चंदौली: जिले के दीनदयालनगर में मानसरोवर तालाब स्थित सूर्य मंदिर के पास सूर्य देव की सवारी घोड़ों की पूजा(Horse worship on Chhath Puja in Chandauli) की जाती है. यह घोड़े पूरे नगर में भ्रमण करते हैं और छठ व्रती महिलाओं के घरों तक जाते हैं. जहां व्रती महिलाएं इन घोड़ों की आरती उतारती हैं और साथ ही चना और गुड़ खिलाकर आशीर्वाद मांगती हैं. मान्यता है कि डाला छठ के दौरान नगर भ्रमण पर निकले इन घोड़ों के पांव जहां भी पड़ते हैं वह स्थान पवित्र हो जाता है.
छठ व्रत कर रही चंदौली के दीनदयाल नगर की गुड़िया ने बताया कि दो साल से व्रत रख रहे हैं. हमारे दरवाजे पर भी नगर भ्रमण को निकलने वाले घोड़े आए हैं, उनका हमने गुड़ और चना खिलाकर स्वागत किया. पूजा करने के बाद आरती भी उतारी. ये सूर्य भगवान की सवारी है, इसलिए हम लोग इनको बहुत ही मानते हैं. व्रती महिला सुनीता देवी ने बताया कि इस बार छठ पूजा पर कोरोना जैसी माहमारी को दूर भगाने के लिए छठी मैया और भगवान सूर्य देव से कामना की है. उन्होंने बताया कि मानसरोवर तालाब से जो घोड़े आते हैं उनका चना गुड़ खिलाकर स्वागत करते हैं और आरती उतारते हैं. दरवाजे पर घोड़ा आता है तो बहुत खुशी होती है.
दीनदयाल नगर में मानसरोवर तालाब छठ पूजा समिति के अध्यक्ष कृष्णा गुप्ता ने बताया कि डाला छठ पूजा में सूर्य देव की सवारी सात घोड़े छोड़े जाते हैं. वे नगर भ्रमण करते हैं और गलियों में घूमते हैं. वहीं एसडीएम मुग़लसराय अवनीश कुमार ने बताया कि प्रहरी के रूप में यह घोड़े नगर भ्रमण करते हैं. व्रती लोग उत्साहित होते हैं.
दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले छठ पर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस व्रत को करने से लोग धन-धान्य, संतान सुख तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होते हैं. साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि भगवान सूर्य की सवारी घोड़े की पूजा करने से उनका व्रत सफल होता है और घर में सुख समृद्धि आती है. इस उद्देश्य से छठ के महापर्व के दौरान 7 घोड़ों को नगर भ्रमण कराने की शुरुआत सन 2009 में हुई थी. उसके बाद से हर साल छठ पूजा के दौरान इन घोड़ों को सजाकर नगर भ्रमण कराया जाता है.
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