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मुरादाबाद: हस्तशिल्प कारोबार के लिए कश्मीर में अपार संभावनाएं - मुरादाबाद पीतल उद्योग

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के पीतल व्यापारी केन्द्र सरकार के कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35 ए हटाये जाने से काफी खुश हैं. कारोबारियों का कहना है कि कश्मीर में व्यापार करने से विदेशी ग्राहक भारत में व्यापार और पर्यटन एक साथ कर पायेंगे.

कश्मीर से धारा-370 के हटाये जाने से पीतल उद्योग व्यापारी खुश
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Published : Aug 10, 2019, 7:55 AM IST

मुरादाबाद: पिछले कुछ सालों से बदहाली की मार झेल रहे पीतल उद्योग में अब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद नई उम्मीद जगी है. कारोबारियों के लिए कश्मीर में उद्योग विकसित करने का आह्वान प्रधानमंत्री ने भी किया है ऐसे में मुरादाबाद के पीतल उद्योग से जुड़े कारोबारी कश्मीर में कारोबार को लेकर राह तलाश रहे हैं.

पीतल उद्योग व्यापारियों से बातचीत.
कश्मीर में उद्योग की राह देख रहे व्यापारी-

मुरादाबाद का पीतल उद्योग पिछले कुछ सालों से लगातार अपनी चमक खोता जा रहा है. बदहाली और मंदी से बचने के लिए आज ज्यादातर कारोबारी पीतल को अलविदा कहकर मिक्स मैटल को अपना चुके हैं. दुनिया की मांग पर पीतल नगरी ने लकड़ियों के बने उत्पादों को भी बनाना शुरू किया है. मुरादाबाद में निर्यात होने वाले लकड़ी के उत्पाद आम की लकड़ी से तैयार किये जाते हैं लेकिन कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद कारोबारियों की नजर अब अखरोट की लकड़ी पर है जो कश्मीर में भरपूर है और आम की लकड़ी से ज्यादा मजबूत और सस्ती भी है.


यूरोप और अमेरिका में निर्यात होने वाले पेपर मैसी और क्रिसमस उत्पाद के लिए भी कश्मीर में बहुत सम्भावना है. कश्मीर का पारंपरिक कालीन उद्योग भी विदेशी मुद्रा अर्जित करने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है. निर्यातकों के मुताबिक कश्मीर में उद्योग शुरू करने से जहां कश्मीर की कारीगरी दुनिया में पहुंचाई जा सकती है वहीं कश्मीर को लेकर एक फायदा यह भी है कि ज्यादातर विदेशी ग्राहक यहां व्यापार और पर्यटन एक साथ कर पाएंगे.

मुरादाबाद: पिछले कुछ सालों से बदहाली की मार झेल रहे पीतल उद्योग में अब कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद नई उम्मीद जगी है. कारोबारियों के लिए कश्मीर में उद्योग विकसित करने का आह्वान प्रधानमंत्री ने भी किया है ऐसे में मुरादाबाद के पीतल उद्योग से जुड़े कारोबारी कश्मीर में कारोबार को लेकर राह तलाश रहे हैं.

पीतल उद्योग व्यापारियों से बातचीत.
कश्मीर में उद्योग की राह देख रहे व्यापारी-

मुरादाबाद का पीतल उद्योग पिछले कुछ सालों से लगातार अपनी चमक खोता जा रहा है. बदहाली और मंदी से बचने के लिए आज ज्यादातर कारोबारी पीतल को अलविदा कहकर मिक्स मैटल को अपना चुके हैं. दुनिया की मांग पर पीतल नगरी ने लकड़ियों के बने उत्पादों को भी बनाना शुरू किया है. मुरादाबाद में निर्यात होने वाले लकड़ी के उत्पाद आम की लकड़ी से तैयार किये जाते हैं लेकिन कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद कारोबारियों की नजर अब अखरोट की लकड़ी पर है जो कश्मीर में भरपूर है और आम की लकड़ी से ज्यादा मजबूत और सस्ती भी है.


यूरोप और अमेरिका में निर्यात होने वाले पेपर मैसी और क्रिसमस उत्पाद के लिए भी कश्मीर में बहुत सम्भावना है. कश्मीर का पारंपरिक कालीन उद्योग भी विदेशी मुद्रा अर्जित करने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है. निर्यातकों के मुताबिक कश्मीर में उद्योग शुरू करने से जहां कश्मीर की कारीगरी दुनिया में पहुंचाई जा सकती है वहीं कश्मीर को लेकर एक फायदा यह भी है कि ज्यादातर विदेशी ग्राहक यहां व्यापार और पर्यटन एक साथ कर पाएंगे.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: केंद्र सरकार द्वारा जम्बू-कश्मीर से धारा-370 और 35A हटाये जाने के बाद देश अब उम्मीद भरी निगाहों से कश्मीर को देख रहा है. पिछले कुछ सालों से बदहाली की मार झेल रहें पीतल उधोग में भी कश्मीर से धारा-370 हटाये जाने के बाद एक नई उम्मीद जगी है. दरअसल हस्तशिल्प उधोग में कारीगरी और संसाधनो को लेकर कश्मीर अपार सम्भावनाओं से भरा है.।कारोबारियों के लिए कश्मीर में उधोग विकसित करने का आह्वान प्रधानमंत्री ने भी किया है ऐसे में मुरादाबाद के पीतल उधोग से जुड़े कारोबारी कश्मीर में कारोबार को लेकर राह तलाश रहें है. कारोबारी धारा- 370 हटने के बाद कश्मीर को केंद्र में रखकर अपने भविष्य की योजनाओं का ताना-बाना बन रहे है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद का पीतल उधोग पिछले कुछ सालों से लगातार अपनी चमक खोता जा रहा है. बदहाली और मंदी से बचने के लिए आज ज्यादातर कारोबारी पीतल को अलविदा कहकर मिक्स मैटल को अपना चुकें है. पीतल उधोग में वर्तमान में अलग-अलग धातुओं का इस्तेमाल कर उत्पाद तैयार किये जा रहे है. दुनिया की मांग पर पीतल नगरी ने लकड़ियों के बनें उत्पादों को भी बनाना शुरू किया है. मुरादाबाद में निर्यात होने वाले लकड़ी के उत्पाद आम की लकड़ी से तैयार किये जाते है लेकिन कश्मीर से धारा- 370 हटने के बाद कारोबारियों की नजर अब अखरोट की लकड़ी पर है जो कश्मीर में भरपूर है और आम की लकड़ी से ज्यादा मजबूत और सस्ती भी है.
बाईट: सतपाल सिंह- पूर्व चैयरमैन, ईपीसीएच
वीओ टू: यूरोप और अमेरिका में निर्यात होने वाले पेपर मैसी और क्रिसमस उत्पाद के लिए भी कश्मीर में बहुत सम्भावना है. कश्मीर का पारंपरिक कालीन उधोग भी विदेशी मुद्रा अर्जित करने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद निर्यातक बदहाल हो रहें पीतल उधोग के विकल्प के रूप में कश्मीर को गम्भीरता से ले रहे है. निर्यातकों के मुताबिक कश्मीर में उधोग शुरू करने से जहां कश्मीर की कारीगरी दुनिया में पहुंचाई जा सकती है वहीं कश्मीर को लेकर एक फायदा यह भी है कि ज्यादातर विदेशी ग्राहक यहां व्यापार और पर्यटन एक साथ कर पाएंगे.
बाईट: अंशुल अग्रवाल- निर्यातक
बाईट: शरद बंसल- निर्यातक


Conclusion:वीओ तीन:कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद निर्यातक जहां आसानी से जमीन खरीदकर अपने उधोग को शुरू कर सकते है वहीं कश्मीर के कालीन से लेकर नक्काशी और अखरोट से लेकर विलो की लकड़ी को आकर्षक अंदाज में दुनिया भर में पहुंचा सकते है. कारोबारी स्थितियों पर नजर रखें हुए है और मंदी की तरफ बढ़ रहे पीतल उधोग को कश्मीर के जरिये नया जीवन देने की कोशिश में जुट गए है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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