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रायल ताल की जमीन को लेकर राजनीति हुई तेज, समाजवादी पार्टी सड़क से लेकर सदन तक की लड़ेगी लड़ाई - issue of Rayal Tal land

मैनपुरी उपचुनाव के बाद चंदौली लौटे पूर्व सांसद रामकिसुन यादव (Former MP Ramkisun Yadav) किसानों की मांग को लेकर सकलडीहा तहसील के रायल ताल पहुंचे. यहां पदयात्रा कर प्रभावित 6 गांवों का दौरा किया और किसानों की पुस्तैनी जमीन से उन्हें बेदखल किए जाने के आदेश को साजिश बताया.

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पूर्व सांसद रामकिसुन यादव
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Published : Dec 8, 2022, 9:09 AM IST

Updated : Dec 8, 2022, 12:22 PM IST

चंदौलीः किसानों के मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी अब सड़क से लेकर सदन तक की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रही है. मैनपुरी उपचुनाव के बाद चंदौली लौटे पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) किसानों की मांग को लेकर सकलडीहा तहसील के रायल ताल पहुंचे. यहां पदयात्रा कर प्रभावित 6 गांवों का दौरा किया और किसानों की पुस्तैनी जमीन (pastoral land) से उन्हें बेदखल किए जाने के आदेश को साजिश बताया.

साथ ही केंद्र व राज्य की सरकार से हस्तक्षेप कर किसानों के हित में फैसला लिए जाने की बात कही. ऐसा न होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी किसानों के हक और हुकूक की लड़ाई लड़ने का काम करेगी. जबकि मंगलवार को सपा विधायक प्रभु नारायण यादव ने भी सदन में इस मुद्दे को उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव

इस दौरान उन्होंने बताया कि सकलडीहा तहसील के उपजिलाधिकारी द्वारा मौजा बरंगा, जमुनीपुर, डिघवट, फेसुड़ा, पंचदेवरा, परगना-बढ़वल में भूखंडों के मालिक व स्वामी पूर्वजों के जमाने से काबिज-दाखिल दर्ज खतौनी चकबंदी बंदोबस्त चले आ रहे हैं. ऐसे में एसडीएम द्वारा गुपचुप तरीके से अपनी एजेंसी के त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट के पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा -38 ( 2 ) के प्राविधानिक सिद्धांतों के विपरीत बगैर विधिक प्रक्रिया के अनुपालन किए बगैर नोटिस सूचना एवं उनके पक्ष को सुने बिना ही एकपक्षीय रूप से मौजूदा किसानों के नाम से अंकित खतौनी ताल के खाते में दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया गया है, जो पूरी तरह से अनैतिक है.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) ने बताया कि यह बरंगा ताल का मुद्दा (Baranga Tal issue) करीब 1800 एकड़ जमीन से संबंधित गंभीर विषय है, जो किसानों व जनहित से जुड़ा मामला है. इस जमीन पर संबंधित लोग कई पुश्तों से खेती करते आ रहे है. चकबंदी के दौरान बाकायदा उनकी जमीनों की बदली की गई. यहीं नहीं राजस्व विभाग ने भी बाकायदा जिला जेल के लिए रायल ताल की जमीन का अधिग्रहण किया और मुआवजा दिया. अब शासन प्रशासन की तरफ से अचानक उन जमीनों को सरकारी जमीन बताकर किसानों को बेदखली आदेश कर दिया और मुआवजे की धनराशि को वापस करने लिए नोटिस जारी किया गया है. जो सर्वथा अनुचित है और बड़ा घोटाला है.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) ने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए किसानों के हित में कानून में संशोधन करना चाहिए. जिस प्रकार आदिवासी इलाक़ों में जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी गई और उन्हें सफलता मिली. इसी तर्ज पर किसानों के हक और हुक़ूक़ की ओर लड़ाई लड़ने का काम किया जाएगा. पूरी समाजवादी पार्टी किसानों के इस मुद्दे पर लड़ने का काम करेगी.

गौरतलब है कि मंगलवार को सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव(MLA Prabhunarayan Singh Yadav) ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में किसानों व आमजन की दुश्वारियों से सदन को अवगत कराते हुए उसके निराकरण के लिए प्रभावी पहल किए जाने की मांग की. उन्होंने रायल ताल की जमीन आधा दर्जन गांव के सैकड़ों परिवार की पुश्तैनी जमीन है. जिसे राजस्व संहिता का पालन किये बिना ही सरकारी जमीन बताकर बेदखल किया जाना पूरी तरह से असंवैधानिक है.

पढ़ेंः ब्रजेश पाठक बोले, किसानों के साथ है योगी सरकार

चंदौलीः किसानों के मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी अब सड़क से लेकर सदन तक की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रही है. मैनपुरी उपचुनाव के बाद चंदौली लौटे पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) किसानों की मांग को लेकर सकलडीहा तहसील के रायल ताल पहुंचे. यहां पदयात्रा कर प्रभावित 6 गांवों का दौरा किया और किसानों की पुस्तैनी जमीन (pastoral land) से उन्हें बेदखल किए जाने के आदेश को साजिश बताया.

साथ ही केंद्र व राज्य की सरकार से हस्तक्षेप कर किसानों के हित में फैसला लिए जाने की बात कही. ऐसा न होने की स्थिति में समाजवादी पार्टी किसानों के हक और हुकूक की लड़ाई लड़ने का काम करेगी. जबकि मंगलवार को सपा विधायक प्रभु नारायण यादव ने भी सदन में इस मुद्दे को उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव

इस दौरान उन्होंने बताया कि सकलडीहा तहसील के उपजिलाधिकारी द्वारा मौजा बरंगा, जमुनीपुर, डिघवट, फेसुड़ा, पंचदेवरा, परगना-बढ़वल में भूखंडों के मालिक व स्वामी पूर्वजों के जमाने से काबिज-दाखिल दर्ज खतौनी चकबंदी बंदोबस्त चले आ रहे हैं. ऐसे में एसडीएम द्वारा गुपचुप तरीके से अपनी एजेंसी के त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट के पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा -38 ( 2 ) के प्राविधानिक सिद्धांतों के विपरीत बगैर विधिक प्रक्रिया के अनुपालन किए बगैर नोटिस सूचना एवं उनके पक्ष को सुने बिना ही एकपक्षीय रूप से मौजूदा किसानों के नाम से अंकित खतौनी ताल के खाते में दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया गया है, जो पूरी तरह से अनैतिक है.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) ने बताया कि यह बरंगा ताल का मुद्दा (Baranga Tal issue) करीब 1800 एकड़ जमीन से संबंधित गंभीर विषय है, जो किसानों व जनहित से जुड़ा मामला है. इस जमीन पर संबंधित लोग कई पुश्तों से खेती करते आ रहे है. चकबंदी के दौरान बाकायदा उनकी जमीनों की बदली की गई. यहीं नहीं राजस्व विभाग ने भी बाकायदा जिला जेल के लिए रायल ताल की जमीन का अधिग्रहण किया और मुआवजा दिया. अब शासन प्रशासन की तरफ से अचानक उन जमीनों को सरकारी जमीन बताकर किसानों को बेदखली आदेश कर दिया और मुआवजे की धनराशि को वापस करने लिए नोटिस जारी किया गया है. जो सर्वथा अनुचित है और बड़ा घोटाला है.

पूर्व सांसद रामकिसुन यादव(Former MP Ramkisun Yadav) ने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि इस मामले को संज्ञान में लेते हुए किसानों के हित में कानून में संशोधन करना चाहिए. जिस प्रकार आदिवासी इलाक़ों में जल जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ी गई और उन्हें सफलता मिली. इसी तर्ज पर किसानों के हक और हुक़ूक़ की ओर लड़ाई लड़ने का काम किया जाएगा. पूरी समाजवादी पार्टी किसानों के इस मुद्दे पर लड़ने का काम करेगी.

गौरतलब है कि मंगलवार को सकलडीहा विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव(MLA Prabhunarayan Singh Yadav) ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में किसानों व आमजन की दुश्वारियों से सदन को अवगत कराते हुए उसके निराकरण के लिए प्रभावी पहल किए जाने की मांग की. उन्होंने रायल ताल की जमीन आधा दर्जन गांव के सैकड़ों परिवार की पुश्तैनी जमीन है. जिसे राजस्व संहिता का पालन किये बिना ही सरकारी जमीन बताकर बेदखल किया जाना पूरी तरह से असंवैधानिक है.

पढ़ेंः ब्रजेश पाठक बोले, किसानों के साथ है योगी सरकार

Last Updated : Dec 8, 2022, 12:22 PM IST
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