चन्दौली : जिला चिकित्सालय में फिजियोथेरेपी विभाग की शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई थी. इसके लिए फिजियोथैरेपिस्ट और जरुरी स्टाफ की तैनाती की गई, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें जरूरी इलेक्ट्रो फिजियोथेरेपी की मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई. जिससे मरीज और डॉक्टर दोनों ही परेशान हैं.
यहीं नहीं एक अदद स्ट्रैचिंग बेड तक विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. जिससे मरीज या तो अस्पताल के बाहर फिजियोथेरेपी सेंटर की शरण लेनी पड़ रही है या फिर संसाधन विहीन फिजियोथैरेपी विभाग के ट्रेनर की मदद से ही आधा अधूरा इलाज करना पड़ रहा है.
ऐसे ही एक मरीज है बाल कृष्ण यादव जिन्हें घुटने की तकलीफ है. जिनका इलाज वाराणसी बीएचयू समेत कई अस्पतालों में करा चुके हैं. तमाम इलाज के बाद अब डॉक्टरों ने फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी है, लेकिन जिला अस्पताल में बने विभाग में किसी तरह का कोई भी इलेक्ट्रॉनिक फिजियोथेरेपी मशीन नहीं है. जिससे इलाज में कई तरह की दिक्कतें हो रही है.
वहीं तैनात फिजियोथैरेपिस्ट डॉ एसके सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी और सीएमएस समेत तमाम अधिकारियों को कई बार संसाधनों की कमी के लिए बाबत पत्र लिख चुके हैं. लेकिन अब तक बीमार हो चुके स्वास्थय महकमे के हुक्मरानों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें वर्बली और फिजिकली उनका ट्रीटमेंट करने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिजियोथेरेपी की कई जटिल प्रक्रिया को करने में बिना मशीनों के समस्या होती है.