चन्दौली: अंत्योदय सिद्धांत के जनक और जनसंघ के विचारक रहे पं. दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियों और विचारों को संजोने के लिए वाराणसी-चन्दौली बॉर्डर स्थित पड़ाव पर दीनदयाल स्मृति स्थल का निर्माण कराया जा रहा है. इसका लोकार्पण 16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचाने के सिद्धांत को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए अखिल भारतीय स्तर का यह सबसे बड़ा स्मृति स्थल बनाया जा रहा है. इस स्मृति स्थल को डिजाइन करने वाली जानी मानी क्यूरेटर मासूमा रिजवी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
गंगा की अविरलता के कॉन्सेप्ट पर तैयार किया गया है स्मृति स्थल
इस स्मृति स्थल को गंगा की अविरलता के कॉन्सेप्ट पर तैयार किया गया है. जिस प्रकार से गंगा की लहरें अविरल है, उसी प्रकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार भी अविरल हैं. इनके विचार बीते कल में प्रासंगिक थे, जो आज भी है और आगे भी बने रहेगें. उनके विचार हमें अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करेंगे साथ ही हिंदुस्तान की संस्कृति को उभारेंगे, यहां उसे दर्शाने का प्रयास किया गया है.
चित्र वृत्तांत के जरिए दीनदयाल जी के जीवनकाल को दर्शाया गया
देश भर में दीनदयाल उपाध्याय के अब तक 5 म्यूजियम बना चुकी मासूमा रिजवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में अफसोस जताते हुए कहा कि महज यादों में सीमित रह गए एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय जी को बीजेपी वापस लेकर आई है. साथ ही कहा कि यह सिर्फ बीजेपी के नहीं बल्कि हम सभी भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जिनसे हम सीख ले सकते हैं. इन्होंने गरीब परिवार में जन्म लेकर भी कम उम्र में बहुत कुछ सिखाया, जिसके देख-पढ़कर आज का युवा भी कुछ सीखेगा. इसी थीम पर इंटरप्रेनर वाल और चित्र वृत्तांत के माध्यम से उनके पूरे जीवनकाल को दर्शाया गया है. 1922 से 1968 तक के जीवनकाल को बड़े ही करीने से इंटरप्रेनर वॉल पर उकेरा गया है.
अखिल भारतीय स्तर का सबसे बड़ा संग्रहालय है
अमेरिका रिटर्न आर्ट क्यूरेटर मासूमा रिजवी की मानें तो पं. दीनदयाल उपाध्याय की स्मृति में बनने वाला यह स्मृति स्थल अखिल भारतीय स्तर का सबसे बेहतरीन और बड़ा संग्रहालय है. देश के अन्य कई प्रोजेक्ट्स में काम कर चुकीं क्यूरेटर मासूमा रिजवी के मुताबिक उन सभी में से यह सबसे बेहतर स्मृति स्थल है. गन्ना विकास संस्थान की करीब 10 एकड़ जमीन पर 74 करोड़ की लागत से दो फेज में दीनदयाल मेमोरियल बनाया जाना है. इस स्मृति स्थल के प्रथम फेज के लिए 39 करोड़ की लागत से एम्फीथियेटर, कुंड, इंटेरप्रेनर वाल, पाथ वे, ग्रीनरी, एसटीपी और फिल्टरेशन का कार्य किया गया है. इसके अलावा पंडित दीन दयाल उपाध्याय की पंच धातु से निर्मित 63 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो दीन दयाल उपाध्याय की देश की सबसे बड़ी प्रतिमा है.