखंड आंदोलन समिति की गुहार पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराई थी. इस कांड में दो दर्जन से अधिक पुलिसवालों पर रेप, डकैती, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे मामले दर्ज हुए. साथ ही सीबीआई के पास सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुई. इसमें सीबीआई ने मामले की जांच कर तत्कालीन एसपी सरदार आरपी सिंह और डीएम अनंत कुमार सिंह सहित कई अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

गुरुवार को एडीजे शक्ति सिंह ने गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तेईस आरोपियों के विरुद्ध एनबीडब्ल्यू जारी किए हैं. जिसमें कोर्ट ने राधा मोहन द्विवेदी, कृपाल सिंह, महेश चंद शर्मा, नेत्रपाल सिंह, सुमेर सिंह, देवेंद्र शर्मा, सतीश चंद शर्मा, तमकीन अहमद, मिलाप सिंह, सुरेंद्र सिंह, बृजेश कुमार, कंवरपाल, प्रबल प्रकाश, राकेश कुमार, वीरेंद्र कुमार, संजीव कुमार, राकेश कुमार, कुशल पाल सिंह, राज्यपाल सिंह, विरेंद्र प्रताप और विजय पाल सिंह तथा नरेश कुमार त्यागी की हाजिरी माफी निरस्त कर एनबीडब्ल्यू जारी किया है. जबकि आरोपी विक्रम सिंह के कई वर्ष से तारीख पर नहीं जाने से कुर्की का आदेश दिया है.

आपको यह भी बता दे कि साल 2003 में फायरिंग के मामले में तत्कालीन डीएम को भी नामजद किया गया और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी को सात साल जबकि दो अन्य पुलिकर्मियों को दो-दो साल की सजा सुनाई. वहीं, 2007 में तत्कालीन एसपी को भी सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया. फिर मामला लंबित रहा और रामपुर तिराहा कांड को लंबा वक्त बीत गया और राजनीतिक तौर पर पार्टियां एक दूसरे दलों पर आरोप लगाती रही.

यह भी पढ़ें:मुजफ्फरनगर: रामपुर तिराहा कांड के शहीदों को उत्तराखंड के सीएम की श्रद्धांजलि

मुजफ्फरनगर:जनपद के छपार थाना क्षेत्र में गत 2 अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड से दिल्ली जा रहे पृथक उत्तराखड समर्थकों पर पुलिस फायरिंग व महिलाओं पर अत्याचार के मामले में तत्कालीन थाना सिविल लाइन प्रभारी राधामोहन द्विवेदी सहित बाईस पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विशेष अदालत सीबीआई ने कोर्ट में पेश न होने पर गैर जमानती वारंट जारी किए है.

मुजफ्फरनगर का चर्चित रामपुर तिराहा कांड में हाईकोर्ट ने सुनवाई दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर कर दी थी. हाईकोर्ट के आदेश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट से मुकदमे की फाइल अब एडीजे नंबर सात की कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था. 29 साल पुराने इस रामपुर तिराहा कांड के मामले की सुनवाई की अब नंबर सात अपर जिला जज शक्ति सिंह की अदालत सुनवाई चल रही है. साल 1994 में पृथक उत्तराखंड गठित करने की मांग को लेकर पहाड़ों में आंदोलन चरम पर पहुंच रहा था.

मांग को लेकर उत्तराखंड वासियों ने देहरादून से होते हुए दिल्ली के लिए कूच किया था. दिल्ली के लिए बसों और गाड़ियों में सवार होकर उस समय निकले सैकड़ों उत्तराखंड वासी महिला और पुरुषों को मुजफ्फरनगर में छपार थाना क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था. दो अक्टूबर 1994 को आंदोलन उग्र होने पर रामपुर तिराहा पर बहुत बड़ा हंगामा भी हो गया था. मामले में आरोप था कि पुलिस ने दिल्ली जाने के लिए निकले उत्तराखंड वासियों पर रामपुर तिराहा क्षेत्र में गोली चला दी थी. इस हत्याकांड मामले में सात लोगों की जान भी चली गई थी और कई लोग घायल भी हुए थे. और तो और महिलाओं से रेप का आरोप भी लगाया गया था.

उत्तराखंड आंदोलन समिति की गुहार पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराई थी. इस कांड में दो दर्जन से अधिक पुलिसवालों पर रेप, डकैती, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे मामले दर्ज हुए. साथ ही सीबीआई के पास सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुई. इसमें सीबीआई ने मामले की जांच कर तत्कालीन एसपी सरदार आरपी सिंह और डीएम अनंत कुमार सिंह सहित कई अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

गुरुवार को एडीजे शक्ति सिंह ने गलत तथ्य प्रस्तुत करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तेईस आरोपियों के विरुद्ध एनबीडब्ल्यू जारी किए हैं. जिसमें कोर्ट ने राधा मोहन द्विवेदी, कृपाल सिंह, महेश चंद शर्मा, नेत्रपाल सिंह, सुमेर सिंह, देवेंद्र शर्मा, सतीश चंद शर्मा, तमकीन अहमद, मिलाप सिंह, सुरेंद्र सिंह, बृजेश कुमार, कंवरपाल, प्रबल प्रकाश, राकेश कुमार, वीरेंद्र कुमार, संजीव कुमार, राकेश कुमार, कुशल पाल सिंह, राज्यपाल सिंह, विरेंद्र प्रताप और विजय पाल सिंह तथा नरेश कुमार त्यागी की हाजिरी माफी निरस्त कर एनबीडब्ल्यू जारी किया है. जबकि आरोपी विक्रम सिंह के कई वर्ष से तारीख पर नहीं जाने से कुर्की का आदेश दिया है.

आपको यह भी बता दे कि साल 2003 में फायरिंग के मामले में तत्कालीन डीएम को भी नामजद किया गया और उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक पुलिसकर्मी को सात साल जबकि दो अन्य पुलिकर्मियों को दो-दो साल की सजा सुनाई. वहीं, 2007 में तत्कालीन एसपी को भी सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया. फिर मामला लंबित रहा और रामपुर तिराहा कांड को लंबा वक्त बीत गया और राजनीतिक तौर पर पार्टियां एक दूसरे दलों पर आरोप लगाती रही.

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