चंदौली: जिले का सृजन हुए करीब 23 साल हो गए हैं, लेकिन अब तक न्यायालय भवन निर्माण के लिए जिला प्रशासन मानक के अनुसार जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी. जबकि उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण की ओर से मांगी गई शपथ पत्र में जिला प्रशासन ने कृषि फार्म की कब्जे वाली जमीन देने की बात कही. तब से अबतक एक लंबा समय बीत जाने और आंदोलनों के बावजूद न्यायालय के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो सकी. जिला प्रशासन के इस रवैये से सोमवार को आक्रोशित अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे. साथ ही एक सप्ताह का अल्टीमेटम देते हुए आत्मदाह की चेतावनी दी.
तहसील परिसर में चल रहा न्यायालय
दअरसल, जिले में न्यायालय भवन का निर्माण नहीं होने से सदर तहसील के साथ ही जूनियर हाई स्कूल परिसर में बने कमरों में विभिन्न न्यायालय संचालित हो रहा है. इससे न्यायिक अधिकारियों के साथ ही अधिवक्ताओं और वादकारियों को तमाम तरह की समस्याएं उठानी पड़ रही हैं. इसको लेकर अधिवक्ता लम्बे समय से आवाज बुलंद कर रहे हैं. यहां तक कि कई दिनों तक आंदोलन कर चुके हैं. बावजूद न्यायालय भवन निर्माण के लिए जमीन अभी तक मुहैया नहीं करायी गई है. इससे जिला का विकास में गति नहीं मिल पा रही है.
हाईकोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन
डिस्ट्रिक्ट डेमोके्रटिक बार एसोसिएशन के महामंत्री झंमेजय सिंह ने बताया कि न्यायालय निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने के लिए 2014 में पीआईएल दाखिल किया गया था. पीआईएल नम्बर 33849114 में उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ने जिले की समस्याओं को गंभीरता से लिया और प्रमुख सचिव न्याय से शपथ पत्र मांगा. उनकी ओर से दिए गए शपथ पत्र से संतुष्ट न होने पर जिला प्रशासन को शपथ पत्र देने का निर्देश दिया गया था. इस पर जिला प्रशासन ने उस समय अपने शपथ पत्र में 52 बीघा जमीन कृषि फार्म की कब्जे वाली भूमि के साथ ही शेष जमीन कास्तकारों से देने की बात कही थी. इसमें 11 बीघा कृषि फार्म की जमीन भी दे दी गई. अब न्यायालय के लिए सिर्फ 35 बीघा ही जमीन चाहिए. लेकिन अब जिला प्रशासन कृषि फार्म की जमीन देने से मुकर रहा है. इससे न्यायालय भवन निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है.
जिलाधिकारी और न्यायिक अधिकारी नहीं ले रहे दिलचस्पी
उन्होने कहा कि 2019 में अधिवक्ताओं का आंदोलन जिलाधिकारी के एक महीने के अंदर जमीन अधिग्रहण के आश्वासन पर समाप्त हुआ. लेकिन अबतक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कि गई. जिला प्रशासन चाहे तो हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में शपत पत्र में वर्णित जमीन को देकर लटके हुए न्यायालय निर्माण को शीघ्र ही आरम्भ करा सकते है. परंतु मंशा विपरीत प्रतीत हो रही है. यहीं नहीं न्यायिक अधिकारी हाईकोर्ट के कंप्लायंस में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है.
अधिवक्ता ने दी आत्मदाह की चेतावनी
ऐसे में डिस्ट्रिक्ट डेमोक्रेटिक बार एसोसिएशन के महामंत्री झंमेजय सिंह ने कहा एक अप्रैल को दोबारा बार की बैठक होगी. जिसमें आगे के आंदोलन की रूप रेखा तय की जाएगी. साथ ही आदेश के अनुपालन कराये जाने के लिए हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जाएगी. बावजूद इसके यदि न्यायालय निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं कि जा सकी तो कचहरी के बाहर चिता लगाकर आत्मदाह करेंगे.