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मुरादाबाद: कृष्ण जन्मोत्सव पर मुस्लिम कारीगरों के हाथों बने झूलों पर झूलेंगे नन्द गोपाल - मुरादाबाद समाचार

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां पर हर साल मुस्लिम कारीगर बड़ी संख्या में झूलों का निर्माण कर इन्हें देश के कई राज्यों में भेजते हैं. इस साल भी लगभग दो करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर कारीगरों को मिले हैं, जिसके बाद झूलों की सप्लाई का काम अंतिम चरण में है.

पीतल नगरी में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर.
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Published : Aug 22, 2019, 9:43 AM IST

मुरादाबाद: कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर पूरे देश में तैयारियां जोरों पर है. ऐसे में पीतल नगरी भी खास तैयारियों में जुटी है. हस्तशिल्प के सबसे बड़े केंद्र मुरादाबाद में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर झूले तैयार किये जाते है. यहां पर हर साल मुस्लिम कारीगर बड़ी संख्या में झूलों का निर्माण कर इन्हें देश के कई राज्यों में भेजते हैं. इस साल भी लगभग दो करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर कारीगरों को मिले हैं, जिसके बाद झूलों की सप्लाई का काम अंतिम चरण में है.

पीतल नगरी में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर.

पीतल नगरी में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर

हर साल देश में जन्माष्टमी के मौके पर पीतल और अन्य धातुओं से बने झूलों की मांग बढ़ती जा रही है. और हजारों मुस्लिम कारीगर आजकल इन्ही झूलों के निर्माण में जुटे है. धार्मिक मान्यताओं के तहत झूलों को तैयार कर उन्हें ऑर्डर के मुताबिक सप्लाई किया जा रहा है. मुरादाबाद में पिछले कुछ सालों में पीतल के सजावटी उत्पादों के काम में गिरावट आई है जिसके चलते मिक्स मेटल और लकड़ी के उत्पाद निर्यात किये जा रहे है. पीतल पर परम्परागत काम करने वाले कारीगरों के पास धार्मिक त्योहारों और आयोजनों का काम आज भी है और इसके जरिये कारीगर अपने परिवारों का पालन- पोषण कर रहें है.

जन्माष्ठमी के मौके पर तैयार पीतल, लोहे, एल्युमिनियम और लकड़ी के झूले तैयार करने वाले मुस्लिम कारीगर बढ़ते कारोबार से खुश है और हर साल झूलों के डिजाइन में बदलाव कर उसे आकर्षक बना रहे हैं. हालांकि डिजाइन में बदलाव के दौरान धार्मिक मान्यताओं की पूरी जानकारी रखी जाती है. कारीगरों के मुताबिक देश के हर त्योहारों की खूबसूरती यही है कि इसमें सभी देशवासियों की सहभागिता होती है जो एक मजबूत राष्ट्र की निशानी है.

मुरादाबाद: कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर पूरे देश में तैयारियां जोरों पर है. ऐसे में पीतल नगरी भी खास तैयारियों में जुटी है. हस्तशिल्प के सबसे बड़े केंद्र मुरादाबाद में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर झूले तैयार किये जाते है. यहां पर हर साल मुस्लिम कारीगर बड़ी संख्या में झूलों का निर्माण कर इन्हें देश के कई राज्यों में भेजते हैं. इस साल भी लगभग दो करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर कारीगरों को मिले हैं, जिसके बाद झूलों की सप्लाई का काम अंतिम चरण में है.

पीतल नगरी में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर.

पीतल नगरी में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर

हर साल देश में जन्माष्टमी के मौके पर पीतल और अन्य धातुओं से बने झूलों की मांग बढ़ती जा रही है. और हजारों मुस्लिम कारीगर आजकल इन्ही झूलों के निर्माण में जुटे है. धार्मिक मान्यताओं के तहत झूलों को तैयार कर उन्हें ऑर्डर के मुताबिक सप्लाई किया जा रहा है. मुरादाबाद में पिछले कुछ सालों में पीतल के सजावटी उत्पादों के काम में गिरावट आई है जिसके चलते मिक्स मेटल और लकड़ी के उत्पाद निर्यात किये जा रहे है. पीतल पर परम्परागत काम करने वाले कारीगरों के पास धार्मिक त्योहारों और आयोजनों का काम आज भी है और इसके जरिये कारीगर अपने परिवारों का पालन- पोषण कर रहें है.

जन्माष्ठमी के मौके पर तैयार पीतल, लोहे, एल्युमिनियम और लकड़ी के झूले तैयार करने वाले मुस्लिम कारीगर बढ़ते कारोबार से खुश है और हर साल झूलों के डिजाइन में बदलाव कर उसे आकर्षक बना रहे हैं. हालांकि डिजाइन में बदलाव के दौरान धार्मिक मान्यताओं की पूरी जानकारी रखी जाती है. कारीगरों के मुताबिक देश के हर त्योहारों की खूबसूरती यही है कि इसमें सभी देशवासियों की सहभागिता होती है जो एक मजबूत राष्ट्र की निशानी है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: भारत को विविधता में एकता का देश कहा जाता है और यहां रहने वाले विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग समय-समय पर इसे साबित भी करते है. देश में मनाया जाने वाला हर त्यौहार एक- दूसरे को आपस में जोड़ने का काम करता है. कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर पूरे देश में तैयारियां जोरों पर है ऐसे में पीतल नगरी भी खास तैयारियों में जुटी है. जी हां हस्तशिल्प के सबसे बड़े केंद्र मुरादाबाद में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर झूलें तैयार किये जाते है. हर साल मुस्लिम कारीगर बड़ी संख्या में झूलों का निर्माण कर इन्हें देश के कई राज्यो में भेजते है. इस साल भी लगभग दो करोड़ रुपये से ज्यादा के ऑर्डर कारीगरों को मिले है जिसके बाद झूलों की सप्लाई का काम अंतिम चरण में है.


Body:बाईट: नोमान मंसूरी: आर्टिजन एक्सपर्ट

वीओ वन:मुरादाबाद को पूरी दुनिया में पीतलनगरी के नाम से जाना जाता है. सालों से यहां के कारीगरों के हाथों का हुनर और पीतल की चमक इस शहर को दूसरे शहरों से अलग करती आई है. पीतल कारोबार से जुड़े कारीगर साल भर हर त्यौहार की तैयारियों में जुटे रहते है. कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर भी मुरादाबाद में तैयारियां जोरों पर है. दरअसल हर साल देश में जन्माष्टमी के मौके पर पीतल और अन्य धातुओं से बनें झूलों की मांग बढ़ती जा रहीं है और हजारों मुस्लिम कारीगर आजकल इन्ही झूलों के निर्माण में जुटे है. धार्मिक मान्यताओं के तहत झूलों को तैयार कर उन्हें ऑर्डर के मुताबिक सप्लाई किया जा रहा है.
बाईट: महफूज अली खान : कारोबारी
वीओ टू:मुरादाबाद में पिछले कुछ सालों में पीतल के सजावटी उत्पादों के काम में गिरावट आई है जिसके चलते विदेशों में मिक्स मैटल और लकड़ी के उत्पाद निर्यात किये जा रहे है. पीतल पर परम्परागत काम करने वाले कारीगरों के पास धार्मिक त्यौहारों और आयोजनों का काम आज भी है और इसके जरिये कारीगर अपने परिवारों का पालन- पोषण कर रहें है. जन्माष्ठमी पर हर साल पन्द्रह से बीस फीसदी ऑर्डर ज्यादा मिलने के बाद अब देहात क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. पीतल उधोग की जानकारी रखने वाले कारोबारी भी मानते है की धार्मिक आयोजनों में सहभागिता से जहां धर्मों से जुड़ी जानकारियां हासिल होती है वहीं आपसी भाईचारा भी बढ़ता है.
बाईट: महफूज अली खान: कारोबारी


Conclusion:वीओ तीन: जन्माष्ठमी के मौके पर तैयार पीतल, लोहे, एल्युमिनियम और लकड़ी के झूले तैयार करने वाले मुस्लिम कारीगर बढ़ते कारोबार से खुश है और हर साल झूलों के डिजाइन में बदलाव कर उसे आकर्षक बना रहे है हालांकि डिजाइन में बदलाव के दौरान धार्मिक मान्यताओं की पूरी जानकारी रखी जाती है. कारीगरों के मुताबिक देश के हर त्यौहारों की खूबसूरती यही है कि इसमें सभी देशवासियों की सहभागिता होती है जो एक मजबूत राष्ट्र की निशानी है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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