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मुज़फ्फरनगर की ग्राम पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्त

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 25 दिसंबर को सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो गया था. इसके बाद से नई ग्राम पंचायत के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूर्ण होने पर जिले की सभी 594 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है.

जिले की सभी 594 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है.
जिले की सभी 594 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है.
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Published : Dec 31, 2020, 2:13 PM IST

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 25 दिसंबर को सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो गया था. इसके बाद से नई ग्राम पंचायत के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूर्ण होने पर जिले की सभी 594 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है.

जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायतों के सामान्य निर्वाचन-2021 तैयारियां शुरू कर दी है. ग्राम पंचायतों की प्रथम बैठक के लिए नियत की जाने वाली तिथि तक सभी ब्लॉकवार ग्राम पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्त किए गए हैं. जिलाधिकारी ने विकास खण्डों की समस्त ग्राम पंचायतों के लिए उस विकास खण्ड के सम्मुख अंकित सहायक विकास अधिकारी को, प्रधान और समितियों के समस्त शक्तियों, कृत्यों और कर्तव्यों के निवर्हन के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं.

जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने बताया कि अपर मुख्य सचिव पंचायती राज अनुभाग-3 उप्र शासन के कार्यालय द्वारा सूचित किया गया है कि सामान्य पंचायत निर्वाचन 2015 के पश्चात गठित ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसम्बर, 2020 को समाप्त हो चुका है. उन्होंने बताया कि संयुक्त प्राप्त पंचायत राज अधिनियम-1947 की धारा 12 की उपधारा-3 में यह प्रावधान है. ग्राम पंचायत जब तक कि उसे धारा-95 की उपधारा-1 के खण्ड-च के अधीन पहले कि विघटित न कर दिया जाये. अपनी प्रथम बैठक के लिए नियत तिथि से 5 वर्ष तक की अवधि तक बनी रहेगी. इस प्रकार इस धारा की उपधारा-4 में यह प्रावधान है कि ग्राम पंचायत के किसी सदस्य का कार्यकाल जब तक कि इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन अन्यथा समाप्त न कर दिया जाये, ग्राम पंचायत के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जायेगा.

इस अधिनियम की धारा-12 की उपधारा-3-क में यह भी प्रावधान है कि इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों में किसी बात के होते हुए भी जहां अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण या लोकहित में किसी ग्राम पंचायत का संघटन करने के लिए उसके कार्यकाल के अवसान के पूर्व निर्वाचन कराना साध्य नहीं है. वहां राज्य सरकार या उसके इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी आदेश द्धारा प्रशासनिक समिति, जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्यों के रूप में निर्वाचित किये जाने के लिए ऐसी संख्या में जैसी वह उचित समझे अर्ह व्यक्ति होंगे या प्रशासक नियुक्त कर सकता है. इसके साथ ही प्रशासनिक समिति के सदस्य या प्रशासक छह माह से अधिक ऐसी अवधि के लिए जैसी कि इस आदेश में विर्निदिष्ट की जाये पद धारण करेगा और ग्राम पंचायत उसके प्रधान और समितियों के समस्त शक्तियां, कृत्य और कर्तव्य, यथास्थिति, ऐसी प्रशासनिक समिति या प्रशासक में निहित होंगे और उनके द्धारा उनका प्रयोग, संपादन और निर्वहन किया जायेगा.

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 25 दिसंबर को सभी ग्राम पंचायतों के प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो गया था. इसके बाद से नई ग्राम पंचायत के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूर्ण होने पर जिले की सभी 594 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी है.

जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायतों के सामान्य निर्वाचन-2021 तैयारियां शुरू कर दी है. ग्राम पंचायतों की प्रथम बैठक के लिए नियत की जाने वाली तिथि तक सभी ब्लॉकवार ग्राम पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्त किए गए हैं. जिलाधिकारी ने विकास खण्डों की समस्त ग्राम पंचायतों के लिए उस विकास खण्ड के सम्मुख अंकित सहायक विकास अधिकारी को, प्रधान और समितियों के समस्त शक्तियों, कृत्यों और कर्तव्यों के निवर्हन के लिए प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं.

जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. ने बताया कि अपर मुख्य सचिव पंचायती राज अनुभाग-3 उप्र शासन के कार्यालय द्वारा सूचित किया गया है कि सामान्य पंचायत निर्वाचन 2015 के पश्चात गठित ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसम्बर, 2020 को समाप्त हो चुका है. उन्होंने बताया कि संयुक्त प्राप्त पंचायत राज अधिनियम-1947 की धारा 12 की उपधारा-3 में यह प्रावधान है. ग्राम पंचायत जब तक कि उसे धारा-95 की उपधारा-1 के खण्ड-च के अधीन पहले कि विघटित न कर दिया जाये. अपनी प्रथम बैठक के लिए नियत तिथि से 5 वर्ष तक की अवधि तक बनी रहेगी. इस प्रकार इस धारा की उपधारा-4 में यह प्रावधान है कि ग्राम पंचायत के किसी सदस्य का कार्यकाल जब तक कि इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन अन्यथा समाप्त न कर दिया जाये, ग्राम पंचायत के कार्यकाल के साथ समाप्त हो जायेगा.

इस अधिनियम की धारा-12 की उपधारा-3-क में यह भी प्रावधान है कि इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों में किसी बात के होते हुए भी जहां अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण या लोकहित में किसी ग्राम पंचायत का संघटन करने के लिए उसके कार्यकाल के अवसान के पूर्व निर्वाचन कराना साध्य नहीं है. वहां राज्य सरकार या उसके इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी आदेश द्धारा प्रशासनिक समिति, जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्यों के रूप में निर्वाचित किये जाने के लिए ऐसी संख्या में जैसी वह उचित समझे अर्ह व्यक्ति होंगे या प्रशासक नियुक्त कर सकता है. इसके साथ ही प्रशासनिक समिति के सदस्य या प्रशासक छह माह से अधिक ऐसी अवधि के लिए जैसी कि इस आदेश में विर्निदिष्ट की जाये पद धारण करेगा और ग्राम पंचायत उसके प्रधान और समितियों के समस्त शक्तियां, कृत्य और कर्तव्य, यथास्थिति, ऐसी प्रशासनिक समिति या प्रशासक में निहित होंगे और उनके द्धारा उनका प्रयोग, संपादन और निर्वहन किया जायेगा.

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