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चंदौली: तहसीलदार ने जारी किया 107 प्रधानमंत्री आवास गिराने का नोटिस - चंदौली जिलाधिकारी नवनीत सिंह

उत्तर प्रदेश के चंदौली में नगर पंचायत चकिया के 107 परिवारों को सत्यापन के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता सूची में नाम डाला गया था. लेकिन अब तहसीलदार द्वारा इन 107 परिवारों को अपात्रता का नोटिस दिया गया है.

तहसीलदार ने जारी किया 107 प्रधानमंत्री आवास गिराने का नोटिस
तहसीलदार ने जारी किया 107 प्रधानमंत्री आवास गिराने का नोटिस
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Published : Oct 1, 2020, 2:12 AM IST

चंदौली: चकिया तहसीलदार द्वारा मिले अपात्रता के नोटिस की वजह से नगर पंचायत चकिया के 107 परिवारों को एक बार फिर से पक्के मकान से झोपड़ी में जाना पड़ेगा. मामला नगर पंचायत चकिया के उन 107 परिवारों का है, जिनका बकायदा डोर टू डोर सत्यापन के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता सूची में नाम डाला गया था. लेकिन अब जब तहसीलदार द्वारा इन 107 परिवारों को अपात्रता का नोटिस दिया गया है तब एक बार फिर इनके सामने बेघर होने की समस्या खड़ी हो गई है. अब पीड़ित परिवार मंगलवार को आयोजित तहसील दिवस में उपजिलाधिकारी के समक्ष अपनी समस्या रखेंगे.

दरअसल बीते दिनों जिला स्तरीय तहसील दिवस में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल से यह शिकायत की गई थी कि नगर में बड़ी संख्या में लोगों ने सरकारी भूमि पर प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कराया है. इस पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने इस संबंध में उप जिलाधिकारी को जांच का निर्देश दिया. उप जिलाधिकारी के निर्देश पर लेखपालों द्वारा किये गये जांच में नगर के 107 परिवारों का आवास सरकारी भूमि पर पाया गया. जिन्हें तहसीलदार फूलचंद यादव द्वारा नोटिस देते हुए एक सप्ताह का समय दिया गया है.

अगर इन एक सप्ताह में ये मकान खाली नहीं करते हैं, तो प्रशासन को साथ लेकर इनके आवास को ढहा दिया जायेगा. तहसील प्रशासन की तरफ से दिए गए नोटिस और जारी की गई सूची के बाद लाभार्थियों में हड़कंप की स्थिति है. उन्हें एक बार फिर झोपड़ी में रहने को मजबूर होना पड़ेगा.

राजस्व विभाग के अनुसार नगर पंचायत में जिन लोगों को सरकारी भूमि पर आवास बनवाने पर नोटिस प्राप्त हुआ है. उनमें पहाड़ भूमि, चन्द्रावती नाला भूमि, श्रेणी 4 की सरकारी भूमि, नवीन परती, सरकारी बाग भूमि, लाठ भूमि, बंजर भूमि, नगर पंचायत की सीमा के बाहर व गढ़ही में आवास निर्माण कराने का दोषी पाया गया.

इन सब के बीच सवाल ये है कि लेखपाल ने इन लोगों को बकायदा जांच पड़ताल के बाद प्रधानमंत्री आवास के लिए पात्र ठहराया. वहीं अब तहसीलदार एक बार फिर उन्हें किस आधार पर अपात्र ठहरा सकता है. आवास देने से पूर्व डूडा कर्मी, लेखपाल और नगर पंचायत कर्मी की संयुक्त जांच होती है. डोर टू डोर सत्यापन होता है, फिर गलत जमीन पर आवास बना कैसे?

चंदौली: चकिया तहसीलदार द्वारा मिले अपात्रता के नोटिस की वजह से नगर पंचायत चकिया के 107 परिवारों को एक बार फिर से पक्के मकान से झोपड़ी में जाना पड़ेगा. मामला नगर पंचायत चकिया के उन 107 परिवारों का है, जिनका बकायदा डोर टू डोर सत्यापन के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना की पात्रता सूची में नाम डाला गया था. लेकिन अब जब तहसीलदार द्वारा इन 107 परिवारों को अपात्रता का नोटिस दिया गया है तब एक बार फिर इनके सामने बेघर होने की समस्या खड़ी हो गई है. अब पीड़ित परिवार मंगलवार को आयोजित तहसील दिवस में उपजिलाधिकारी के समक्ष अपनी समस्या रखेंगे.

दरअसल बीते दिनों जिला स्तरीय तहसील दिवस में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल से यह शिकायत की गई थी कि नगर में बड़ी संख्या में लोगों ने सरकारी भूमि पर प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कराया है. इस पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने इस संबंध में उप जिलाधिकारी को जांच का निर्देश दिया. उप जिलाधिकारी के निर्देश पर लेखपालों द्वारा किये गये जांच में नगर के 107 परिवारों का आवास सरकारी भूमि पर पाया गया. जिन्हें तहसीलदार फूलचंद यादव द्वारा नोटिस देते हुए एक सप्ताह का समय दिया गया है.

अगर इन एक सप्ताह में ये मकान खाली नहीं करते हैं, तो प्रशासन को साथ लेकर इनके आवास को ढहा दिया जायेगा. तहसील प्रशासन की तरफ से दिए गए नोटिस और जारी की गई सूची के बाद लाभार्थियों में हड़कंप की स्थिति है. उन्हें एक बार फिर झोपड़ी में रहने को मजबूर होना पड़ेगा.

राजस्व विभाग के अनुसार नगर पंचायत में जिन लोगों को सरकारी भूमि पर आवास बनवाने पर नोटिस प्राप्त हुआ है. उनमें पहाड़ भूमि, चन्द्रावती नाला भूमि, श्रेणी 4 की सरकारी भूमि, नवीन परती, सरकारी बाग भूमि, लाठ भूमि, बंजर भूमि, नगर पंचायत की सीमा के बाहर व गढ़ही में आवास निर्माण कराने का दोषी पाया गया.

इन सब के बीच सवाल ये है कि लेखपाल ने इन लोगों को बकायदा जांच पड़ताल के बाद प्रधानमंत्री आवास के लिए पात्र ठहराया. वहीं अब तहसीलदार एक बार फिर उन्हें किस आधार पर अपात्र ठहरा सकता है. आवास देने से पूर्व डूडा कर्मी, लेखपाल और नगर पंचायत कर्मी की संयुक्त जांच होती है. डोर टू डोर सत्यापन होता है, फिर गलत जमीन पर आवास बना कैसे?

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