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धर्मनिरपेक्ष देश में सरकारी जमीन का भूमि पूजन ठीक नहींः हसन

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Published : Dec 10, 2020, 9:22 PM IST

यूपी के मुरादाबाद में नए कृषि कानून को लेकर सपा से सांसद डॉ. एसटी हसन ने किसानों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि किसान सिर्फ अपना हक मांग रहे हैं. इस दौरान वह नई संसद के निर्माण को लेकर भी बोले.

समाजवादी पार्टी से सांसद डॉ. एसटी हसन
समाजवादी पार्टी से सांसद डॉ. एसटी हसन

मुरादाबादः नए कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन देशव्यापी हो चुका है. समाजवादी पार्टी से सांसद डॉ. एसटी हसन ने किसानों के आंदोलन को लेकर कहा कि किसान अपना हक मांग रहे है. यह सरकार किसानों को बेबकूफ नहीं बना सकती है. हमारी पार्टी किसानों के साथ है. इस दौरान उन्होंने नई संसद के निर्माण में हुए भूमि पूजन को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा.

किसान आंदोलन और नई संसद बनने को लेकर सपा ने साधा भाजपा पर निशाना.

सभी को मालूम है सरकार का दमनकारी रवैया
सांसद एसटी हसन का कहना है कि इस सरकार का दमनकारी रवैया सबको मालूम है. इनके एरोगेंस के बारे में भी सबको मालूम है. उन्होंने कहा कि एक डेढ़ साल के अंदर इतने बड़े-बड़े आंदोलन हुए हैं. ऐसे आंदोलन इससे पहले कभी नहीं हुए हैं. चाहे सीएए का आंदोलन हो या चाहे किसान आंदोलन हो.

किसान को अपना भविष्य पता हैः सांसद
सांसद ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है. किसान को लूटने की साजिश हो रही है. जैसे सरकार भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाकर वोट हासिल करती है. यह किसान को भी वैसे ही समझ रहे हैं. किसान इनकी बातों में आने वाला नहीं है. उसे अपने भविष्य का पूरा पूरा ख्याल है. वह अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है और जायज मांगे है. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पार्लियामेंट के अंदर से लेकर और सड़कों तक किसानों का साथ दिया है.

नई संसद निर्माण पर क्या बोले सांसद
नई संसद निर्माण पर डॉक्टर एसटी हसन ने कहा कि इस वक्त कोरोना चल रहा है और सांसदों की निधियां भी रोक दी हैं. कोई भी फिजूलखर्ची इस वक्त नहीं की जा रही है. नई बिल्डिंग की जरूरत भी है हम इसके खिलाफ नहीं है. एक तरफ आपने सारे विकास के कार्य को रुकवा दिया है.

उन्होंने कहा कि तकरीबन 1 से 2 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट सरकार ने लांच कर दिया. सांसदों को भी कार्य करने का मौका मिलना चाहिए. हमको अपनी जनता के लिए विकास कराने का मौका मिलना.

कानून नहीं देता इजाजत
हमारा कानून जो धर्मनिरपेक्ष कानून है. देश के अंदर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन सभी लोग रहते हैं. सब का इस देश पर बराबर का हक है. सब धर्मों के लोगों का देश के ऊपर बराबर का हक है. कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि आप धार्मिक रीति रिवाज से सरकारी काम करें. इससे पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ है. अगर आपको करना ही है तो सब धर्म के लोगों के रीति रिवाज से शामिल करें.

मुरादाबादः नए कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन देशव्यापी हो चुका है. समाजवादी पार्टी से सांसद डॉ. एसटी हसन ने किसानों के आंदोलन को लेकर कहा कि किसान अपना हक मांग रहे है. यह सरकार किसानों को बेबकूफ नहीं बना सकती है. हमारी पार्टी किसानों के साथ है. इस दौरान उन्होंने नई संसद के निर्माण में हुए भूमि पूजन को लेकर भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा.

किसान आंदोलन और नई संसद बनने को लेकर सपा ने साधा भाजपा पर निशाना.

सभी को मालूम है सरकार का दमनकारी रवैया
सांसद एसटी हसन का कहना है कि इस सरकार का दमनकारी रवैया सबको मालूम है. इनके एरोगेंस के बारे में भी सबको मालूम है. उन्होंने कहा कि एक डेढ़ साल के अंदर इतने बड़े-बड़े आंदोलन हुए हैं. ऐसे आंदोलन इससे पहले कभी नहीं हुए हैं. चाहे सीएए का आंदोलन हो या चाहे किसान आंदोलन हो.

किसान को अपना भविष्य पता हैः सांसद
सांसद ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है. किसान को लूटने की साजिश हो रही है. जैसे सरकार भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाकर वोट हासिल करती है. यह किसान को भी वैसे ही समझ रहे हैं. किसान इनकी बातों में आने वाला नहीं है. उसे अपने भविष्य का पूरा पूरा ख्याल है. वह अपनी मांगों पर अड़ा हुआ है और जायज मांगे है. समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पार्लियामेंट के अंदर से लेकर और सड़कों तक किसानों का साथ दिया है.

नई संसद निर्माण पर क्या बोले सांसद
नई संसद निर्माण पर डॉक्टर एसटी हसन ने कहा कि इस वक्त कोरोना चल रहा है और सांसदों की निधियां भी रोक दी हैं. कोई भी फिजूलखर्ची इस वक्त नहीं की जा रही है. नई बिल्डिंग की जरूरत भी है हम इसके खिलाफ नहीं है. एक तरफ आपने सारे विकास के कार्य को रुकवा दिया है.

उन्होंने कहा कि तकरीबन 1 से 2 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट सरकार ने लांच कर दिया. सांसदों को भी कार्य करने का मौका मिलना चाहिए. हमको अपनी जनता के लिए विकास कराने का मौका मिलना.

कानून नहीं देता इजाजत
हमारा कानून जो धर्मनिरपेक्ष कानून है. देश के अंदर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन सभी लोग रहते हैं. सब का इस देश पर बराबर का हक है. सब धर्मों के लोगों का देश के ऊपर बराबर का हक है. कानून इस बात की इजाजत नहीं देता कि आप धार्मिक रीति रिवाज से सरकारी काम करें. इससे पहले ऐसा कभी भी नहीं हुआ है. अगर आपको करना ही है तो सब धर्म के लोगों के रीति रिवाज से शामिल करें.

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