मुरादाबाद : पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से पहचान रखने वाले मुरादाबाद के पीतल उद्योग पर आर्थिक मंदी का असर नजर आने लगा है. पीतल उद्योग के लिए यह वक्त यूरोप और अमेरिका के क्रिसमस उत्पादों को तैयार करने का होता है, लेकिन आर्थिक मंदी के बाद इस साल कारोबारियों को बहुत कम ऑर्डर मिल पाए हैं.
पीतल फैक्ट्रियों में काम न होने की वजह से जहां कारोबारी और कारीगर खाली हाथ बैठे हैं, वहीं आने वाले दिनों में छंटनी की आशंका भी जताई जा रही है. नोटबन्दी, जीएसटी और अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने के बाद पीतल उद्योग लगातार बदहाल होता जा रहा है.
पीतल उद्योग में संकट के बादल
- पूरे देश में हस्तशिल्प निर्यात का सालाना 28 फीसदी उत्पाद मुरादाबाद से विदेशों को निर्यात होता है.
- मुरादाबाद में सालाना निर्यात से 800 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आती हैं.
- उद्योग में पांच लाख से ज्यादा कारीगर दिन-रात मेहनत कर अपने हाथों के हुनर से उत्पाद को चमकाते हैं.
- उद्योग इन दिनों आर्थिक मंदी की चपेट में है और इस साल क्रिसमस ऑर्डर में आई पच्चीस फीसदी की गिरावट का असर अब दिखने लगा है.
ऑर्डर न होने के चलते फैक्ट्रियों में काम नाम मात्र का रह गया है और कारीगरों पर छंटनी का खतरा मंडराने लगा है. सितंबर का महीना आम तौर पर पीतल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने यूरोप और अमेरिका को क्रिसमस में ऑर्डर तैयार कर भेजे जाते हैं. देश में दीपावली को लेकर भी तैयारी शुरू हो जाती है, लेकिन पीतल उद्योग में इस साल सन्नाटा पसरा हुआ है.
छोटे स्तर पर चलने वाले ज्यादातर कारखाने काम न होने की वजह से महज कुछ घण्टे के लिए खुल रहें है और ज्यादातर कारखानों में कारीगरों की संख्या आधी रह गयी है.कारोबारियों के मुताबिक विदेशों से ऑर्डर न मिलने की स्थिति में कर्मचारियों को रख पाना सम्भव नहीं है.
-सतपाल सिंह, पीतल कारोबारी