मुरादाबाद: जनपद में आरटीओ विभाग का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है. पुलिस द्वारा सीज किए गए वाहन का आरटीओ कर्मियों ने बिना जांच किए ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर दिया. मामले की पोल खुली तो डीएम ने एसीएम प्रथम को मामले की जांच सौंप दी. एसीएम (अपर नगर मजिस्ट्रेट) ने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. जांच रिपोर्ट में संभागीय निरीक्षक और वाहन स्वामी के खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति की गई है. इसके बाद आरटीओ विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
जनपद के गलशहीद थाना क्षेत्र में 20 जून 2020 को पुलिस ने पशुओं से भरी एक गाड़ी चेकिंग के दौरान पकड़ी थी. वाहन चालक द्वारा गाड़ी में भरे पशुओं को कटान के लिए लाया गया था, जिसपर पुलिस ने गाड़ी को सीज कर दिया. पुलिस की कार्रवाई के बाद वाहन मालिक ने आरटीओ विभाग के कर्मियों से साठगांठ कर गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल कर लिया. इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों ने भी बिना किसी भौतिक सत्यापन के गाड़ी का फिटनेस कर दिया. इसके बाद वाहन मालिक ने थाने में बंद गाड़ी कोर्ट से छुड़वा ली. इस मामले की जानकारी आलाधिकारियों को हुई तो आरटीओ कर्मियों ने पल्ला झाड़ लिया. इसके बाद डीएम मुरादाबाद ने मामले में मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए थे.
संभागीय परिवहन निरीक्षक जांच में मिले दोषी
अपर नगर मजिस्ट्रेट राजेश कुमार द्वारा की गई जांच में संभागीय परिवहन निरीक्षक और वाहन मालिक दोषी पाया गया. एसीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी. डीएम को भेजी जांच रिपोर्ट में संभागीय निरीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं. वहीं, संभागीय परिवहन अधिकारी कमल सोनी का कहना है कि उन्हें अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है और न ही डीएम द्वारा कोई आदेश दिया गया है. इसिलए जांच रिपोर्ट के बाद ही मामले में कार्रवाई की जाएगी. एसीएम प्रथम राजेश कुमार के मुताबिक जांच रिपोर्ट भेज दी गई है, डीएम मुरादाबाद अगली कार्रवाई करेंगे.
पहले भी विभागीय कर्मियों पर लगे हैं आरोप
आरटीओ कार्यालय में कर्मियों की मिलीभगत का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी विभागीय कर्मियों पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं. जिम्मेदार अधिकारी मामले में कड़ी कार्रवाई का दावा तो करते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ ही ज्यादातर मामले ठंडे बस्ते में डाल दिए जाते हैं.