मुरादाबाद: पूरे विश्व में मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स-डे मनाया जाता है. बच्चों के जन्म से लेकर जीवन में आगे बढ़ने के सफर में मां का संघर्ष हर पल नजर आता है. केवल वो ही मां नहीं होती जो बच्चे को को जन्म देती हैं, बल्कि हर वह महिला मां जैसी ही होती है जो बच्चों पर अपना स्नेह लुटाती हैं. एक बेटे और दो बेटियों की मां अनिता सैकड़ों बच्चियों को अपनी बेटियों की तरह ही पढ़ा रही हैं. गरीब परिवारों की इन बेटियों के लिए वह किसी मां से कम नहीं है. अनिता पिछले 6 सालों में डेढ़ सौ गरीब परिवार की बच्चियों की पढ़ाई करवा चुकी हैं. और वर्तमान में चालीस से ज्यादा बच्चियों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा रहीं है. रिटायर्ड शिक्षिका के इस प्रयास से उनके घर में काम करने वाली लड़की बारहवीं की पढ़ाई कर रहीं है. हर साल गरीब बच्चियों की पढ़ाई में सहयोग देने वाली रिटायर्ड शिक्षिका अनिता के लिए ये लड़कियां अपनी बेटियों जैसी ही हैं.
मिलता है बच्चे और पति का सहयोग
बच्चों और पति के सहयोग से अनिता अब तक सैकड़ों बच्चियों की पढ़ाई करवा चुकीं हैं. गरीब परिवार की प्रतिभाशाली बच्चियों की जानकारी होने के बाद अनिता गुप्ता बच्चियों का एडमिशन स्कूल में करवाने के साथ उनकी साल भर की फीस जमा करवाती हैं. परीक्षा में अच्छे नम्बरों में पास होने वाली लड़कियों की अगली कक्षा की पढ़ाई के लिए भी उनका सहयोग लगातार जारी रहता है. अनिता के मुताबिक समाज में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की पढ़ाई पर कम ध्यान दिया जाता है, इसलिए उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने का प्रण लिया है.
कोरोना संकट के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से इस समय स्कूल-कॉलेज बंद हैं, लेकिन अनिता के पास आज भी बड़ी संख्या में लड़कियों के आवेदन पहुंचते हैं. इस समय अनीता अपने घर में बच्चियों के मार्कशीट और अन्य रिकॉर्ड देखकर बच्चियों की सूची तैयार करने में जुटी हैं.
एक से डेढ़ लाख रुपये का आता है खर्च
हर साल इन बच्चियों की पढ़ाई में एक से डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है और इसके लिए उनका पूरा परिवार सहयोग करता है. अनिता के घर काम करने वाली पूजा भी इन्हीं लड़कियों में शामिल है जिन्हें अनिता के सहारे से पढ़ाई का मौका मिला. हाईस्कूल में फर्स्ट डिवीजन में पास होने वाली पूजा अब इंटर की छात्रा हैं.
मदर्स-डे पर मिलते हैं बच्चियों के सन्देश
एक बेटे और दो बेटियों की मां अनिता सैकड़ों बच्चियों को अपनी बेटियों की तरह पढ़ा रहीं हैं और गरीब परिवारों की इन बेटियों के लिए वह किसी मां से कम नहीं है. मदर्स-डे पर अनिता को हर साल इन बच्चियों के सन्देश मिलते हैं जिसे यह रिटायर्ड शिक्षिका अपने जीवन की सबसे बड़ी पूंजी मानती हैं.