मुरादाबाद: जिले के मूंढापांडे थाना क्षेत्र में दो दिन पहले छेड़छाड़ मामले में कुछ दबंगों ने युवती के पिता की हत्या कर दी थी. परिजनों ने पुलिसकर्मियों पर दबंगों का साथ देने और पीड़ित परिवार से मारपीट करने का आरोप लगाया था. इसके बाद एसएसपी ने चौकी प्रभारी को निलंबित करने के साथ छह पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है. थाना प्रभारी की भूमिका की जांच के लिए सीओ हाई-वे को नामित किया गया है, जो जल्द अपनी रिपोर्ट देंगे. एसएसपी की कार्रवाई से पुलिसकर्मियों में हड़कम्प मचा हुआ है. लाइन हाजिर पुलिसकर्मियों में दो दारोगा और चार सिपाही शामिल हैं.
मूंढापांडे थाना क्षेत्र के महेशपुर गांव में छेड़छाड़ का विरोध करने पर दबंगों ने युवती के पिता को जमकर पीटा था. इसके चलते इलाज के दौरान पीड़ित हरिओम की अस्पताल में मौत हो गई. परिजनों ने मामले की शिकायत पुलिस से की थी, बावजूद इसके पुलिस ने पीड़ित परिजनों को ही प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. हरिओम की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया तो पुलिस ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कर चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
एसएसपी मुरादाबाद ने पीड़ित परिजनों के घर जाकर उनसे मुलाकात की. इसके बाद परिजनों ने पुलिस की करतूत एसएसपी को बताई. मामले की शुरुआती जांच में पुलिसकर्मियों की संदिग्ध भूमिका मिलने के चलते एसएसपी ने करनपुर चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया, जबकि चौकी में तैनात छह पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है. एसएसपी ने थाना प्रभारी मूंढापांडे की भूमिका की जांच सीओ हाई-वे को सौंपी है, जिसके बाद थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
एसएसपी द्वारा जारी आदेश में वीरेन्द्र कुमार, चौकी प्रभारी करनपुर को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया गया है. इसके साथ ही दारोगा अश्वनी कुमार, चौकी करनपुर, दारोगा परमानन्द, चौकी करनपुर, आरक्षी सुखनन्दन, आरक्षी धीरेन्द्र, आरक्षी मनोज कुमार, आरक्षी अतुल कुमार को लाइनहाजिर किया गया है.
एसएसपी प्रभाकर चौधरी के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी. शुरुआती जांच में पुलिसकर्मियों द्वारा लाहपरवाही बरतने, पीड़ित परिजनों की शिकायत पर गम्भीरता न दिखाने के आरोपों की पुष्टि हुई है. एसएसपी की कार्रवाई से जहां पुलिसकर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं पीड़ित परिजनों ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. परिजनों का आरोप है कि शिकायत पर अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती तो हरिओम की जान बचाई जा सकती थी.