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बेवफा पत्नी को मिली आजीवन कारावास की सजा, जानिए क्या है पूरा मामला... - चंदौली की न्यूज़

चंदौली के अपर जनपद सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए साक्ष्य के आधार पर पति की हत्या के प्रयास में पत्नी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

बेवफा पत्नी को मिली आजीवन कारावास की सजा
बेवफा पत्नी को मिली आजीवन कारावास की सजा
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Published : Sep 20, 2021, 8:39 PM IST

चंदौलीः जिले में पति की हत्या के प्रयास के आरोप में पत्नी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं पांच हजार रुपया जुर्माना भी लगाया है. अपर जनपद सत्र न्यायाधीश और विशेष पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है. जुर्माना अदा न करने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा देने का आदेश भी दिया है.

शहाबगंज थाना क्षेत्र के भूसीकृत पुरवा निवासी धनंजय कुमार ने 15 मार्च 2015 को थाने में तहरीर दी थी. आरोप था कि पिता दीनानाथ और मां कमलावती देवी के बीच उस दिन झगड़ा हुआ था. रात में एक ही कमरे में सोए थे. इस बीच सुबह करीब साढ़े तीन बजे सोये हुए पिता के ऊपर मां ने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया. पिता के चिल्लाने से वो जग गए. इस पर कुल्हाड़ी छोड़कर मां भाग गई.

पत्नी को आजीवन कारावास की सजा
पत्नी को आजीवन कारावास की सजा

वहीं ग्रामीणों की मदद से घायल पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके शरीर पर कुल 12 चोट के निशान पाए गए हैं. इस संबंध में कमलावती देवी के साथ ही उसके भाई मनोहर और भतीजे संतोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. पुलिस ने विवेचना कर न्यायालय में प्रकरण को प्रस्तुत किया. इस दौरान साक्ष्य में यह बात सामने आयी कि कमलावती का उसके बहनोई से अवैध संबंध था. इसलिए आए दिन झगड़ा होता रहता था.

इसकी सुनवाई सोमवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत में हुई. इस दौरान विशेष अधिवक्ता पॉक्सो शमशेर बहादुर सिंह ने तर्क प्रस्तुत किया. इसपर न्यायाधीश ने साक्ष्य के आधार पर कमलावती को दोषी पाते हुए धारा 307 भारतीय दण्ड संहिता में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं पांच हजार रुपया अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड न देने पर छह माह की अतिरक्त सजा भुगतनी होगी.

इसे भी पढ़ें- महंत नरेन्द्र गिरि मौत: सुसाइड नोट में शिष्य का जिक्र, जानिए क्या था विवाद

इसके अलावा धारा 326 में 10 वर्ष की कठोर सजा और 3 हजार रुपया जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा न करने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा और धारा 324 आईपीसी में तीन वर्ष की सजा व 2 हजार रुपया अर्थदंड लगाया. अर्थदंड न अदा करने पर दो माह की अतिरिक्त सजा से दंडित किये जाने के आदेश दिए गए है. वहीं कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष ने इसको इंसाफ की जीत बताई है.

चंदौलीः जिले में पति की हत्या के प्रयास के आरोप में पत्नी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. वहीं पांच हजार रुपया जुर्माना भी लगाया है. अपर जनपद सत्र न्यायाधीश और विशेष पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है. जुर्माना अदा न करने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा देने का आदेश भी दिया है.

शहाबगंज थाना क्षेत्र के भूसीकृत पुरवा निवासी धनंजय कुमार ने 15 मार्च 2015 को थाने में तहरीर दी थी. आरोप था कि पिता दीनानाथ और मां कमलावती देवी के बीच उस दिन झगड़ा हुआ था. रात में एक ही कमरे में सोए थे. इस बीच सुबह करीब साढ़े तीन बजे सोये हुए पिता के ऊपर मां ने कुल्हाड़ी से हमला कर दिया. पिता के चिल्लाने से वो जग गए. इस पर कुल्हाड़ी छोड़कर मां भाग गई.

पत्नी को आजीवन कारावास की सजा
पत्नी को आजीवन कारावास की सजा

वहीं ग्रामीणों की मदद से घायल पिता को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनके शरीर पर कुल 12 चोट के निशान पाए गए हैं. इस संबंध में कमलावती देवी के साथ ही उसके भाई मनोहर और भतीजे संतोष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया. पुलिस ने विवेचना कर न्यायालय में प्रकरण को प्रस्तुत किया. इस दौरान साक्ष्य में यह बात सामने आयी कि कमलावती का उसके बहनोई से अवैध संबंध था. इसलिए आए दिन झगड़ा होता रहता था.

इसकी सुनवाई सोमवार को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो राजेंद्र प्रसाद की अदालत में हुई. इस दौरान विशेष अधिवक्ता पॉक्सो शमशेर बहादुर सिंह ने तर्क प्रस्तुत किया. इसपर न्यायाधीश ने साक्ष्य के आधार पर कमलावती को दोषी पाते हुए धारा 307 भारतीय दण्ड संहिता में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं पांच हजार रुपया अर्थदंड से दंडित किया. अर्थदंड न देने पर छह माह की अतिरक्त सजा भुगतनी होगी.

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इसके अलावा धारा 326 में 10 वर्ष की कठोर सजा और 3 हजार रुपया जुर्माना लगाया. जुर्माना अदा न करने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा और धारा 324 आईपीसी में तीन वर्ष की सजा व 2 हजार रुपया अर्थदंड लगाया. अर्थदंड न अदा करने पर दो माह की अतिरिक्त सजा से दंडित किये जाने के आदेश दिए गए है. वहीं कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष ने इसको इंसाफ की जीत बताई है.

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