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मुरादाबाद: शिक्षा के अधिकार अधिनियम को लेकर गम्भीर नहीं जिम्मेदार - pm modi

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद में आरटीई के द्वारा मौजूदा सत्र में गरीब बच्चों के एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग भी अंधेरे में है और बीएसए कार्यालय के पास भी डाटा मौजूद नहीं है. बाल अधिकारों से जुड़ा मामला होने के चलते आयोग अध्यक्ष जहां लाहपरवाही को लेकर नाराज हैं.

गरीब छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं.
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Published : Jul 30, 2019, 9:42 AM IST

मुरादाबाद: देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक वरदान की तरह है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लाहपरवाही के चलते निजी स्कूल मनमानी पर उतारू हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर निजी स्कूल में पच्चीस फीसदी सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती हैं.

गरीब छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रुख के चलते निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने से बच रहें हैं. उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक उनके पास सैकड़ों शिकायते पहुंच रहीं हैं. ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग का रवैया नकारात्मक नजर आया है.

गरीब छात्रों के पहुंच से दूर प्राइवेट स्कूल

  • यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने आज आरटीई कानून को लेकर शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया.
  • विशेष गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उनके पास सैकड़ों शिकायतें आरटीई के जरिये निजी स्कूलों में प्रवेश न देने को लेकर पहुंची हैं.
  • ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग और जनपदों में तैनात बीएसए की भूमिका नकारात्मक पाई गई है.
  • विशेष गुप्ता के मुताबिक निजी स्कूलों को कागजी आदेश जारी कर शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद सो जाते हैं.
  • शिक्षा विभाग स्कूलों की मॉनिटरिंग नहीं करता, जिसके चलते गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा.


उत्तर प्रदेश से उन तक पहुंच रहीं शिकायतों से वह शासन को अवगत कराते रहते हैं और खुद भी कई मामलों की जांच करते हैं. कई बार मांगने के बाद भी जनपद के बीएसए अभी तक उन्हें बच्चों के एडमिशन की सूची नहीं दे पाए है.
-विशेष गुप्ता, अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग

मुरादाबाद: देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक वरदान की तरह है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लाहपरवाही के चलते निजी स्कूल मनमानी पर उतारू हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर निजी स्कूल में पच्चीस फीसदी सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती हैं.

गरीब छात्र शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रुख के चलते निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने से बच रहें हैं. उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक उनके पास सैकड़ों शिकायते पहुंच रहीं हैं. ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग का रवैया नकारात्मक नजर आया है.

गरीब छात्रों के पहुंच से दूर प्राइवेट स्कूल

  • यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने आज आरटीई कानून को लेकर शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया.
  • विशेष गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उनके पास सैकड़ों शिकायतें आरटीई के जरिये निजी स्कूलों में प्रवेश न देने को लेकर पहुंची हैं.
  • ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग और जनपदों में तैनात बीएसए की भूमिका नकारात्मक पाई गई है.
  • विशेष गुप्ता के मुताबिक निजी स्कूलों को कागजी आदेश जारी कर शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद सो जाते हैं.
  • शिक्षा विभाग स्कूलों की मॉनिटरिंग नहीं करता, जिसके चलते गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा.


उत्तर प्रदेश से उन तक पहुंच रहीं शिकायतों से वह शासन को अवगत कराते रहते हैं और खुद भी कई मामलों की जांच करते हैं. कई बार मांगने के बाद भी जनपद के बीएसए अभी तक उन्हें बच्चों के एडमिशन की सूची नहीं दे पाए है.
-विशेष गुप्ता, अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग

Intro:एंकर: मुरादाबाद: देश में गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक वरदान की तरह है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लाहपरवाही के चलते निजी स्कूल मनमानी पर उतारू है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर निजी स्कूल में पच्चीस फीसदी सीटें गरीब परिवारों के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रुख के चलते निजी स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश देने से बच रहें है.उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक उनके पास सैकड़ों शिकायते पहुंच रहीं है और ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग का रवैया नकारात्मक नजर आया है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद जनपद में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे यूपी बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने आज आरटीई कानून को लेकर शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया.मीडिया से बात करते हुए विशेष गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में उनके पास सैकड़ों शिकायतें आरटीई के जरिये निजी स्कूलों में प्रवेश न देने को लेकर पहुंची है,जिसमें से ज्यादातर मामलों में शिक्षा विभाग और जनपदों में तैनात बीएसए की भूमिका नकारात्मक पाई गई है. विशेष गुप्ता के मुताबिक निजी स्कूलों को कागजी आदेश जारी कर शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद सो जाते है और स्कूलों की मॉनिटरिंग नहीं करते जिसके चलते गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा.
बाईट: विशेष गुप्ता: अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग
वीओ टू: बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता का कहना है की उत्तर प्रदेश से उन तक पहुंच रहीं शिकायतों से वह शासन को अवगत कराते रहते है और खुद भी कई मामलों की जांच करते है. मुरादाबाद जनपद में आरटीई को लेकर पूछे गए सवाल के जबाब में विशेष गुप्ता के मुताबिक कई बार मांगने के बाद भी जनपद के बीएसए अभी तक उन्हें बच्चों के एडमिशन की सूची नहीं दे पाए है. शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा करते हुए विशेष गुप्ता ने इसे बाल अधिकारों का हनन बताया और जल्द ही ऐसे अधिकारियों की जानकारी से शासन को अवगत कराने का दावा किया.
बाईट: विशेष गुप्ता: अध्यक्ष बाल अधिकार संरक्षण आयोग


Conclusion:वीओ तीन: मुरादाबाद जनपद में आरटीई के द्वारा मौजूदा सत्र में गरीब बच्चों के एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग भी अंधेरे में है और बीएसए कार्यालय के पास भी डाटा मौजूद नहीं है. बाल अधिकारों से जुड़ा मामला होने के चलते आयोग अध्यक्ष जहां लाहपरवाही को लेकर नाराज है वहीं जल्द ही मामले में कार्रवाई का दावा भी कर रहें है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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