चंदौली: कोरोना की इस दूसरी लहर में प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मनमर्जी फीस वसूलना किसी से छिपा नहीं है. इन कुछ महीनों में प्राइवेट अस्पताल संचालक कोविड संक्रमण को आमदनी का जरिया बना कर खूब धन उगाही की, जिसकी शिकायत विभिन्न माध्यमों से जिला प्रशासन तक पहुंचती रही, जिसके मद्देनजर शासन ने अब मरीजों के इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी किया है.
प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार, सैंपलिग के लिए अधिकतम 900 और इलाज के लिए 9 हजार रुपये रोजाना से अधिक खर्च नहीं ले सकते हैं. इससे अधिक वसूलने की शिकायत मिली तो संबंधित अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
निजी अस्पतालों को दी गई चेतावनी
दरअसल, निजी अस्पतालों में प्रतिदिन ऑक्सीजन बेड का 25 हजार रुपये चार्ज करने की शिकायतें मिल रही थीं. वहीं मरीज की हालत बिगड़ने पर सरकारी एल-टू अस्पतालों के लिए रेफर कर देते थे. इससे गरीब मरीजों के इलाज में परेशानी हो गई थी, जिसके मद्देनजर प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है, जिसके तहत मानक की अनदेखी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
तय किए गए रेट
बता दें कि शासन की गाइडलाइन के मुताबिक, यदि लैब के कर्मी जाकर खुद सैंपल इकट्ठा करेंगे तो 900 रुपये ले सकते हैं. वहीं यदि सरकारी कर्मचारी अथवा प्राधिकारी सैंपल ले जाकर निजी लैंब में जांच कराता है तो उससे अधिकतम 500 रुपये शुल्क लिया जा सकता है. इसी प्रकार निजी नर्सिंग होम आक्सीजन सपोर्ट से लैस आइसोलेशन बेड का एक दिन का अधिकतम 4800 रुपये ले सकते हैं. बिना वेंटिलेटर के आईसीयू का 7800 और आईसीयू विथ वेंटिलेटर का 9 हजार लिया जा सकता है. वहीं निजी अस्पतालों के लिए लागू पैकेज में रेमडेसिविर इंजेक्शन को शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में निजी अस्पताल यदि इसका इस्तेमाल करते हैं तो अलग से इसका चार्ज ले सकते हैं.
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इस संबंध में सीएमओ डॉक्टर वीपी द्विवेदी ने बताया कि शासन ने कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है. इस पर दिए निर्देश के अनुसार ही प्राइवेट अस्पताल चार्ज कर सकते हैं. इससे अधिक वसूलने पर अस्पताल व उनके संचालकों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.