लखनऊ : सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में इमरजेंसी में विशेषज्ञता पूर्ण इलाज नहीं मिल रहा है, वहीं अध्ययनरत एमबीबीएस छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, जबकि नेशनल मेडिकल आयोग ने इमरजेंसी मेडिसिन डॉक्टरों के अभाव में पांच विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल की ड्यूटी के निर्देश दिये हैं. मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी 24 घंटे एमबीबीएस डॉक्टरों के भरोसे चल रही है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की ड्यूटी ऑन कॉल रहती है.
नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक प्रधानाचार्य ने बताया कि 'विशेषज्ञ डॉक्टरों की किल्लत है, मौजूदा विशेषज्ञों पर भी ज्यादा दवाब नहीं दिया जा सकता है. इमरजेंसी में टेलीमेडिसिन द्वारा मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. अन्य प्रधानाचार्य ने बताया कि आयोग द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया लगातार जारी है, बावजूद डॉक्टर सरकारी सेवा में नहीं आ रहें हैं. विभाग द्वारा प्रयास भी किए जा रहे हैं. इमरजेंसी से लेकर छात्रों की पढ़ाई तक सिस्टम बैठाकर सेवाएं दी जा रही हैं.'
मालूम हो कि उक्त हालात कमोवेश प्रदेश के अधिकांश सरकारी मेडिकल कॉलेजों के हैं. प्रदेश में 35 मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई हो रही है, 14 नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं. उप्र. लोक सेवा आयोग द्वारा लगातार नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. नए मेडिकल कॉलेजों के लिए 225 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आयोग ने आवेदन मांगे थे, जिनमें से 137 नियुक्ति हुए, लेकिन उनमें मात्र 49 डाॅक्टरों ने ही ज्वाइन किया था.
चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव सत्य प्रकाश सिंह का कहना है कि 'आयोग द्वारा नियुक्त जा रहे शिक्षक लगातार मिल रहे हैं. नवचयनित शिक्षकों को तैनाती के लिए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय में काउंसिलिंग कराई जाती है. सोमवार को नए शिक्षकों की काउंसिलिंग है, कई मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी.'