चंदौली: जिला न्यायालय एवं मुख्यालय निर्माण संघर्ष समिति का आंदोलन उग्र होता जा रहा है. संयुक्त बार एसोसिएशन आंदोलन के 8वें दिन प्रेस कांफ्रेंस कर संयोजक ने कहा कि 26 साल से जिले को उसका हक नहीं मिला है. जिसके लिए अधिवक्ता लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा झूठा आश्वासन देकर जिले की जनता के साथ विश्वासघात किया जाता रहा है. लेकिन इस बार अधिवक्ता और आम जनमानस की गूंज दिल्ली तक सुनाई देगी.
आंदोलन के संयोजक जनमेजय सिंह ने कहा कि 26 सालों में जिले के विकास का आलम यह है कि जिलाधिकारी समेत किसी भी अधिकारी के पास अपना आवास नहीं है. यह प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का सबसे अभागा जनपद है. जिसकी कोई सुधि लेने वाला नहीं है. इसके साथ के सृजित जनपद लगभग 10 वर्ष पूर्व ही अपने पूर्ण अस्तित्व को प्राप्त कर चुके हैं. आंदोलन के संयोजक ने कहा कि चंदौली के साथ इतना अन्याय क्यों हो रहा है. यह देश का पहला ऐसा जनपद है कि जहां जिला मुख्यालय पर नगर पंचायत है और उसकी तहसील नगर पालिका है. पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद इस जनपद में ऐसा कोई जनप्रतिनिधि नहीं हुआ, जिसने विकास के बारे में सोचा हो. उन्होंने कहा कि वर्तमान जनप्रतिनिधि पंडित कमलापति त्रिपाठी द्वारा किए गए विकास कार्य को भी यहां से मिटाने पर तुले हैं. यहां के जनप्रतिनिधि चाहे सांसद हों या विधायक हों. जनपद का कोई भी जनप्रतिनिधि सदन में जनपद की दुर्दशा को बताने का प्रयास नहीं किया है. यहां जिला न्यायालय के लिए अधिवक्ताओं के अथक प्रयास की वजह से 26 साल बाद जमीन मिल पायी है. अब निर्माण में जान-बूझकर विलंब किया जा रहा है.
संयोजक जनमेजय सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधि आगामी 7 दिनों में अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वह चंदौली जिला मुख्यालय के विकास के साथ हैं या उसके खिलाफ हैं. बार एसोसिएशन उनसे अनुरोध करता है कि आने वाले 7 दिनों में शासन व हाईकोर्ट स्तर से जिला न्यायालय के लिए लंबित प्रक्रिया को पूर्ण कर निर्माण कार्य शुरू कराएं. साथ ही जिला मुख्यालय पर जिन सरकारी दफ्तरों की जमीन आवंटित है. उनका भी यथाशीघ्र निर्माण प्रारंभ कराएं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि अगर सीएम योगी आदित्यनाथ से दिक्कतों को दूर करने की पहल करें तो सीएम के हस्तक्षेप के बाद जिला न्यायालय के निर्माण के साथ ही मुख्यालय के विकास को गति मिल जाएगी.
संयोजक ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो जनपद के सांसद और विधायकों का बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कराया जाएगा. इसके बाद शवयात्रा निकाकर प्रतीकात्मक रूप से शवदाह भी किया जाएगा. इसके बाद दसवां और तेरहवीं का कार्यक्रम चंदौली कचहरी में सम्पन्न कराया जाएगा. इसके बाद भी जनप्रतिनिधियों की चेतना जागृत नहीं होती है तो अधिवक्ता उनका गया श्राद्ध कर पिंडदान भी करेंगे. उसके बाद भी अगर जनप्रतिनिधि जिले के विकास को सुनिश्चित नहीं करते हैं तो अधिवक्ता समाज चंदौली से दिल्ली तक पदयात्रा कर इनकी करनी को राष्ट्रीय पटल पर रखेगा.
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