ETV Bharat / state

चन्दौली : बिना मशीनों के ही चल रहा है फिजियोथेरेपी विभाग, मरीज हो रहे परेशान

जिला अस्पताल में स्थित फिजियोथेरेपी विभाग खुद ही बीमार है. इलाज कराने आने वाले लोग मजबूरी में वापस लौट रहे है. यहां डॉक्टर की नियुक्ति तो की गई है, लेकिन जरूरी संसाधन के अभाव के चलते मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है.

चन्दौली फिजियोथेरेपी विभाग
author img

By

Published : Feb 20, 2019, 3:28 AM IST

चन्दौली : जिला चिकित्सालय में फिजियोथेरेपी विभाग की शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई थी. इसके लिए फिजियोथैरेपिस्ट और जरुरी स्टाफ की तैनाती की गई, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें जरूरी इलेक्ट्रो फिजियोथेरेपी की मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई. जिससे मरीज और डॉक्टर दोनों ही परेशान हैं.

चन्दौली फिजियोथेरेपी विभाग.


यहीं नहीं एक अदद स्ट्रैचिंग बेड तक विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. जिससे मरीज या तो अस्पताल के बाहर फिजियोथेरेपी सेंटर की शरण लेनी पड़ रही है या फिर संसाधन विहीन फिजियोथैरेपी विभाग के ट्रेनर की मदद से ही आधा अधूरा इलाज करना पड़ रहा है.


ऐसे ही एक मरीज है बाल कृष्ण यादव जिन्हें घुटने की तकलीफ है. जिनका इलाज वाराणसी बीएचयू समेत कई अस्पतालों में करा चुके हैं. तमाम इलाज के बाद अब डॉक्टरों ने फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी है, लेकिन जिला अस्पताल में बने विभाग में किसी तरह का कोई भी इलेक्ट्रॉनिक फिजियोथेरेपी मशीन नहीं है. जिससे इलाज में कई तरह की दिक्कतें हो रही है.


वहीं तैनात फिजियोथैरेपिस्ट डॉ एसके सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी और सीएमएस समेत तमाम अधिकारियों को कई बार संसाधनों की कमी के लिए बाबत पत्र लिख चुके हैं. लेकिन अब तक बीमार हो चुके स्वास्थय महकमे के हुक्मरानों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें वर्बली और फिजिकली उनका ट्रीटमेंट करने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिजियोथेरेपी की कई जटिल प्रक्रिया को करने में बिना मशीनों के समस्या होती है.

undefined

चन्दौली : जिला चिकित्सालय में फिजियोथेरेपी विभाग की शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई थी. इसके लिए फिजियोथैरेपिस्ट और जरुरी स्टाफ की तैनाती की गई, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें जरूरी इलेक्ट्रो फिजियोथेरेपी की मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई. जिससे मरीज और डॉक्टर दोनों ही परेशान हैं.

चन्दौली फिजियोथेरेपी विभाग.


यहीं नहीं एक अदद स्ट्रैचिंग बेड तक विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. जिससे मरीज या तो अस्पताल के बाहर फिजियोथेरेपी सेंटर की शरण लेनी पड़ रही है या फिर संसाधन विहीन फिजियोथैरेपी विभाग के ट्रेनर की मदद से ही आधा अधूरा इलाज करना पड़ रहा है.


ऐसे ही एक मरीज है बाल कृष्ण यादव जिन्हें घुटने की तकलीफ है. जिनका इलाज वाराणसी बीएचयू समेत कई अस्पतालों में करा चुके हैं. तमाम इलाज के बाद अब डॉक्टरों ने फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी है, लेकिन जिला अस्पताल में बने विभाग में किसी तरह का कोई भी इलेक्ट्रॉनिक फिजियोथेरेपी मशीन नहीं है. जिससे इलाज में कई तरह की दिक्कतें हो रही है.


वहीं तैनात फिजियोथैरेपिस्ट डॉ एसके सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी और सीएमएस समेत तमाम अधिकारियों को कई बार संसाधनों की कमी के लिए बाबत पत्र लिख चुके हैं. लेकिन अब तक बीमार हो चुके स्वास्थय महकमे के हुक्मरानों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें वर्बली और फिजिकली उनका ट्रीटमेंट करने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिजियोथेरेपी की कई जटिल प्रक्रिया को करने में बिना मशीनों के समस्या होती है.

undefined
Intro:चन्दौली - जिले का स्वास्थ्य महकमा खुद बीमार है. जिसे खुद इलाज की जरूरत है. ताजा मामला चंदौली जिला अस्पताल स्थित फिजियो थेरेपी विभाग का है. जहां डॉक्टर कीनियुक्ति तो हुई है. लेकिन जरूरी संसाधन के अभाव के चलते मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है.


Body:वीओ - दरअसल फिजियोथेरेपी विभाग की शुरुआत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत की गई थी. फिजियोथैरेपी के लिए फिजियोथैरेपिस्ट और जरूरी स्टाफ की तैनाती की गई. लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें जरूरी इलेक्ट्रो फिजियो थेरेपी की मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई. यही नहीं एक अदद स्ट्रैचिंग बेड तक विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया. ऐसे में मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. जिससे मरीज या तो अस्पताल के बाहर फिजियोथेरेपी सेंटर की शरण लेनी पड़ रही है या फिर संसाधन विहीन फिजियोथैरेपी विभाग के ट्रेनर की मदद से ही आधा अधूरा इलाज करना पड़ रहा है. ऐसे ही एक मरीज है बाल कृष्ण यादव जिन्हें आर एस यानी कि घुटने की तकलीफ है. जिनका इलाज वाराणसी बीएचयू समेत कई अस्पतालों में करा चुके हैं. तमाम इलाज के बाद अब डॉक्टरों ने फिजियो थेरेपी कराने की सलाह दी है. लेकिन जिला अस्पताल में स्थापित विभाग में किसी तरह का कोई भी इलेक्ट्रॉनिक फिजियोथेरेपी मशीन नहीं है. जिससे इलाज में कई तरह की दिक्कतें हो रही है.

बाइट - बालकृष्ण यादव (मरीज)

वीओ 2 - वही बतौर फिजियोथैरेपिस्ट तैनात डॉ एसके सिंह का कहना है की इस समस्या के बाबत स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी और सीएमएस समेत तमाम अधिकारियों को कई बार संसाधनों की कमी के बाबत पत्र लिख चुके हैं. लेकिन अब तक बीमार हो चुके स्वास्थय महकमे के हुक्मरानों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही. ऐसे में जो मरीज आते हैं उन्हें वर्बली और फिजिकली उनका ट्रीटमेंट करने का प्रयास करते हैं. लेकिन फीजियोथेरेपी की कई जटिल प्रक्रिया को करने में बिना मशीनों के समस्या होती है.

बाइट - डॉ एसके सिंह (फिजियोथैरेपिस्ट)

एफबीओ - यह हाल है जिला स्थल स्थित फ्यूचर विभाग का जहां जिले के सभी ग्राम बैठते हैं सालों से संसाधन भी इस विभाग पर किसी की नजर नहीं पड़ी अब तक हालांकि इस बाबत जिम्मेदार अधिकारी से बात करनी चाहिए तो कार्यालय से नदारद मिले लेकिन ईटीवी इस मुद्दे पर उनकी राय जरूर लेगा और पता करेगा किस बीमारी विभाग का इलाज कब होगा

पीटीसी


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.