मुरादाबाद: कोरोना संकट के चलते जहां लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ है, वहीं अब सरकार स्वरोजगार के जरिये लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद में जुटी है. मुरादाबाद जनपद में लगभग दस हजार प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के बाद वापस अपने घर लौटे हैं. इन प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के जरिये जहां रोजगार दिलाया जा रहा है, वहीं अब उद्यान विभाग भी मजदूरों के रोजगार के लिए आगे आया है. जनपद स्तर पर प्रवासी मजदूरों को बागवानी से लेकर मधुमक्खी पालन तक जोड़ने और फलों-सब्जियों से सम्बंधित उत्पाद तैयार करने के लिए यूनिट लगाने में मदद दी जा रही है. उद्यान विभाग की ओर से तैयार कार्ययोजना से जहां मजदूरों को स्वरोजगार से जुड़ने का मौका मिलेगा, वहीं अन्य लोगों को भी रोजगार मिल पाएगा.
कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी और उनके रोजगार को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है. मुरादाबाद जनपद में जिलाधिकारी के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम सम्भावित रोजगार के रास्ते तलाश रही है. प्रवासी मजदूरों के लिए उद्यान विभाग द्वारा भी एक योजना बनाई गई है. इसके जरिये अपना काम शुरू कर लोग खुद के लिये आय के रास्ते खोल सकते हैं. उद्यान विभाग ने मनरेगा के तहत मजदूरों को बागवानी से जोड़ने और उन्हें कम जगह पर ज्यादा खेती करने की तकनीक मुहैया कराने का निर्णय लिया है, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दिला सकता है. उद्यान विभाग बागवानी करने वाले मजदूरों को कई रियायतें भी देगी जिससे बागवानी में दिक्कत न हो.
जिलाधिकारी के निर्देश पर बनाई गई कार्य योजना में उन मजदूरों के लिए भी सम्भावित रोजगार तलाश किया गया है, जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है. ऐसे मजदूरों को मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा और शुरुआत में मधुमक्खियों के दस-दस बॉक्स इन्हें उद्यान विभाग की ओर से मुहैया कराए जाएंगे. महिलाओं द्वारा फलों और सब्जियों के जरिये अचार और अन्य उत्पाद बनाने की यूनिट स्थापित करने पर उद्यान विभाग जहां मुफ्त प्रशिक्षण दिलाएगा, वहीं यूनिट स्थापित करने में कुल लागत का पचास फीसदी भी वहन करेगा.
उद्यान विभाग की ओर से तैयार योजना में प्रवासी मजदूर आवेदन कर सकते हैं. साथ ही प्रशासन भी प्रवासी मजदूरों की रुचि के मुताबिक उनको रोजगार दिलाने का प्रयास कर रहा है. प्रशासन मजदूरों को स्वरोजगार से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर विभाग से कार्य योजना तैयार करवा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा प्रवासी मजदूर खुद का कार्य शुरू कर रोजगार के साधन जुटा सकें.