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कोरोना में भी नहीं टूटा हौसला, 'गुरुजी आपके द्वार' से जला रहे शिक्षा की अलख

देश भर में शिक्षकों के सम्मान में हर साल पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको मुरादाबाद जिले के एक शिक्षक की कहानी से रूबरू करवा रहे हैं, जो कोरोना संकटकाल में भी अपने अभियान से माध्यम से बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं. देखिये ईटीवी भारत की ये स्पेशल रिपोर्ट...

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शिक्षक हरनन्दन पर विशेष कहानी.
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Published : Sep 5, 2020, 1:44 AM IST

मुरादाबाद: देश भर में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत एक ऐसे शिक्षक की दास्तां आपको बताने जा रहा है, जो अपने प्रयासों से देहात क्षेत्र में बच्चों की किस्मत बदलने में जुटे हैं. जिले के रहने वाले शिक्षक हरनंदन कोरोना की मुश्किल घड़ी में भी अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह से निर्वहन कर रहे हैं. मुरादाबाद शहर से बीस किलोमीटर दूर खादर क्षेत्र स्थित एक स्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हरनंदन रोजाना बाढ़ के पानी को पार कर स्कूल पहुंचते हैं और घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. बता दें कि साल 2018 में हरनंदन को राज्य अध्यापक पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

शिक्षक हरनंदन के हौसले को हर कोई कर रहा सलाम.

ये हैं खास बातें

  • शिक्षक हरनंदन कोरोना काल में घर-घर जाकर बच्चों को कर रहे शिक्षित
  • 2018 में राज्य अध्यापक पुरस्कार से नवाजे गए थे हरनंदन
  • शिक्षक हरनंदन ने की 'गुरुजी आपके द्वार अभियान' की शुरुआत

शिक्षक हरनन्दन जिले के रसूलपुर नगली स्थित प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं. वे पिछले चार साल से खादर क्षेत्र के बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इस दौरान हरनंदन कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. दरअसल, जिले से होकर गुजरने वाली रामगंगा नदी में हर साल बाढ़ आती है, जिसके चलते शिक्षक हरनन्दन को स्कूल तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके हरनंदन ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इस चुनौती को स्वीकार करते हुए शिक्षा की अलख जला रखी है. हरनंदन के इस जज्बे को सलाम करते हुए हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा बनी चुनौती
कोरोना संकट काल में लॉकडाउन के दौरान बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार ने आदेशित किया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या और अभिभावकों के पास स्मार्टफोन न होने पर सभी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने में दिक्कत आ रही थी. लिहाजा शिक्षक हरनन्दन ने कुछ नया करने की सोची, जिसके बाद हरनंदन ने अपने स्टाफ के शिक्षकों के साथ मिलकर 'गुरुजी आपके द्वार अभियान' की शुरुआत की. इस अभियान के तहत शिक्षक हरनंदन और उनके स्टाफ के शिक्षक घर-घर जाकर चार से पांच बच्चों के समूह को पढ़ाने का कार्य करते हैं.

राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित हैं शिक्षक हरनंदन
राज्य अध्यापक पुरस्कार हासिल कर चुके हरनंदन पीएचडी करने के बाद शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे. उनकी तैनाती जिले के देहात क्षेत्र के रसूलपुर नगली गांव में हुई, जहां उनकी नियुक्ति के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. वहीं आस-पास के गांवों के बच्चे भी उनके स्कूल में दाखिला ले रहे हैं.

मुरादाबाद: देश भर में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वाले शिक्षकों को सम्मानित भी किया जाता है. इस मौके पर ईटीवी भारत एक ऐसे शिक्षक की दास्तां आपको बताने जा रहा है, जो अपने प्रयासों से देहात क्षेत्र में बच्चों की किस्मत बदलने में जुटे हैं. जिले के रहने वाले शिक्षक हरनंदन कोरोना की मुश्किल घड़ी में भी अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह से निर्वहन कर रहे हैं. मुरादाबाद शहर से बीस किलोमीटर दूर खादर क्षेत्र स्थित एक स्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हरनंदन रोजाना बाढ़ के पानी को पार कर स्कूल पहुंचते हैं और घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. बता दें कि साल 2018 में हरनंदन को राज्य अध्यापक पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

शिक्षक हरनंदन के हौसले को हर कोई कर रहा सलाम.

ये हैं खास बातें

  • शिक्षक हरनंदन कोरोना काल में घर-घर जाकर बच्चों को कर रहे शिक्षित
  • 2018 में राज्य अध्यापक पुरस्कार से नवाजे गए थे हरनंदन
  • शिक्षक हरनंदन ने की 'गुरुजी आपके द्वार अभियान' की शुरुआत

शिक्षक हरनन्दन जिले के रसूलपुर नगली स्थित प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाचार्य के पद पर तैनात हैं. वे पिछले चार साल से खादर क्षेत्र के बच्चों को पढ़ा रहे हैं. इस दौरान हरनंदन कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. दरअसल, जिले से होकर गुजरने वाली रामगंगा नदी में हर साल बाढ़ आती है, जिसके चलते शिक्षक हरनन्दन को स्कूल तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके हरनंदन ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए इस चुनौती को स्वीकार करते हुए शिक्षा की अलख जला रखी है. हरनंदन के इस जज्बे को सलाम करते हुए हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है.

ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा बनी चुनौती
कोरोना संकट काल में लॉकडाउन के दौरान बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने के लिए सरकार ने आदेशित किया था, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या और अभिभावकों के पास स्मार्टफोन न होने पर सभी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने में दिक्कत आ रही थी. लिहाजा शिक्षक हरनन्दन ने कुछ नया करने की सोची, जिसके बाद हरनंदन ने अपने स्टाफ के शिक्षकों के साथ मिलकर 'गुरुजी आपके द्वार अभियान' की शुरुआत की. इस अभियान के तहत शिक्षक हरनंदन और उनके स्टाफ के शिक्षक घर-घर जाकर चार से पांच बच्चों के समूह को पढ़ाने का कार्य करते हैं.

राज्य अध्यापक पुरस्कार से सम्मानित हैं शिक्षक हरनंदन
राज्य अध्यापक पुरस्कार हासिल कर चुके हरनंदन पीएचडी करने के बाद शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे. उनकी तैनाती जिले के देहात क्षेत्र के रसूलपुर नगली गांव में हुई, जहां उनकी नियुक्ति के बाद स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है. वहीं आस-पास के गांवों के बच्चे भी उनके स्कूल में दाखिला ले रहे हैं.

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