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कृषि विभाग ने ढूंढ़ निकाली पराली निस्तारण की विधि, जानिए कैसे

यूपी के चंदौली जिले में कृषि विभाग ने पराली निस्तारण की विधि ढूंढ़ निकाली है. इससे किसान को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेत मे खाद भी तैयार होगी, जो फसल को भी लाभ पहुंचाएगी

पराली निस्तारण की विधि
पराली निस्तारण की विधि
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Published : Dec 14, 2020, 8:10 AM IST

चंदौली: एनजीटी की सख्ती के बाद किसानों के लिए पराली निस्तारण बड़ी समस्या बनकर उभरी है. लेकिन कृषि विभाग ने पराली को खाद में तब्दील करने की विधि ढूंढ़ ली है. दो किलो गुड़,बेसन को वेस्ट डी कम्पोजर रासायनिक दवा को मिलाकर इसे तैयार किया जा सकता है, जिससे पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेत मे खाद भी तैयार होगा, जो फसल को भी लाभ पहुंचाएगा.

जानकारी देते कृषि उप निदेशक
मात्र सौ में रुपये तैयार हो जाएगा घोलखेतों में पड़ी पराली को खाद बनाने का तरीका बेहद आसान और किफायती है. मात्र 100 रुपये में दो सौ लीटर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है. इस घोल का कटाई के बाद छिड़काव करने पर पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी. इससे किसानों को पराली जलाने से निजात मिलेगी. साथ ही खेत की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी. बीज का उपचार और हरी फसल को टॉनिक भी मिलेगा.
chandauli news
वेस्ट डी कम्पोजर की दवा और दो किलो गुड़, और एक किलो बेसन को दो सौ लीटर पानी में डालकर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है.
गुड़, बेसन और वेस्ट डी कम्पोजर का कॉम्बिनेशनखेतों में पराली जलाने से जहां मिट्टी के जीवाश्म समाप्त हो जाते हैं, वहीं उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है. पराली को खाद में तब्दील करने के लिए बीज गोदाम पर मात्र बीस रुपये में वेस्ट डी कम्पोजर की दवा और दो किलो गुड़, और एक किलो बेसन को दो सौ लीटर पानी में डालकर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है.
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इस घोल का कटाई के बाद छिड़काव करने पर पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी
छिड़काव के एक सप्ताह बाद खाद बन जायेगा परालीदो सौ लीटर जैविक घोल से करीब दो हेक्टेयर खेतों की पराली को खाद के रूप में तब्दील किया जा सकता है. घोल फाइबर या प्लास्टिक के ड्रम में बनाना होगा. सात दिन तक 24 घंटे में एक बार घोल को लकड़ी के डंडे से मिश्रण के बाद घोल तैयार हो जाएगा. कटाई से एक सप्ताह पूर्व घोल तैयार कर कटाई के तुंरत बाद छिड़काव करना होगा. इसके छिड़काव के एक सप्ताह बाद पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी.
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इससे किसान को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेत मे खाद भी तैयार होगी
'वेस्ट डी कम्पोजर और गुड़, बेसन से तैयार जैविक घोल पराली को खाद के रूप में तब्दील कर देगा. इससे किसानों को पराली जलाने से निजात मिलने के साथ ही उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी.

चंदौली: एनजीटी की सख्ती के बाद किसानों के लिए पराली निस्तारण बड़ी समस्या बनकर उभरी है. लेकिन कृषि विभाग ने पराली को खाद में तब्दील करने की विधि ढूंढ़ ली है. दो किलो गुड़,बेसन को वेस्ट डी कम्पोजर रासायनिक दवा को मिलाकर इसे तैयार किया जा सकता है, जिससे पराली को जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेत मे खाद भी तैयार होगा, जो फसल को भी लाभ पहुंचाएगा.

जानकारी देते कृषि उप निदेशक
मात्र सौ में रुपये तैयार हो जाएगा घोलखेतों में पड़ी पराली को खाद बनाने का तरीका बेहद आसान और किफायती है. मात्र 100 रुपये में दो सौ लीटर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है. इस घोल का कटाई के बाद छिड़काव करने पर पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी. इससे किसानों को पराली जलाने से निजात मिलेगी. साथ ही खेत की उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी. बीज का उपचार और हरी फसल को टॉनिक भी मिलेगा.
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वेस्ट डी कम्पोजर की दवा और दो किलो गुड़, और एक किलो बेसन को दो सौ लीटर पानी में डालकर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है.
गुड़, बेसन और वेस्ट डी कम्पोजर का कॉम्बिनेशनखेतों में पराली जलाने से जहां मिट्टी के जीवाश्म समाप्त हो जाते हैं, वहीं उत्पादन क्षमता भी कम हो जाती है. पराली को खाद में तब्दील करने के लिए बीज गोदाम पर मात्र बीस रुपये में वेस्ट डी कम्पोजर की दवा और दो किलो गुड़, और एक किलो बेसन को दो सौ लीटर पानी में डालकर जैविक घोल तैयार किया जा सकता है.
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इस घोल का कटाई के बाद छिड़काव करने पर पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी
छिड़काव के एक सप्ताह बाद खाद बन जायेगा परालीदो सौ लीटर जैविक घोल से करीब दो हेक्टेयर खेतों की पराली को खाद के रूप में तब्दील किया जा सकता है. घोल फाइबर या प्लास्टिक के ड्रम में बनाना होगा. सात दिन तक 24 घंटे में एक बार घोल को लकड़ी के डंडे से मिश्रण के बाद घोल तैयार हो जाएगा. कटाई से एक सप्ताह पूर्व घोल तैयार कर कटाई के तुंरत बाद छिड़काव करना होगा. इसके छिड़काव के एक सप्ताह बाद पराली खाद के रूप में तब्दील हो जाएगी.
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इससे किसान को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और खेत मे खाद भी तैयार होगी
'वेस्ट डी कम्पोजर और गुड़, बेसन से तैयार जैविक घोल पराली को खाद के रूप में तब्दील कर देगा. इससे किसानों को पराली जलाने से निजात मिलने के साथ ही उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी.
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