मुरादाबाद: इंसान के मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है, मुरादाबाद जनपद के एक गांव में रहने वाले ग्रामीणों ने. सालों से गांव के पास बह रही गागन नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहें ग्रामीणों की जब किसी ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने खुद पुल बनाने का फैसला किया.
ग्रामीणों की पहल पर डेढ़ लाख का चंदा जमा हुआ. इससे पुल निर्माण के लिए पाइप और सीमेंट की खरीदारी की गई. पन्द्रह दिन खुद मेहनत कर ग्रामीणों ने पुल तैयार किया और अब इस पुल पर गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई है. पुल बनने से मुरादाबाद और अमरोहा जनपद के बीच जहां दूरी कम हुई है. वहीं ग्रामीणों को भी कई किलोमीटर का चक्कर लगाने से राहत मिली है.
एक लाख चंदा इकट्ठा कर बना अस्थाई पुल
छजलैट ब्लॉक के मोढ़ा तेहिया गांव के रहने वाले ग्रामीणों की मेहनत से बना यह पुल सरकारी सिस्टम को आइना दिखाता नजर आता है. दरअसल, मुरादाबाद और अमरोहा की सीमा पर बसें इस गांव के बाहर गागन नदी बहती है, जो बरसात के मौसम में नदी कम आवेग से बहती है. ग्रामीणों को नदी पार अपने खेतों में जाने के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. साथ ही नदी पार के ग्रामीण भी दूसरे रास्तों से आस-पास के गांवों तक पहुंचते हैं. पुल न होने के चलते जहां ग्रामीणों का अधिक समय बर्बाद होता है. वहीं यह सफर काफी मुसीबत भरा भी होता है.
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बारिश के समय अपने उफान पर होती गागन नदी
सालों से गागन नदी पर पुल निर्माण की मांग कर रहें ग्रामीणों को जब पुल के बजाय सिर्फ आश्वासन मिला तो उन्होंने खुद पुल निर्माण का जिम्मा उठाया. गांव के लोगों ने चंदा जमाकर पुल बनाने का काम शुरू किया और पन्द्रह दिन की मेहनत के बाद डेढ़ लाख रुपये में वैकल्पिक पुल तैयार कर लिया. इस पुल के बनने से जहां ग्रामीण बिना परेशानी के आवाजाही कर रहें हैं. वहीं किसान टैक्टर ट्रालियों की मदद से अपनी फसल खेतों से ले और जा रहें है. ग्रामीणों के मुताबिक बरसात के समय यह पुल नदी के तेज बहाव के चलते हटाना पड़ेगा. इसके बाद फिर परेशानियां शुरू होंगी. स्थानीय लोग अब भी प्रशासन से स्थायी पुल निर्माण करने की मांग कर रहें है.
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उम्मीद की अब भी मिल जाए स्थाई पुल
ग्रामीणों के इस प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है. मुसीबतों से भागने के बजाय मुसीबत को हराने की यह पहल कई लोगों के लिए प्रेरणा भी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के आश्वासनों को पीछे छोड़, ग्रामीण खुद अपनी समस्या सुलझाने आगे बढ़े हैं. उम्मीद की जानी चाहिए की लोगों की सालों पुरानी मांग पर अधिकारी गौर करेंगे और इन्हें स्थायी पुल का तोहफा देकर इनके प्रयास को स्वीकार कर इन्हें स्थाई पुल दिलाने का काम करेंगे.