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कोरोना वायरस ने तोड़ी कारोबारियों की कमर

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Published : Aug 14, 2020, 2:50 PM IST

कोरोना वायरस की वजह से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इसके साथ ही न जाने कितने लोग बेरोजगार हो गए, न जाने कितने छोटे कारोबारियों का कारोबार बर्बाद हो गया. कोरोना का असर होटल कारोबार पर भी पड़ा है.

कोरोना महामारी का दंश झेल रहे कारोबार
कोरोना महामारी का दंश झेल रहे कारोबार

मुजफ्फरनगर : कोरोना महामारी के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने होटल व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है. मंदी में भी प्रॉफिटेबल बिजनेस माने जाने वाले रेस्ट्रॉन की हालत खराब है. हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग और कई सारे नियम कानून के साथ रेस्तरां खोलने की अनुमति मिल गई है. लेकिन इसके बावजूद यह संकट से जूझ रहा है.

कोरोना महामारी का दंश झेल रहे कारोबार

जिले के एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी पर भी कोरोना का कहर बरपा है. गुड़ खांड़सारी मंडी के गोदामों में करोड़ों रुपये के माल से भरे तेल, चावल, गेंहू, किराना व्यवसाय के सभी होलसेल के बड़े-बड़े कारोबारी हैं जिनका कारोबार कोरोना महामारी के चलते ठप पड़ा है.

एशिया की सबसे बड़ी मंडी पर पड़ा प्रभाव


गुड़ मंडी में स्थित होलसेल के ये बड़े व्यापारी अपने ग्राहकों का इंतजार करते व्यवसाई का कहना है कि लॉकडाउन से पहले काम अच्छा चलता था, लेकिन कोरोना के कारण जब से शादी ब्याह जैसे आयोजन बंद हुए हैं, होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, बैंक्वेट हॉल, बंद पड़े हैं. किराना का सामान जाना भी बंद हो गया है. होलसेल किराना व्यापारी संजय बताते हैं कि जहां पहले जिन होटलों में पचास हजार रुपये हफ्ते का सामान जा रहा था उस होटल में पांच हजार रुपये का सामान भी नहीं जा रहा.

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश व दुनिया में लॉकडाउन के कारण होटल और रेस्तरां व्यवसाय बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है. इसका असर यहां पर काम करने वाले लोगों पर भी पड़ा है. होटल के कुक से लेकर वेटर तक, सफाई कर्मचारी तक बेरोजगार हो चुके हैं.



बंद होने के कगार पर हैं रेस्तरां


जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 100 से अधिक सुसज्जित छोटे बड़े ढाबे हैं जो की हरिद्धार, ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी को जाने वाले यात्रियों यहां रुककर खाना खाते थे. लेकिन आज वो भी लॉकडाउन का दंश झेलते नजर आ रहे हैं. ढाबों की खली पड़ी कुर्सियां इस बात की गवाही दे रही हैं. जिले के बाइपास पर स्थित मशहूर ढाबा व्यवसायी गौरव गुप्ता का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है व्यापार धरातल पर आ चुका है. क्योंकि टूरिस्ट प्लेस, धार्मिक स्थल भी बंद हैं. जिसके कारण काम नहीं चल रहा और न ही लोग बहार निकल रहे हैं. सरकार के दिशा-निर्देश पर भी काम किया जा रहा है. हमारा मुख्य रूप से टूरिस्ट का ही काम है. अधिकतर लोग बिजनेस बंद होने की वजह से बाहर नहीं निकल रहे हैं.



बैंक्वेट कारोबार बुरी तरह प्रभावित


मुजफ्फरनगर में लगभग 100 बैंक्वेट हॉल है. जिसमें लगभग 10,000 लोगों को रोजी-रोटी जुड़ी हुई है वो सभी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. जिसपर भी कोरोना का असर पड़ा है. वहीं बैंक्वेट हॉल के स्वामी विकास बालियान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित बैंक्वेट हॉल व्यवसाय है क्योंकि एक सीजन में लगभग 100 से ज्यादा प्रोग्राम या समारोह होते हैं और इन्हीं प्रोग्रामों के चलते 100 लोगों को रोजगार मिलता है. चाहे वह पंडित हो, इलेक्ट्रिशियन , हलवाई, घोड़ाबग्गी वाला हो सभी को रोजगार मिलता है ये सभी प्रभावित हुए हैं.

उनका कहना है कि स्टाफ को सैलरी देनी ही पड़ेगी जबकि आय का श्रोत कहीं से भी दिखाई नहीं दे रहा है. कुछ बैंक्वेट हॉल बंद होने की कगार पर हैं क्योंकि सीजन के समय जिन पार्टियों ने एडवांस पैसा बुकिंग में पैसा दे रखा है, वह वापस मांग रहे हैं और प्रतिमाह लाखों रुपये की सैलरी कर्मचारियों को देनी पड़ती है.



वहीं एशिया की सबसे बड़ी गुड मंडी खांड़सारी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि लॉकडाउन लगने के बाद व्यापारी बर्बादी की कगार पर हैं. सरकार से हमारी एक शिकायत ये भी है कि सरकार ने लॉकडाउन में गरीबों को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन मध्यमवर्गीय व्यापारी जो सरकार को टैक्स इकठ्ठा करके देता है. उनके लिए कोई योजना सरकार ने नहीं दी है. आगे अभी मंदी का दौर है प्रधानमंत्री जी की स्वदेशी योजना का हम सभी स्वागत करते है. FDI में निवेश का हम सभी व्यापारी पहले से ही विरोध करते आ रहे हैं.

मुजफ्फरनगर : कोरोना महामारी के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने होटल व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है. मंदी में भी प्रॉफिटेबल बिजनेस माने जाने वाले रेस्ट्रॉन की हालत खराब है. हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग और कई सारे नियम कानून के साथ रेस्तरां खोलने की अनुमति मिल गई है. लेकिन इसके बावजूद यह संकट से जूझ रहा है.

कोरोना महामारी का दंश झेल रहे कारोबार

जिले के एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी पर भी कोरोना का कहर बरपा है. गुड़ खांड़सारी मंडी के गोदामों में करोड़ों रुपये के माल से भरे तेल, चावल, गेंहू, किराना व्यवसाय के सभी होलसेल के बड़े-बड़े कारोबारी हैं जिनका कारोबार कोरोना महामारी के चलते ठप पड़ा है.

एशिया की सबसे बड़ी मंडी पर पड़ा प्रभाव


गुड़ मंडी में स्थित होलसेल के ये बड़े व्यापारी अपने ग्राहकों का इंतजार करते व्यवसाई का कहना है कि लॉकडाउन से पहले काम अच्छा चलता था, लेकिन कोरोना के कारण जब से शादी ब्याह जैसे आयोजन बंद हुए हैं, होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, बैंक्वेट हॉल, बंद पड़े हैं. किराना का सामान जाना भी बंद हो गया है. होलसेल किराना व्यापारी संजय बताते हैं कि जहां पहले जिन होटलों में पचास हजार रुपये हफ्ते का सामान जा रहा था उस होटल में पांच हजार रुपये का सामान भी नहीं जा रहा.

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देश व दुनिया में लॉकडाउन के कारण होटल और रेस्तरां व्यवसाय बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है. इसका असर यहां पर काम करने वाले लोगों पर भी पड़ा है. होटल के कुक से लेकर वेटर तक, सफाई कर्मचारी तक बेरोजगार हो चुके हैं.



बंद होने के कगार पर हैं रेस्तरां


जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर लगभग 100 से अधिक सुसज्जित छोटे बड़े ढाबे हैं जो की हरिद्धार, ऋषिकेश, देहरादून और मसूरी को जाने वाले यात्रियों यहां रुककर खाना खाते थे. लेकिन आज वो भी लॉकडाउन का दंश झेलते नजर आ रहे हैं. ढाबों की खली पड़ी कुर्सियां इस बात की गवाही दे रही हैं. जिले के बाइपास पर स्थित मशहूर ढाबा व्यवसायी गौरव गुप्ता का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है व्यापार धरातल पर आ चुका है. क्योंकि टूरिस्ट प्लेस, धार्मिक स्थल भी बंद हैं. जिसके कारण काम नहीं चल रहा और न ही लोग बहार निकल रहे हैं. सरकार के दिशा-निर्देश पर भी काम किया जा रहा है. हमारा मुख्य रूप से टूरिस्ट का ही काम है. अधिकतर लोग बिजनेस बंद होने की वजह से बाहर नहीं निकल रहे हैं.



बैंक्वेट कारोबार बुरी तरह प्रभावित


मुजफ्फरनगर में लगभग 100 बैंक्वेट हॉल है. जिसमें लगभग 10,000 लोगों को रोजी-रोटी जुड़ी हुई है वो सभी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. जिसपर भी कोरोना का असर पड़ा है. वहीं बैंक्वेट हॉल के स्वामी विकास बालियान का कहना है कि लॉकडाउन के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित बैंक्वेट हॉल व्यवसाय है क्योंकि एक सीजन में लगभग 100 से ज्यादा प्रोग्राम या समारोह होते हैं और इन्हीं प्रोग्रामों के चलते 100 लोगों को रोजगार मिलता है. चाहे वह पंडित हो, इलेक्ट्रिशियन , हलवाई, घोड़ाबग्गी वाला हो सभी को रोजगार मिलता है ये सभी प्रभावित हुए हैं.

उनका कहना है कि स्टाफ को सैलरी देनी ही पड़ेगी जबकि आय का श्रोत कहीं से भी दिखाई नहीं दे रहा है. कुछ बैंक्वेट हॉल बंद होने की कगार पर हैं क्योंकि सीजन के समय जिन पार्टियों ने एडवांस पैसा बुकिंग में पैसा दे रखा है, वह वापस मांग रहे हैं और प्रतिमाह लाखों रुपये की सैलरी कर्मचारियों को देनी पड़ती है.



वहीं एशिया की सबसे बड़ी गुड मंडी खांड़सारी एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय मित्तल का कहना है कि लॉकडाउन लगने के बाद व्यापारी बर्बादी की कगार पर हैं. सरकार से हमारी एक शिकायत ये भी है कि सरकार ने लॉकडाउन में गरीबों को कुछ न कुछ दिया है, लेकिन मध्यमवर्गीय व्यापारी जो सरकार को टैक्स इकठ्ठा करके देता है. उनके लिए कोई योजना सरकार ने नहीं दी है. आगे अभी मंदी का दौर है प्रधानमंत्री जी की स्वदेशी योजना का हम सभी स्वागत करते है. FDI में निवेश का हम सभी व्यापारी पहले से ही विरोध करते आ रहे हैं.

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