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चंदौली: बाल शिशु गृह की संवेदनहीनता, आठ दिन के नवजात को नहीं दिया आश्रय

यूपी के चन्दौली में बाल शिशु गृह का अमानवीय चेहरा सामने आया है. यहां बाल शिशु गृह के कर्मियों ने आठ दिन के मासूम को शेल्टर होम में रखने से मना कर दिया. वहीं जब ईटीवी भारत ने बाल शिशु गृह के प्रबंधक से बात की तो उन्होंने बच्चे में शारीरिक विषमता का बहाना बताकर पल्ला झाड़ लिया.

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प्रबंधक, वीरेन्द्र प्रताप सिंह
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Published : Dec 6, 2019, 6:38 AM IST

चन्दौली : सरकार शेल्टर होम को हरसंभव मदद कर रही है ताकि वे निराश्रितों का ख्याल रखे. लेकिन गुरुवार की देर रात दीनदयाल नगर स्थित बाल शिशु गृह की अमानवीयता देखने को मिली.यहां 8 दिन के मासूम को शेल्टर होम के कर्मचारियों ने रखने से इंकार कर दिया. हवाला उसकी शारीरिक विषमता का दिया है.

बाल शिशु गृह ने मासूम को नहीं दिया आश्रय.

बाल शिशु गृह की लापरवाही आई सामने
दरअसल 28 नवम्बर को एक महिला ने बीएचयू अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. महिला बच्चे को वहीं छोड़कर चली गई. इसकी सूचना बीएचयू प्रशासन की तरफ से चाइल्ड लाइन वाराणसी को दी गई. यह शिशु विशेष श्रेणी का है.

नवजात के मलद्वार का हिस्सा पूर्ण रुप से विकसित नहीं है. उसका चिकित्सकों ने हॉस्पिटल में उपचार किया. बच्चे को सीडब्लूसी वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. वहीं बाद में चाइल्ड लाइन कर्मियों को बच्चे को मुगलसराय स्थित गौतम बुद्ध सेवा समिति बाल शिशु गृह रखने का आदेश दिया.

चाइल्ड लाइन कर्मी संतोष बच्चे को संस्थान की एक महिला कर्मी के साथ लेकर शाम 5 बजे बाल शिशु गृह पहुंचे. यहां बच्चे की सुपुर्दगी की बात कही. लेकिन शेल्टर होम संचालक ने सुपुर्दगी लेने के बजाए चिकित्सक से बातचीत का हवाला देते हुए वहां से निकल गए. वे करीब 3 घंटे बाद लौटे और सीडब्लूसी चंदौली का आदेश दिखाते हुए बच्चे की सुपुर्दगी से इंकार कर दिया. चाइल्ड लाइन कर्मी के सामने सर्द रात में बच्चे का ध्यान रखना मुश्किल हो गया.

बाल शिशु गृह संचालक वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि इन लोगों के आने की जानकारी शाम 7 बजे हुई है. बच्चे को डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर के अनुसार यह विशेष श्रेणी का बच्चा है, जिसे मेडिकल केयर की जरूरत है. लेकिन शेल्टर पर पहले से ही 10 से ज्यादा 16 बच्चे हैं. जिसमें तीन विशेष श्रेणी के हैं. इनका रखरखाव समुचित तरीके से संभव नहीं है. ऐसे में इस पूरे मामले से सीडब्लूसी चन्दौली को अवगत कराया गया, तो उन्होंने सुपुर्दगी के बजाए किसी अन्य संस्था में भेजने संबंधी आदेश दिया है.

पढ़ें: स्टेशनों की सुरक्षा परिकल्पना तैयार, RPF की शक्तियों में भी होगा इजाफा: डीजी रेलवे

चन्दौली : सरकार शेल्टर होम को हरसंभव मदद कर रही है ताकि वे निराश्रितों का ख्याल रखे. लेकिन गुरुवार की देर रात दीनदयाल नगर स्थित बाल शिशु गृह की अमानवीयता देखने को मिली.यहां 8 दिन के मासूम को शेल्टर होम के कर्मचारियों ने रखने से इंकार कर दिया. हवाला उसकी शारीरिक विषमता का दिया है.

बाल शिशु गृह ने मासूम को नहीं दिया आश्रय.

बाल शिशु गृह की लापरवाही आई सामने
दरअसल 28 नवम्बर को एक महिला ने बीएचयू अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया. महिला बच्चे को वहीं छोड़कर चली गई. इसकी सूचना बीएचयू प्रशासन की तरफ से चाइल्ड लाइन वाराणसी को दी गई. यह शिशु विशेष श्रेणी का है.

नवजात के मलद्वार का हिस्सा पूर्ण रुप से विकसित नहीं है. उसका चिकित्सकों ने हॉस्पिटल में उपचार किया. बच्चे को सीडब्लूसी वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. वहीं बाद में चाइल्ड लाइन कर्मियों को बच्चे को मुगलसराय स्थित गौतम बुद्ध सेवा समिति बाल शिशु गृह रखने का आदेश दिया.

चाइल्ड लाइन कर्मी संतोष बच्चे को संस्थान की एक महिला कर्मी के साथ लेकर शाम 5 बजे बाल शिशु गृह पहुंचे. यहां बच्चे की सुपुर्दगी की बात कही. लेकिन शेल्टर होम संचालक ने सुपुर्दगी लेने के बजाए चिकित्सक से बातचीत का हवाला देते हुए वहां से निकल गए. वे करीब 3 घंटे बाद लौटे और सीडब्लूसी चंदौली का आदेश दिखाते हुए बच्चे की सुपुर्दगी से इंकार कर दिया. चाइल्ड लाइन कर्मी के सामने सर्द रात में बच्चे का ध्यान रखना मुश्किल हो गया.

बाल शिशु गृह संचालक वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि इन लोगों के आने की जानकारी शाम 7 बजे हुई है. बच्चे को डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर के अनुसार यह विशेष श्रेणी का बच्चा है, जिसे मेडिकल केयर की जरूरत है. लेकिन शेल्टर पर पहले से ही 10 से ज्यादा 16 बच्चे हैं. जिसमें तीन विशेष श्रेणी के हैं. इनका रखरखाव समुचित तरीके से संभव नहीं है. ऐसे में इस पूरे मामले से सीडब्लूसी चन्दौली को अवगत कराया गया, तो उन्होंने सुपुर्दगी के बजाए किसी अन्य संस्था में भेजने संबंधी आदेश दिया है.

पढ़ें: स्टेशनों की सुरक्षा परिकल्पना तैयार, RPF की शक्तियों में भी होगा इजाफा: डीजी रेलवे

Intro:चन्दौली - सरकार शेल्टर होम को हरसंभव मदद कर रही है ताकि वे निराश्रितों का ख्याल रखे. जिसे अपने अपनाने से इंकार कर दें उन्हें अपनाए. लेकिन गुरुवार की देर रात दीनदयाल नगर स्थित बाल शिशु गृह की अमानवीयता देखने को मिली.जब 8 दिन के मासूम को शेल्टर होम ने इसलिए इंकार कर दिया. क्योंकि उसकी शारीरिक विषमता की वजह से वजह उसके अपने भी साथ छोड़ दिये. इन सब के बीएचयू के डॉक्टर भगवान बनकर सामने आए और इलाज कर न सिर्फ उसकी जान बचाई बल्कि आगे की देखभाल के लिए चाइल्ड लाइन वाराणसी को सौंप दिया. जिसके बेहतर देखभाल के लिए दीनदयाल नगर स्थित शेल्टर होम लाया गया. लेकिन संस्था ने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया की उसके पास पहले से ही क्षमता से अधिक बच्चे है. जबकि चाइल्ड लाइन कर्मी हर हाल में बच्चे सुपुर्द करना चाहती है. इस दौरान दोनों संस्थाओं की आपसी खींचतान के बीच 8 दिन के नौनिहाल को शेल्टर होम में जगह नहीं मिल सकी.मामला मीडिया में आने के बाद जिले के उच्च अधिकारियों हस्तक्षेप के बाद दोनों संस्थाओं के लोग बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुँचे.

Body:दरअसल 28 नवम्बर एक महिला बीएचयू अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के बाद उसे वहीं छोड़कर चली गयी थी. इसकी सूचना बीएचयू प्रशासन की तरफ चाइल्ड लाइन वाराणसी को दी गई. हालांकि यह शिशु विशेष श्रेणी का है. नवजात के मलद्वार का हिस्सा पूर्ण रुप से विकसित नही होने के चलते चिकित्सको ने उसका वहीं उपचार किया. जिसके बाद बच्चे को सीडब्लूसी वाराणसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया. जिसके बाद चाइल्ड लाइन कर्मियों को मुगलसराय स्थित गौतम बुद्ध सेवा समिति बाल शिशु गृह रखने का आदेश दिया. जिसके बाद चाइल्ड लाइन कर्मी संतोष बच्चे को संस्थान की एक महिला कर्मी के साथ लेकर शाम 5 बजे बाल शिशु गृह पहुंचे और बच्चे की सुपुर्दगी की बात कही. लेकिन शेल्टर होम संचालक ने सुपुर्दगी लेने रखने के बजाय थोड़ी देर में चिकित्सक से वार्ता करके आने बात कहकर वहां से चले गए. करीब 3 घंटे बाद वापस आये और सीडब्लूसी चंदौली का आदेश दिखाते हुए बच्चे की सुपुर्दगी से सीधे तौर पर इंकार कर दिया. चाइल्ड लाइन कर्मी के सामने सर्द रात में बच्चे को रखने की समस्या खड़ी हो गई.

बाइट - संतोष पांडेय (चाइल्ड लाइन कर्मी)

हालांकि इस बाबत बाल शिशु गृह संचालक वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि इन लोगों के आने की जानकारी शाम 7 बजे हुई है. जानकारी के बाद बच्चे को डॉक्टर को दिखाया गया. डॉक्टर के अनुसार यह विशेष श्रेणी का बच्चा है. जिसे मेडिकल केयर की जरूरत है. लेकिन शेल्टर पर पहले से ही 10 कि जगह 16 बच्चे है. जिसमें तीन विशेष श्रेणी के है. जिनका रखरखाव समुचित तरीके से संभव नहीं है. ऐसे में इस पूरे मामले से सीडब्लूसी चन्दौली को अवगत कराया गया तो उन्होंने सुपुर्दगी के बजाय किसी अन्य संस्था में भेजने संबंधी आदेश दिया है.

बाइट - वीरेंद्र प्रताप सिंह (प्रबंधक बाल शिशु गृह)

बहरहाल दोनो संस्थानों की विवशताओं के बीच आठ दिन का शिशु छत के लिए छह घंटे तक तरसता रहा.बाद में जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद देर रात 11 बजे दोनो संस्थानों के सहयोग से बच्चे को जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया गया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये बच्चा जाएगा कहां ?Conclusion:Kamalesh giri
Chandauli
9452845730

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