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लॉकडाउन में लॉक हुई किसानों की इनकम, कौड़ियों के भाव बिक रहा टमाटर

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के हजारों बीघे जमीन में टमाटर की खेती करने वाले किसान बदहाली की मार झेल रहे हैं. खेतों में तैयार टमाटर की फसल 1 से 2 रुपये किलो बिक रही है, जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसानों की फसल खेतों में सड़ रही है. टमाटर उगाने वाले कई किसानों ने कर्ज पर जमीन लेकर खेती की थी. लेकिन अब उनके सामने कर्ज चुकाने की समस्या खड़ी हो गयी है.

बाजारों में टमाटर नहीं बिकने से किसान परेशान
बाजारों में टमाटर नहीं बिकने से किसान परेशान
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Published : Jun 18, 2020, 11:46 AM IST

मुरादाबाद: सरकार ने भले ही देश में लॉकडाउन समाप्त कर अनलॉक-1 लागू कर दिया हो, लेकिन किसानों को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी क्षेत्र में हजारों बीघा जमीन में टमाटर की खेती करने वाले किसान बदहाली की मार झेल रहे हैं. खेतों में तैयार टमाटर की फसल 1 से 2 रुपये किलो बिक रहा है. जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. बाजारों में टमाटर की डिमांड न होने से किसानों ने खेत से टमाटर तोड़वाना छोड़ दिया है. ज्यादार तैयार टमाटर खेत में ही सड़कर खराब हो गए हैं. वहीं अधिकारियों के मुताबिक किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है, लेकिन बाजार में भी इसकी मांग नहीं है, जिसके चलते टमाटर बिक नहीं रहा है.

बाजारों में टमाटर नहीं बिकने से किसान परेशान

खेतों में सड़ रहे तैयार टमाटर

जनपद के कुंदरकी और बिलारी क्षेत्र में हर साल किसान तीन हजार बीघा जमीन में टमाटर उगाते हैं. किसानों का यह टमाटर स्थानीय मंडी के अलावा बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर राज्यों तक सप्लाई होता है. कुछ साल पहले तक कुंदरकी के टमाटर की बंग्लादेश और पाकिस्तान में भी अच्छी खासी डिमांड थी. लेकिन अब टमाटर इन देशों को निर्यात नहीं किया जाता है. कोरोना संकट के चलते सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन में बाजार और होटल पूरी तरह बंद रहे, जिसके चलते किसान टमाटर को मंडियों तक नहीं भेज सके. अनलॉक-1 में सरकार ने बाजार तो खोल दिए, लेकिन टमाटर किसानों को इससे कोई राहत नहीं मिली. बाजार में डिमांड न होने के चलते टमाटर के दाम 1 से 2 रूपये किलो तक किसानों को मिल रहे हैं. टमाटर की तैयार फसल खेतों में सड़ रही है, जिसके चलते किसान इसको फेंकने पर मजबूर हैं.

किसानों के सामने कर्ज चुकाने की समस्या

एक बीघा जमीन पर टमाटर उगाने में किसानों द्वारा पन्द्रह से बीस हजार रुपये खर्च किए जाते हैं. खेतों की देखभाल और दवाइयों का खर्च इससे अलग होता है. टमाटर बीनने वाले मजदूर हर रोज 200 से 300 रुपये की मजदूरी लेते हैं. ऐसे में दो रुपये किलो टमाटर बेचने पर किसानों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है. टमाटर उगाने वाले कई किसानों ने कर्ज पर जमीन लेकर खेती की थी, जिसके बाद अब उनके सामने कर्ज चुकाने की समस्या भी है.

टमाटर किसानों को दिया जाए मुआवजा

उद्यान विभाग के अधिकारी भी टमाटर किसानों को हो रहे नुकसान की पुष्टि कर रहे हैं. साथ ही नुकसान झेलने वाले किसानों का सर्वे कराने का दावा कर रहे हैं. टमाटर की फसल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हुई है, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय और बाहरी प्रदेशों में कोरोना के चलते टमाटर की डिमांड काफी कम हो गयी है, जिससे टमाटर नहीं बिक पा रहे हैं. सरकार द्वारा भविष्य में टमाटर किसानों को मुआवजा दिए जाने पर ही किसानों की मदद हो पाएगी.

मुरादाबाद: सरकार ने भले ही देश में लॉकडाउन समाप्त कर अनलॉक-1 लागू कर दिया हो, लेकिन किसानों को कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. मुरादाबाद जनपद के कुंदरकी क्षेत्र में हजारों बीघा जमीन में टमाटर की खेती करने वाले किसान बदहाली की मार झेल रहे हैं. खेतों में तैयार टमाटर की फसल 1 से 2 रुपये किलो बिक रहा है. जिससे किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. बाजारों में टमाटर की डिमांड न होने से किसानों ने खेत से टमाटर तोड़वाना छोड़ दिया है. ज्यादार तैयार टमाटर खेत में ही सड़कर खराब हो गए हैं. वहीं अधिकारियों के मुताबिक किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है, लेकिन बाजार में भी इसकी मांग नहीं है, जिसके चलते टमाटर बिक नहीं रहा है.

बाजारों में टमाटर नहीं बिकने से किसान परेशान

खेतों में सड़ रहे तैयार टमाटर

जनपद के कुंदरकी और बिलारी क्षेत्र में हर साल किसान तीन हजार बीघा जमीन में टमाटर उगाते हैं. किसानों का यह टमाटर स्थानीय मंडी के अलावा बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर राज्यों तक सप्लाई होता है. कुछ साल पहले तक कुंदरकी के टमाटर की बंग्लादेश और पाकिस्तान में भी अच्छी खासी डिमांड थी. लेकिन अब टमाटर इन देशों को निर्यात नहीं किया जाता है. कोरोना संकट के चलते सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन में बाजार और होटल पूरी तरह बंद रहे, जिसके चलते किसान टमाटर को मंडियों तक नहीं भेज सके. अनलॉक-1 में सरकार ने बाजार तो खोल दिए, लेकिन टमाटर किसानों को इससे कोई राहत नहीं मिली. बाजार में डिमांड न होने के चलते टमाटर के दाम 1 से 2 रूपये किलो तक किसानों को मिल रहे हैं. टमाटर की तैयार फसल खेतों में सड़ रही है, जिसके चलते किसान इसको फेंकने पर मजबूर हैं.

किसानों के सामने कर्ज चुकाने की समस्या

एक बीघा जमीन पर टमाटर उगाने में किसानों द्वारा पन्द्रह से बीस हजार रुपये खर्च किए जाते हैं. खेतों की देखभाल और दवाइयों का खर्च इससे अलग होता है. टमाटर बीनने वाले मजदूर हर रोज 200 से 300 रुपये की मजदूरी लेते हैं. ऐसे में दो रुपये किलो टमाटर बेचने पर किसानों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ रहा है. टमाटर उगाने वाले कई किसानों ने कर्ज पर जमीन लेकर खेती की थी, जिसके बाद अब उनके सामने कर्ज चुकाने की समस्या भी है.

टमाटर किसानों को दिया जाए मुआवजा

उद्यान विभाग के अधिकारी भी टमाटर किसानों को हो रहे नुकसान की पुष्टि कर रहे हैं. साथ ही नुकसान झेलने वाले किसानों का सर्वे कराने का दावा कर रहे हैं. टमाटर की फसल पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हुई है, लेकिन अधिकारियों के मुताबिक स्थानीय और बाहरी प्रदेशों में कोरोना के चलते टमाटर की डिमांड काफी कम हो गयी है, जिससे टमाटर नहीं बिक पा रहे हैं. सरकार द्वारा भविष्य में टमाटर किसानों को मुआवजा दिए जाने पर ही किसानों की मदद हो पाएगी.

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