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स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुई कोरोना संक्रमित की मौत

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Published : Aug 1, 2020, 11:51 AM IST

चंदौली जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते एक कोरोना संक्रमित की मौत हो गई. दरअसल कागजी लापरवाही के चलते मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा था. परिजनों ने विभाग की लापरवाही का हवाला देते हुए सीएम और पीएम से न्याय की गुहार लगाई है.

चंदौली में कोरोना के मरीज.
परिजनों ने सीएम से न्याय की लगाई गुहार.

चंदौली: दीनदयाल नगर के मैनाताली में 15 जुलाई को महेश और उसके दो अन्य भाइयों दिनेश और उमेश ने कोरोना जांच के लिए सैंपल दिए थे. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, दिनेश कुमार कोरोना संक्रमित पाए गए, लेकिन महेश की जांच को स्वास्थ्य महकमे ने संज्ञान में नहीं लिया. स्वास्थ्य विभाग की दुर्व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमित महेश कुमार चौहान की मौत हो गई.

चंदौली में कोरोना के मरीज.
विभाग की लापरवाही के चलते हुई मौत.

महेश कुमार के बड़े भाई रमेश कुमार ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 15 जुलाई को उनके दोनों भाइयों के सैंपल्स लिए. उस दौरान महेश ने कहा था कि उसकी तबियत खराब है तो उसे साथ ले जाएं, लेकिन एंबुलेंस कर्मियों ने सूची में नाम नहीं होने से महेश को साथ नहीं ले गए. दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने गलती से दोनों भाइयों का नाम दिनेश कुमार ही लिख दिया था. एक ही नाम से दो लोग पॉजिटिव नहीं हो सकते, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मुकेश की बात नहीं सुनी.

कोरोना के चलते परेशान महेश ने जिलाधिकारी तक भी अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी. इस बीच 20 जुलाई को हालत खराब होने पर महेश खुद पं. कमलापति त्रिपाठी जिला अस्पताल गए, लेकिन इमरजेंसी वॉर्ड में महेश को एडमिट नहीं किया गया. गंभीर अवस्था में पड़े महेश के साथ उनके भाई रमेश भी थे. रमेश अस्पताल के कर्मचारियों से लगातार महेश की भर्ती को लेकर मिन्नतें कर रहे थे, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने महेश को भर्ती नहीं किया.

परिजनों ने सीएम से न्याय की लगाई गुहार.

21 जुलाई को सुबह महेश ने फोन के जरिए सभासद बृजेश कुमार गुप्ता को अपनी हालत बताई. सभासद ने महेश का राजकीय महिला अस्पताल मुगलसराय में जांच कराया. डॉक्टर ने जांच के बाद तुरंत महेश को पं. कमलापति त्रिपाठी अस्पताल चंदौली के लिए रेफर कर दिया.

21 जुलाई की दोपहर को जिला अस्पताल गए महेश को काफी देर तक बाहर बैठाए रखा गया. इसके बाद सभासद ने एक पत्रकार के सहयोग से 4 बजे महेश को भर्ती कराया. 22 जुलाई को महेश की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई. 23 जुलाई की भोर में लगभग 5 बजे परिवार के सदस्यों को सूचित किये बिना ही महेश को सर सुंदरलाल अस्पताल बीएचयू वाराणसी के लिए भेज दिया गया.

इस दौरान महेश का नाम दर्ज करने में फिर से गलती की गई. यहां महेश के पिता का नाम विवेक कुमार दर्ज कर दिया गया था. 23 जुलाई की सुबह 7 बजे महेश के परिजनों ने बीएचयू पहुंचकर महेश के बारे में जानकारी ली. काफी भाग दौड़ के बाद 10 बजे जानकारी मिली कि महेश कुमार की मृत्यु हो चुकी है. कागजात पर सही नाम दर्ज न होने के चलते परिजनों को महेश का शव नहीं दिया गया. 24 जुलाई को प्रशासनिक अधिकारियों के कंफर्मेशन के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया.

एडिशनल सीएमओ और कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. डीके सिंह ने बताया कि 13 जुलाई को महेश की जांच रिपोर्ट निगेटिव थी. गलती से दोनों भाइयों का नाम एक ही पोर्टल पर चढ़ गया था. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीएचयू में इलाज के दौरान महेश की मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है.

चंदौली: दीनदयाल नगर के मैनाताली में 15 जुलाई को महेश और उसके दो अन्य भाइयों दिनेश और उमेश ने कोरोना जांच के लिए सैंपल दिए थे. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, दिनेश कुमार कोरोना संक्रमित पाए गए, लेकिन महेश की जांच को स्वास्थ्य महकमे ने संज्ञान में नहीं लिया. स्वास्थ्य विभाग की दुर्व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमित महेश कुमार चौहान की मौत हो गई.

चंदौली में कोरोना के मरीज.
विभाग की लापरवाही के चलते हुई मौत.

महेश कुमार के बड़े भाई रमेश कुमार ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 15 जुलाई को उनके दोनों भाइयों के सैंपल्स लिए. उस दौरान महेश ने कहा था कि उसकी तबियत खराब है तो उसे साथ ले जाएं, लेकिन एंबुलेंस कर्मियों ने सूची में नाम नहीं होने से महेश को साथ नहीं ले गए. दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने गलती से दोनों भाइयों का नाम दिनेश कुमार ही लिख दिया था. एक ही नाम से दो लोग पॉजिटिव नहीं हो सकते, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मुकेश की बात नहीं सुनी.

कोरोना के चलते परेशान महेश ने जिलाधिकारी तक भी अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी. इस बीच 20 जुलाई को हालत खराब होने पर महेश खुद पं. कमलापति त्रिपाठी जिला अस्पताल गए, लेकिन इमरजेंसी वॉर्ड में महेश को एडमिट नहीं किया गया. गंभीर अवस्था में पड़े महेश के साथ उनके भाई रमेश भी थे. रमेश अस्पताल के कर्मचारियों से लगातार महेश की भर्ती को लेकर मिन्नतें कर रहे थे, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों ने महेश को भर्ती नहीं किया.

परिजनों ने सीएम से न्याय की लगाई गुहार.

21 जुलाई को सुबह महेश ने फोन के जरिए सभासद बृजेश कुमार गुप्ता को अपनी हालत बताई. सभासद ने महेश का राजकीय महिला अस्पताल मुगलसराय में जांच कराया. डॉक्टर ने जांच के बाद तुरंत महेश को पं. कमलापति त्रिपाठी अस्पताल चंदौली के लिए रेफर कर दिया.

21 जुलाई की दोपहर को जिला अस्पताल गए महेश को काफी देर तक बाहर बैठाए रखा गया. इसके बाद सभासद ने एक पत्रकार के सहयोग से 4 बजे महेश को भर्ती कराया. 22 जुलाई को महेश की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई. 23 जुलाई की भोर में लगभग 5 बजे परिवार के सदस्यों को सूचित किये बिना ही महेश को सर सुंदरलाल अस्पताल बीएचयू वाराणसी के लिए भेज दिया गया.

इस दौरान महेश का नाम दर्ज करने में फिर से गलती की गई. यहां महेश के पिता का नाम विवेक कुमार दर्ज कर दिया गया था. 23 जुलाई की सुबह 7 बजे महेश के परिजनों ने बीएचयू पहुंचकर महेश के बारे में जानकारी ली. काफी भाग दौड़ के बाद 10 बजे जानकारी मिली कि महेश कुमार की मृत्यु हो चुकी है. कागजात पर सही नाम दर्ज न होने के चलते परिजनों को महेश का शव नहीं दिया गया. 24 जुलाई को प्रशासनिक अधिकारियों के कंफर्मेशन के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया.

एडिशनल सीएमओ और कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. डीके सिंह ने बताया कि 13 जुलाई को महेश की जांच रिपोर्ट निगेटिव थी. गलती से दोनों भाइयों का नाम एक ही पोर्टल पर चढ़ गया था. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद बीएचयू में इलाज के दौरान महेश की मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई है.

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