चंदौली: सूबे में विधानसभा चुनाव अभी दूर है. लेकिन उसका अहसास अभी से दिखाई देने लगा है. जिले में समाजवादी पार्टी के चर्चित नेता व सिंचाई विभाग में इंजीनियर के पद पर तैनात रहे प्रवीण कुमार सोनकर ने मंगलवार को सरकारी सेवा से त्याग-पत्र दे दिया. इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी से जुड़े होने के कारण द्वैषपूर्ण भावना से ग्रसित होकर सरकार पर निलंबन का आरोप लगाया. हालांकि इस्तीफे के बाद वे समाज के दबे कुचले लोगों के संघर्ष करने का काम करेंगे.
![सपा नेता प्रवीण सोनकर ने सरकारी सेवा से दिया इस्तीफा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-chn-02-praveen-image-up10097_02032021185007_0203f_1614691207_394.jpg)
निलंबन की कार्रवाई को बताया द्वेषपूर्ण
इंजीनियर प्रवीण सोनकर ने अपने इस्तीफे में सरकार द्वारा की गई निलंबन की कार्रवाई को गलत करार दिया. उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से मेरा समाज व समाजवादी विचारधारा में आस्था रखने वाले को गहरा आघात लगा है. ऐसे में अब सरकारी नौकरी में रहकर गरीबों, असहायों व नौजवानों की लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती. लिहाजा मेरे द्वारा सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर पूर्ण रूप से जनसेवा का कार्य पूरी शिद्दत के साथ किया जाएगा. वहीं प्रवीण सोनकर के इस्तीफे से जिले के राजनीतिक गलियारों में हलचल देखने को मिली.
11 वर्षों तक सिंचाई विभाग में इंजीनियर के पद थे कार्यरत
बता दें कि इंजीनियर प्रवीण कुमार सोनकर पिछले 11 वर्षों से सिंचाई (यांत्रिक) विभाग में कार्यरत थे. इसी बीच उनका लगाव व झुकाव समाजवादी पार्टी की तरह हुआ तो वे सरकारी सेवा के साथ-साथ राजनीतिक गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराने लगे. काफी कम समय में चंदौली जिले के चकिया विधानसभा क्षेत्र में दलित, पिछड़ों में अपनी मजबूत पैठ बनाई और सपा के कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई. ऐसे में वह अचानक से जिले के राजनीतिक पटल पर एक दमदार राजनीतिक छवि के रूप में उभरे तो सरकार की निगाहे भी उन पर टिकी.
![सपा नेता प्रवीण सोनकर ने सरकारी सेवा से दिया इस्तीफा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-chn-02-praveen-image-up10097_02032021185007_0203f_1614691207_761.jpg)
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सपा से जुड़े होने के चलते हुई निलंबन की कार्रवाई
इसी बीच बीते 12 नवंबर 2020 को सिंचाई विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया. प्रवीण सोनकर का आरोप था कि सपा से जुड़ाव के कारण उन्हें निलंबन जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
इस्तीफा देकर बढ़ाएंगे संघर्ष का दायरा
उनका कहना है कि इस सरकार में दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, वनवासियों, किसानों, मजदूरों, बुनकरों, व्यापारियों, छात्रों, नौजवानों, महिलाओं का उत्पीड़न और सम्मान पर चोट पहुंचाया जा रहा है, जो असहनीय है. इनके सम्मान, हक एवं न्याय की लड़ाई नौकरी में रहकर मैं नही लड़ सकता था. मैं जानता हूं कि नौकरी से इस्तीफा देने पर संघर्ष का दायरा और बढ़ जाएगा, लेकिन जनसेवा के लिए जो मुश्किलें सामने आएंगी उसका पूरी शिद्दत के साथ सामना किया जाएगा.