चन्दौली: इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाने वाला मोहर्रम पूरे देश में मनाया जाता है. जिले में मातम का यह त्योहार कुछ अलग अंदाज में ही मनाया जाता है. यहां पर लोग आग का मातम करते हैं. मोहर्रम महीने की नौंवी-दसवीं की आधी रात को यहां पर लोग जलते हुए अंगारों पर चलकर मातम मनाते हैं. यह परंपरा पिछले 32 सालों से यहां पर चली आ रही है. लोगों का मानना है कि अंगारों पर चलने में उन्हें कोई भी तकलीफ नहीं होती.
मोहर्रम के मौके पर आग का मातम
- जिले के गांव दुलहीपुर मे मोहर्रम के मौके पर आग का मातम मनाने के लिए लोग सुबह से ही तैयारी में जुट जाते हैं.
- गांव के बीच इमामबाड़े के सामने तकरीबन 6 फीट लंबा और ढाई फीट चौड़ा गड्ढा खोदा जाता है.
- शाम के वक्त उसमें लकड़ियों को चिता के रूप में सजाया जाता है और आग लगा दी जाती है.
- आधी रात होते होते ये लकड़ियां आग के शोलों के रूप में तब्दील हो जाती है.
- आयोजक मण्डल के लोग इन शोलों को बांस-बल्ली से पीटकर गड्ढे में ठीक से बिछा देते हैं.
- इसके बाद मातम मनाने वाले लोग इन अंगारों पर चलते हुए इसे पार करते हैं.
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