मुरादाबाद: पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से मशहूर शहर मुरादाबाद पिछले कुछ सालों से प्रदूषण की मार झेल रहा है. पीतल भट्टियों और अवैध तरीके से इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाए जाने के चलते शहर में वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले साल देश के पांच सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहे मुरादाबाद में दूषित वायु के चलते लोगों की सेहत दिन प्रतिदिन बिगड़ रही है.
नदी के किनारे बने राख के पहाड़
पीतल के उत्पादों पर शानदार नक्काशी के लिए दुनिया में जाने जाना वाला शहर मुरादाबाद हर साल साड़े आठ हजार करोड़ रुपये का विदेशी राजस्व हासिल करता है. जनपद में पीतल कारोबार में इस्तेमाल होने वाली भट्टियों से निकलने वाले धुंए से जहां शहर में वायु प्रदूषण बढ़ रहा था. वहीं पीतल कारोबार की बदहाली के बाद यही भट्टियां अवैध तरीके से इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाने के काम में इस्तेमाल की जाने लगी हैं. अवैध तरीके से लाया जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक कचरा जलाकर उसकी दूषित राख को रामगंगा नदी के किनारे फेंका दिया जाता था, जिसकी वजह से यहां राख के पहाड़ खड़े हो गए. एनजीटी के आदेश के बाद इस प्रदूषित राख को हटाया गया है, लेकिन कचरा जलाने पर प्रतिबंध के बाद भी देहात क्षेत्रो में अब भी कचरा जलाया जा रहा है.
जन्तु विहीन बन गई रामगंगा नदी
अवैध तरीके से लाये और जलाए जा रहें इलेक्ट्रॉनिक कचरे से जहां वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं इसके जहरीले रासायनिक तत्वों के चलते मिट्टी और पानी भी दूषित हुआ है. रमगंगा नदी में खतरनाक रासायनिक तत्वों के चलते नदी जहां जीव विहीन हो चुकी है, वहीं नदी के आस-पास की जमीन में जहरीले तत्वों की उपस्थिति पाई जा रही है. जानकारों के मुताबिक देश के बड़े महानगरों से भी ज्यादा वायु प्रदूषण होने के पीछे सबसे बड़ा कारण इलेक्ट्रॉनिक कचरा का जलाना है. जिसकी वजह से इसके जहरीले तत्व लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहें है.
मरीजों को देख हैरान हैं डॉक्टर
मुरादाबाद जिला अस्पताल के आंकड़े भी बढ़ते वायु प्रदूषण की पुष्टि करते हैं. जिला अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक अस्पताल की ओपीडी में हर दिन ढाई से तीन हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिनमें से ज्यादातर मरीज सांस और फेफड़ों के संक्रमण से परेशान रहते हैं. जिला अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक उनके अपने कैरियर में आज तक सबसे ज्यादा प्रदूषण के शिकार मरीज मुरादाबाद में ही इलाज के लिए पहुंच रहें है. वर्तमान में वायु प्रदूषण से बचने के लिए मॉस्क का इस्तेमाल आवश्यक हो गया है.
प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद उठ रहा जहर का धुआं
इलेक्ट्रॉनिक कचरे पर प्रशासन द्वारा धारा-144 के तहत प्रतिबंध लगाया गया है. बावजूद इसके अभी भी शहर के कुछ हिस्सों में कचरे को जलाना चिंतित करता है. उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्य की सीमा से लगे मुरादाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स का आंकड़ा सर्दियों में पांच सौ के पार हो जाता है, जो इंसानी स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. आम दिनों में जब एक प्रदूषण रहित शहर वायु शुद्धता सूचकांक में 100 के आस-पास होता है. उस वक्त मुरादाबाद में तीन सौ का आंकड़ा पर करना जानकारों को भी हैरान कर देता है. शासन प्रशासन के दावों के बीच आम आदमी सजग रहकर ही अपना बचाव कर सकता है.