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मुरादाबाद: सरकारी सिस्टम को ग्रामीणों ने दिखाया आईना, खुद के लिए बनाया रास्ता

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को आईना दिखाने का काम कर दिखाया है. छजलैट ब्लॉक के ग्रामीणों की सालों से प्रशासन से मांग थी कि गागन नदी पर एक स्थाई पुल का निर्माण करा दिया जाए. जब मांग पूरी नहीं हुई तो ग्रामीणों ने अपने धन और जज्बे से अस्थाई पुल का निर्माण कर लिया.

ग्रामीणों ने खुद से बनाई पुल.
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Published : Nov 14, 2019, 7:46 PM IST

मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है, मुरादाबाद जनपद के एक गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने. सालों से गांव के पास बह रही गागन नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहें ग्रामीणों की जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद पुल बनाने का फैसला किया.

ग्रामीणों ने सरकारी मदद को ताक पर रख खुद से बनाया पुल.

ग्रामीणों की पहल पर डेढ़ लाख का चंदा जमा हुआ. इससे पुल निर्माण के लिए पाइप और सीमेंट की खरीदारी की गई. पन्द्रह दिन खुद मेहनत कर ग्रामीणों ने पुल तैयार किया और अब इस पुल पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई है. पुल बनने से मुरादाबाद और अमरोहा जनपद के बीच जहां दूरी कम हुई है. वहीं ग्रामीणों को भी कई किलोमीटर का चक्कर लगाने से राहत मिली है.

एक लाख चंदा इकट्ठा कर बना अस्थाई पुल
छजलैट ब्लॉक के मोढ़ा तेहिया गांव के रहने वाले ग्रामीणों की मेहनत से बना यह पुल सरकारी सिस्टम को आइना दिखाता नजर आता है. दरअसल, मुरादाबाद और अमरोहा की सीमा पर बसें इस गांव के बाहर गागन नदी बहती है, जो बरसात के मौसम में नदी कम आवेग से बहती है. ग्रामीणों को नदी पार अपने खेतों में जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. साथ ही नदी पार के ग्रामीण भी दूसरे रास्तों से आस-पास के गांवों तक पहुंचते हैं. पुल न होने के चलते जहां ग्रामीणों का अधिक समय बर्बाद होता है. वहीं यह सफर काफी मुसीबत भरा भी होता है.

पढे़ं- लखनऊ: नदियों में गंदगी का अंबार देख कार्तिक पूर्णिमा पर बिना स्नान किए वापस लौटे श्रद्धालु

बारिश के समय अपने उफान पर होती गागन नदी
सालों से गागन नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहें ग्रामीणों को जब पुल के बजाय सिर्फ आश्वासन मिला तो उन्होंने खुद पुल निर्माण का जिम्मा उठाया. गांव के लोगों ने चंदा जमाकर पुल बनाने का काम शुरू किया और पन्द्रह दिन की मेहनत के बाद डेढ़ लाख रुपये में वैकल्पिक पुल तैयार कर लिया. इस पुल के बनने से जहां ग्रामीण बिना परेशानी के आवाजाही कर रहें हैं. वहीं किसान टैक्टर ट्रालियों की मदद से अपनी फसल खेतों से ले और जा रहें है. ग्रामीणों के मुताबिक बरसात के समय यह पुल नदी के तेज बहाव के चलते हटाना पड़ेगा. इसके बाद फिर परेशानियां शुरू होंगी. स्थानीय लोग अब भी प्रशासन से स्थायी पुल निर्माण करने की मांग कर रहें है.

पढे़ं- मुरादाबाद: तबेले में तब्दील हुए ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र, दर-दर भटक रहे मरीज

उम्मीद की अब भी मिल जाए स्थाई पुल
ग्रामीणों के इस प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है. मुसीबतों से भागने के बजाय मुसीबत को हराने की यह पहल कई लोगों के लिए प्रेरणा भी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के आश्वासनों को पीछे छोड़, ग्रामीण खुद अपनी समस्या सुलझाने आगे बढ़े हैं. उम्मीद की जानी चाहिए की लोगों की सालों पुरानी मांग पर अधिकारी गौर करेंगे और इन्हें स्थायी पुल का तोहफा देकर इनके प्रयास को स्वीकार कर इन्हें स्थाई पुल दिलाने का काम करेंगे.

मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है, मुरादाबाद जनपद के एक गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने. सालों से गांव के पास बह रही गागन नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहें ग्रामीणों की जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद पुल बनाने का फैसला किया.

ग्रामीणों ने सरकारी मदद को ताक पर रख खुद से बनाया पुल.

ग्रामीणों की पहल पर डेढ़ लाख का चंदा जमा हुआ. इससे पुल निर्माण के लिए पाइप और सीमेंट की खरीदारी की गई. पन्द्रह दिन खुद मेहनत कर ग्रामीणों ने पुल तैयार किया और अब इस पुल पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई है. पुल बनने से मुरादाबाद और अमरोहा जनपद के बीच जहां दूरी कम हुई है. वहीं ग्रामीणों को भी कई किलोमीटर का चक्कर लगाने से राहत मिली है.

एक लाख चंदा इकट्ठा कर बना अस्थाई पुल
छजलैट ब्लॉक के मोढ़ा तेहिया गांव के रहने वाले ग्रामीणों की मेहनत से बना यह पुल सरकारी सिस्टम को आइना दिखाता नजर आता है. दरअसल, मुरादाबाद और अमरोहा की सीमा पर बसें इस गांव के बाहर गागन नदी बहती है, जो बरसात के मौसम में नदी कम आवेग से बहती है. ग्रामीणों को नदी पार अपने खेतों में जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. साथ ही नदी पार के ग्रामीण भी दूसरे रास्तों से आस-पास के गांवों तक पहुंचते हैं. पुल न होने के चलते जहां ग्रामीणों का अधिक समय बर्बाद होता है. वहीं यह सफर काफी मुसीबत भरा भी होता है.

पढे़ं- लखनऊ: नदियों में गंदगी का अंबार देख कार्तिक पूर्णिमा पर बिना स्नान किए वापस लौटे श्रद्धालु

बारिश के समय अपने उफान पर होती गागन नदी
सालों से गागन नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहें ग्रामीणों को जब पुल के बजाय सिर्फ आश्वासन मिला तो उन्होंने खुद पुल निर्माण का जिम्मा उठाया. गांव के लोगों ने चंदा जमाकर पुल बनाने का काम शुरू किया और पन्द्रह दिन की मेहनत के बाद डेढ़ लाख रुपये में वैकल्पिक पुल तैयार कर लिया. इस पुल के बनने से जहां ग्रामीण बिना परेशानी के आवाजाही कर रहें हैं. वहीं किसान टैक्टर ट्रालियों की मदद से अपनी फसल खेतों से ले और जा रहें है. ग्रामीणों के मुताबिक बरसात के समय यह पुल नदी के तेज बहाव के चलते हटाना पड़ेगा. इसके बाद फिर परेशानियां शुरू होंगी. स्थानीय लोग अब भी प्रशासन से स्थायी पुल निर्माण करने की मांग कर रहें है.

पढे़ं- मुरादाबाद: तबेले में तब्दील हुए ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेंद्र, दर-दर भटक रहे मरीज

उम्मीद की अब भी मिल जाए स्थाई पुल
ग्रामीणों के इस प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है. मुसीबतों से भागने के बजाय मुसीबत को हराने की यह पहल कई लोगों के लिए प्रेरणा भी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के आश्वासनों को पीछे छोड़, ग्रामीण खुद अपनी समस्या सुलझाने आगे बढ़े हैं. उम्मीद की जानी चाहिए की लोगों की सालों पुरानी मांग पर अधिकारी गौर करेंगे और इन्हें स्थायी पुल का तोहफा देकर इनके प्रयास को स्वीकार कर इन्हें स्थाई पुल दिलाने का काम करेंगे.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती, जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है मुरादाबाद जनपद के एक गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने. सालों से गांव के पास बह रहीं गागन नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहें ग्रामीणों की जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद पुल बनाने का फैसला किया. ग्रामीणों की पहल पर डेढ़ लाख का चंदा जमा हुआ जिससे पुल निर्माण के लिए पाइप और सीमेंट की खरीदारी की गई. पन्द्रह दिन खुद मेहनत कर ग्रामीणों ने पुल तैयार किया और अब इस पुल पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गयी है. पुल बनने से मुरादाबाद और अमरोहा जनपद के बीच जहां दूरी कम हुई है वहीं ग्रामीणों को भी कई किलोमीटर का चक्कर लगाने से राहत मिली है.


Body:वीओ वन: पाइप, मिट्टी, सीमेंट और रेत के कट्टों से तैयार इस पुल को देखकर आप हैरान हो सकते है. छजलैट ब्लॉक के मोढ़ा तेहिया गांव के रहने वाले ग्रामीणों की मेहनत से बना यह पुल सरकारी सिस्टम को आइना दिखाता नजर आता है. दरअसल मुरादाबाद और अमरोहा की सीमा पर बसें इस गांव के बाहर गागन नदी बहती है जो बरसात के मौसम में नदी कम दीवार ज्यादा नजर आती है. ग्रामीणों को नदी पार अपने खेतों में जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है साथ ही नदी पार के ग्रामीण भी दूसरे रास्तों से आस-पास के गांवों तक पहुंचते है. पुल न होने के चलते जहां ग्रामीणों का अधिक समय बर्बाद होता है वही यह सफर काफी मुसीबत भरा भी होता है.
बाईट: हरपाल सिंहः ग्रामीण
वीओ टू: सालों से गागन नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहें ग्रामीणों को जब पुल के बजाय सिर्फ आश्वासन मिलें तो उन्होंने खुद पुल निर्माण का जिम्मा उठाया. गांव के लोगों ने चंदा जमाकर पुल बनाने का काम शुरू किया और पन्द्रह दिन की मेहनत के बाद डेढ़ लाख रुपये में वैकल्पिक पुल तैयार कर लिया. इस पुल के बनने से जहां ग्रामीण बिना परेशानी के आवाजाही कर रहें है वहीं किसान टैक्टर ट्रालियों की मदद से अपनी फसल खेतों से ला रहें है. ग्रामीणों के मुताबिक बरसात के समय यह पुल नदी के तेज बहाव के चलते हटाना पड़ेगा जिसके बाद फिर परेशानियां शुरू होंगी. स्थानीय लोग अब भी प्रशासन से स्थायी पुल निर्माण करने की मांग कर रहें है.
बाईट: राजू सिंह: पुल बनाने वाले ग्रामीण
बाईट: सुदेश: पुल बनाने वाले


Conclusion:वीओ तीन: ग्रामीणों के इस प्रयाश की हर कोई सराहना कर रहा है. मुसीबतों से भागने के बजाय मुसीबत को हराने की यह पहल कई लोगों के लिए प्रेरणा भी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के आश्वासनों को पीछे छोड़ ग्रामीण खुद अपनी समस्या सुलझाने आगे बढ़े है. उम्मीद की जानी चाहिए की लोगों की सालों पुरानी मांग पर अधिकारी गौर करेंगे और इन्हें स्थायी पुल का तोहफा देकर इनके प्रयाश को स्वीकार करने का दिल दिखाएंगे.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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