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मुरादाबाद: लोगों ने मानी PM मोदी के 'मन की बात', बदल दी गांव की तस्वीर - पीएम मोदी ने की पानी बचाने की अपील

पीएम मोदी ने अपने मन की बात के दौरान पानी बचाने की मुहिम को जन आंदोलन बनाने की बात कही थी. इसके लिए प्रधानमंत्री ने एकजुट होकर प्रयास करने की अपील की थी. यूपी के मुरादाबाद जिले के एक गांव में लोगों ने पीएम की इस अपील को गंभीरता से लिया और एक मिसाल कायम कर दी.

मुरादाबाद में ग्रामीणों ने जल संरक्षण की दिशा में की नई पहल.
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Published : Jul 26, 2019, 8:22 PM IST

मुरादाबाद: कुंदरकी ब्लॉक के लालपुर-गंगवाली गांव ने जल संरक्षण की दिशा में मिसाल कायम की है. पर्यावरण और बारिश के जल को बचाने की कवायद में यह गांव अपने प्रयासों से अन्य गांवों से कहीं आगे निकल गया है. प्रधानमंत्री के जल बचाने के आह्वान पर यहां के ग्रामीणों ने एकजुट होकर सूख चुके एक तालाब को नया जीवन दिया है. गांव की नालियों में बहते और बर्बाद हो रहे पानी को ग्रामीणों ने तालाब तक पहुंचाया और एक सूखते तालाब को उसकी पहचान लौटा दी.

मुरादाबाद में ग्रामीणों ने जल संरक्षण की दिशा में की नई पहल.
पीएम मोदी के मन की बात से मिली प्रेरणा मुरादाबाद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कुंदरकी ब्लॉक स्थित गांव लालपुर-गंगवारी के ग्रामीणों ने यह पहल की है. पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग किसान हैं. पिछले कुछ सालों के दौरान गिरते भूजल स्तर ने इस गांव के किसानों को भी चिंतित किया है. इसके चलते फसलों के लिए पानी जुटाना हर साल इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में जल संरक्षण को लेकर चर्चा और पानी बचाने को लेकर प्रधानमंत्री का आह्वान इस गांव के लिए एक रास्ता लेकर आया. ग्रामीणों ने अपने प्रयास से एक 'पानी बचाव दल' तैयार किया और गांव के बाहर सूख चुके तालाब को जिंदा करने की शपथ ली. मंदिर के पुजारी और मस्जिद के इमाम ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और तालाब में पानी पहुंचा दिया.

कैसे बदली तस्वीर
ग्रामीणों ने अपने अभियान को लेकर कई बैठकें की और लोगों को इस अभियान से जोड़ा. इसके बाद पानी बचाव दल ने गांव की नालियों में बर्बाद होने वाले पानी को तालाब की ओर मोड़ दिया. इसके लिए छोटी-छोटी नालियां तैयार की गईं. छोटे-छोटे कदमों से शुरू हुई यह पहल अब अपनी मंजिल तक पहुंच गई है. सालों से सूखा पड़ा यह तालाब अब पानी से लबालब भरा है. तालाब को उसकी पहचान मिली तो गांव के पुराने दिन मानो वापस आ गए.

पहल को आगे ले जाने की तैयारी
गंगवारी गांव के सूखे तालाब को उसकी खोई पहचान दिलाने के बाद ग्रामीणों की नजर अब दूसरे तालाबों पर है. इसके लिए ग्रामीणों ने तैयारियां शुरु कर दी हैं. बंजर जमीन में तब्दील तालाबों को नया जीवन देने की ये मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है और गंगवारी गांव अब अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन चुका है. आसपास के गांव वाले उनकी इस कोशिश से प्रभावित हैं और अपने यहां भी ऐसा प्रयास करने की बात कह रहे हैं.

मुरादाबाद: कुंदरकी ब्लॉक के लालपुर-गंगवाली गांव ने जल संरक्षण की दिशा में मिसाल कायम की है. पर्यावरण और बारिश के जल को बचाने की कवायद में यह गांव अपने प्रयासों से अन्य गांवों से कहीं आगे निकल गया है. प्रधानमंत्री के जल बचाने के आह्वान पर यहां के ग्रामीणों ने एकजुट होकर सूख चुके एक तालाब को नया जीवन दिया है. गांव की नालियों में बहते और बर्बाद हो रहे पानी को ग्रामीणों ने तालाब तक पहुंचाया और एक सूखते तालाब को उसकी पहचान लौटा दी.

मुरादाबाद में ग्रामीणों ने जल संरक्षण की दिशा में की नई पहल.
पीएम मोदी के मन की बात से मिली प्रेरणा मुरादाबाद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कुंदरकी ब्लॉक स्थित गांव लालपुर-गंगवारी के ग्रामीणों ने यह पहल की है. पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग किसान हैं. पिछले कुछ सालों के दौरान गिरते भूजल स्तर ने इस गांव के किसानों को भी चिंतित किया है. इसके चलते फसलों के लिए पानी जुटाना हर साल इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में जल संरक्षण को लेकर चर्चा और पानी बचाने को लेकर प्रधानमंत्री का आह्वान इस गांव के लिए एक रास्ता लेकर आया. ग्रामीणों ने अपने प्रयास से एक 'पानी बचाव दल' तैयार किया और गांव के बाहर सूख चुके तालाब को जिंदा करने की शपथ ली. मंदिर के पुजारी और मस्जिद के इमाम ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और तालाब में पानी पहुंचा दिया.

कैसे बदली तस्वीर
ग्रामीणों ने अपने अभियान को लेकर कई बैठकें की और लोगों को इस अभियान से जोड़ा. इसके बाद पानी बचाव दल ने गांव की नालियों में बर्बाद होने वाले पानी को तालाब की ओर मोड़ दिया. इसके लिए छोटी-छोटी नालियां तैयार की गईं. छोटे-छोटे कदमों से शुरू हुई यह पहल अब अपनी मंजिल तक पहुंच गई है. सालों से सूखा पड़ा यह तालाब अब पानी से लबालब भरा है. तालाब को उसकी पहचान मिली तो गांव के पुराने दिन मानो वापस आ गए.

पहल को आगे ले जाने की तैयारी
गंगवारी गांव के सूखे तालाब को उसकी खोई पहचान दिलाने के बाद ग्रामीणों की नजर अब दूसरे तालाबों पर है. इसके लिए ग्रामीणों ने तैयारियां शुरु कर दी हैं. बंजर जमीन में तब्दील तालाबों को नया जीवन देने की ये मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है और गंगवारी गांव अब अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन चुका है. आसपास के गांव वाले उनकी इस कोशिश से प्रभावित हैं और अपने यहां भी ऐसा प्रयास करने की बात कह रहे हैं.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है मुरादाबाद जनपद के एक गांव ने. पर्यावरण बचाने और बरसात के जल को बचाने की कवायद में यह गांव अपने प्रयासों से अन्य गांवों से कही आगे निकल गया है. प्रधानमंत्री के जल बचाने के आह्वान पर इस गांव के ग्रामीणों ने एकजुट होकर सुख चुके एक तालाब को नया जीवन दिया है. गांव की नालियों में बहते और बर्बाद हो रहें पानी को ग्रामीणों ने तालाब तक पहुंचाया और एक सूखते तालाब को उसकी पहचान लौटा दी.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद जनपद मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर कुंदरकी ब्लाक का एक गांव लालपुर- गंगवारी. पांच हजार आबादी वाले इस गांव में ज्यादातर लोग किसान परिवारों से ताल्लुक रखते है. पिछले कुछ सालों में गिरते भूजल स्तर ने इस गांव के किसानों को भी चिंतित किया है और फसलों के लिए पानी जुटाना हर साल इनके लिए मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में जल संरक्षण को लेकर चर्चा और पानी बचाने को लेकर प्रधानमंत्री का आह्वान इस गांव के लिए एक रास्ता लेकर आया. ग्रामीणों ने अपने प्रयाश से एक पानी बचाव दल तैयार किया और गांव के बाहर सुख चुके तालाब को जिंदा करने की शपथ ली. मंदिर के पुजारी और मस्जिद के इमाम सबने इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और आज नतीजा सबके सामने है.
बाईट: तूफान सिंह- स्थानीय पुजारी
वीओ तीन: ग्रामीणों ने अपने अभियान को लेकर कई बैठके की और लोगों को अभियान से जोड़ा. इसके बाद पानी बचाव दल ने गांव की नालियों में बर्बाद होने वाले पानी का रुख तालाब की और किया और छोटी-छोटी नालियां तैयार कर बर्बाद हो रहें पानी को तालाब में पहुंचाया. छोटे- छोटे कदमों से शुरू हुई यह शुरुआत अब अपनी मंजिल तक पहुंच गई है और कल तक सूखा रहने वाला यह तालाब आज पानी को जमा कर खुद की पहचान बता रहा है. तालाब को उसकी पहचान मिली तो गांव के पुराने दिन मानो वापस आ गए और ग्रामीण अपने जानवरो के साथ तालाब में उतर कर खुद की मेहनत को सलाम करते नजर आने लगे.
बाईट: मोहम्मद रफी- स्थानीय निवासी


Conclusion:वीओ तीन: गंगवारी गांव के सुख चुके इस तालाब को उसकी खोई पहचान दिलाने के बाद ग्रामीण अब दूसरे तालाब को उसकी पहचान दिलाने की तैयारी कर रहें है. बंजर जमीन में तब्दील तालाबों को नया जीवन देने की ये मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है और गंगवारी गांव अब अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन चुका है. भूमिगत जल बचाने के लिए बरसात के बर्बाद होते पानी को संरक्षित करने की आवश्यकता है और ग्रामीणों का यह प्रयास इस दिशा में उठाया गया एक कदम. आवश्यकता है ऐसे कई प्रयासों की जो हर तालाब को उसकी पहचान लौटाए ताकि आने वाली पीढ़ियां तस्वीरों के बजाय हकीकत में तालाब देख सकें और जल की आवश्यकता को समझ सकें.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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