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मुरादाबाद: कोरोना संदिग्ध समझकर अस्पताल ने भर्ती करने से किया इनकार, मौत

यूपी के मुरादाबाद जिले में बुखार के मरीज को कोरोना वायरस संदिग्ध समझकर दो निजी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया था, जिससे मरीज की मौत हो गई. इस घटना से परिजनों में हड़कंप मच गया. वहीं सीएमओ ने मामले की जांच के लिए टीम गठित की है.

कोरोना संधिग्ध समझकर अस्पताल ने भर्ती करने से किया इंकार
कोरोना संधिग्ध समझकर अस्पताल ने भर्ती करने से किया इंकार
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Published : Mar 26, 2020, 4:32 PM IST

मुरादाबाद: बुखार के मरीज को कोरोना वायरस संदिग्ध समझकर दो निजी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया था. इसके बाद मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई. इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया. सीएमओ के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और दोनों निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है.

कोरोना संदिग्ध समझकर अस्पताल ने भर्ती करने से किया इनकार.

बिलारी थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल की मंगलवार को जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि समय पर गोपाल का इलाज हुआ होता, तो उसकी मौत नहीं होती. उनके मुताबिक दोनों अस्पतालों ने गोपाल को कोरोना संदिग्ध समझकर भर्ती नहीं किया, जिससे इलाज में देरी के चलते उसकी मौत हो गई.

सीएमओ ने दोनों अस्पतालों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. स्पष्टीकरण न देने पर अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त करने की चेतावनी दी गई है. दरअसल, लॉकडाउन के चलते अस्पतालों की ओपीडी सेवा को बंद किया गया है और इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया है. अस्पतालों को चेतावनी दी गई है कि आपातकाल स्थिति में मरीजों को भर्ती करने में किसी तरह की लापरवाही नहीं की जा सकती.

इसे भी पढ़ें- मुरादाबाद में लोगों ने को-रो-ना को माना टास्क, घर के बाहर लगाए पोस्टर

मुरादाबाद: बुखार के मरीज को कोरोना वायरस संदिग्ध समझकर दो निजी अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया था. इसके बाद मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई. इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया. सीएमओ के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच कराई जा रही है और दोनों निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है.

कोरोना संदिग्ध समझकर अस्पताल ने भर्ती करने से किया इनकार.

बिलारी थाना क्षेत्र के निवासी गोपाल की मंगलवार को जिला अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि समय पर गोपाल का इलाज हुआ होता, तो उसकी मौत नहीं होती. उनके मुताबिक दोनों अस्पतालों ने गोपाल को कोरोना संदिग्ध समझकर भर्ती नहीं किया, जिससे इलाज में देरी के चलते उसकी मौत हो गई.

सीएमओ ने दोनों अस्पतालों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है. स्पष्टीकरण न देने पर अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त करने की चेतावनी दी गई है. दरअसल, लॉकडाउन के चलते अस्पतालों की ओपीडी सेवा को बंद किया गया है और इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखा गया है. अस्पतालों को चेतावनी दी गई है कि आपातकाल स्थिति में मरीजों को भर्ती करने में किसी तरह की लापरवाही नहीं की जा सकती.

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