चंदौली: जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों की तारीख भले ही घोषित नहीं हुई, लेकिन इस पद को पाने के लिए राजनीतिक बिसात बिछने लगी है. जोड़-तोड़ की गुणा-गणित के दलबदल का क्रम शुरू हो गया है. ऐसा ही एक घटनाक्रम शुक्रवार को जिले में भी देखने को मिला. यहां बसपा के टिकट पर सकलडीहा सेक्टर नंबर-5 से जिला पंचायत सदस्य पद का चुनाव जीतने वाले साहब सिंह ने पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी.
बसपा में रहकर चुनाव जीतना संभव नहीं
साहब सिंह ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने बसपा (बहुजन समाज पार्टी) से इस्तीफा देने की घोषणा की. साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के अपने मंसूबे से भी अवगत कराया. हालांकि चुनावी बैतरणी पार लगाने के लिए किसकी नैया का सहारा लेंगे, इसका खुलासा नहीं किया. उन्होंने कहा कि बसपा में रहते हुए उनका चुनाव जीतना संभव नहीं था. पार्टी के अन्य उम्मीदवार सहयोग नहीं कर रहे थे. जिससे यह फैसला लेना पड़ा. इस दौरान वे समाज और अपने लोगों के विकास की रट लगाए रहे. कहा कि आज जरूरत है कि हम जैसे जुनून वाले लोग अपनी ललक को पूरा करें.
अनिल मौर्य के चहेते हैं साहब सिंह
साहब सिंह मौर्य को मिर्जापुर विधायक अनिल मौर्य का करीबी माना जाता है. ये वही अनिल मौर्य हैं, जिन्होंने चंदौली लोकसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और करारी शिकस्त झेलने के बाद चंदौली से गायब ही हो गए थे. बाद में स्वामी प्रसाद मौर्य के बसपा छोड़ भाजपा में जाने के बाद अनिल मौर्य ने भी अपना चोला बदल लिया. वे न सिर्फ भाजपा में शामिल हुए, बल्कि पार्टी ने इन्हें मिर्जापुर जनपद की विधानसभा सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया और चुनाव भी जीते. अब अनिल मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य के सहारे साहब सिंह भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना संजोए हुए हैं. जबकि अनिल मौर्य भी अपने शागिर्द के जरिए चंदौली में पैठ बनाने की तरफ देख रहे हैं.
साइकिल की सवारी भी कर सकते हैं साहब
हालांकि साहब सिंह को कमल का साथ मिलेगा या फिर साइकिल की सवारी करेंगे, यह तय नहींं है. एक तरफ जहां साहब सिंह के बसपा से इस्तीफे का मामला सामने आया था. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता पार्टी कार्यालय पर बैठक कर रहे थे. यही नहीं, पंचायत चुनाव के बाद सदस्यों की हुई पहली बैठक में जिला अध्यक्ष सत्यनारायण राजभर मौर्य बिरादरी से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को प्राथमिकता देने की पेशकश पहले ही कर चुके हैं. ऐसे में भाजपा में दाल नहीं गलने पर साहब सिंह मौर्य साइकिल की भी सवारी कर सकते है.
कौन लगाएगा साहब की नैया पार
इस्तीफे के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला पंचायत चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली सत्ताधारी पार्टी भाजपा दूसरे दल से आए नेता को अपना उम्मीदवार बनाकर असंतोष और भितरघात जैसी स्थिति का सामना करेगी. या फिर साहब सिंह निर्दलियों के सहारे अपनी मंशा को पूरा करेगी.