चन्दौली : सरकार शेल्टर होम को हरसंभव मदद कर रही है ताकि वे निराश्रितों का ख्याल रखे. लेकिन गुरुवार की देर रात दीनदयाल नगर स्थित बाल शिशु गृह की अमानवीयता देखने को मिली.यहां 8 दिन के मासूम को शेल्टर होम के कर्मचारियों ने रखने से इंकार कर दिया. हवाला उसकी शारीरिक विषमता का दिया है.
बाल शिशु गृह की लापरवाही आई सामने
दरअसल 28 नवम्बर को एक महिला ने बीएचयू अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. महिला बच्चे को वहीं छोड़कर चली गई. इसकी सूचना बीएचयू प्रशासन की तरफ से चाइल्ड लाइन वाराणसी को दी गई. यह शिशु विशेष श्रेणी का है.
नवजात के मलद्वार का हिस्सा पूर्ण रुप से विकसित नहीं है. उसका चिकित्सकों ने हॉस्पिटल में उपचार किया. बच्चे को सीडब्लूसी वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. वहीं बाद में चाइल्ड लाइन कर्मियों को बच्चे को मुगलसराय स्थित गौतम बुद्ध सेवा समिति बाल शिशु गृह रखने का आदेश दिया.
चाइल्ड लाइन कर्मी संतोष बच्चे को संस्थान की एक महिला कर्मी के साथ लेकर शाम 5 बजे बाल शिशु गृह पहुंचे. यहां बच्चे की सुपुर्दगी की बात कही. लेकिन शेल्टर होम संचालक ने सुपुर्दगी लेने के बजाए चिकित्सक से बातचीत का हवाला देते हुए वहां से निकल गए. वे करीब 3 घंटे बाद लौटे और सीडब्लूसी चंदौली का आदेश दिखाते हुए बच्चे की सुपुर्दगी से इंकार कर दिया. चाइल्ड लाइन कर्मी के सामने सर्द रात में बच्चे का ध्यान रखना मुश्किल हो गया.
बाल शिशु गृह संचालक वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि इन लोगों के आने की जानकारी शाम 7 बजे हुई है. बच्चे को डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर के अनुसार यह विशेष श्रेणी का बच्चा है, जिसे मेडिकल केयर की जरूरत है. लेकिन शेल्टर पर पहले से ही 10 से ज्यादा 16 बच्चे हैं. जिसमें तीन विशेष श्रेणी के हैं. इनका रखरखाव समुचित तरीके से संभव नहीं है. ऐसे में इस पूरे मामले से सीडब्लूसी चन्दौली को अवगत कराया गया, तो उन्होंने सुपुर्दगी के बजाए किसी अन्य संस्था में भेजने संबंधी आदेश दिया है.
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