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आर्थिक मंदी की चपेट में मुरादाबाद का पीतल कारोबार, कारीगरों पर रोजी-रोटी का संकट

उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के पीतल उद्योग पर आर्थिक मंदी का असर देखने को मिल रहा है. साल दर साल बढ़ती मंदी के चलते पीतल उद्योग में संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बदहाल होते कारोबार को लेकर सबसे ज्यादा चिंता उन लाखों कारीगरों के चेहरे पर नजर आती है, जिनकी रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया ही यह उद्योग है.

मुरादाबाद के पीतल उद्योग में संकट के बादल.
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Published : Sep 11, 2019, 2:42 AM IST

मुरादाबाद : पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से पहचान रखने वाले मुरादाबाद के पीतल उद्योग पर आर्थिक मंदी का असर नजर आने लगा है. पीतल उद्योग के लिए यह वक्त यूरोप और अमेरिका के क्रिसमस उत्पादों को तैयार करने का होता है, लेकिन आर्थिक मंदी के बाद इस साल कारोबारियों को बहुत कम ऑर्डर मिल पाए हैं.

मुरादाबाद के पीतल उद्योग में संकट के बादल.

पीतल फैक्ट्रियों में काम न होने की वजह से जहां कारोबारी और कारीगर खाली हाथ बैठे हैं, वहीं आने वाले दिनों में छंटनी की आशंका भी जताई जा रही है. नोटबन्दी, जीएसटी और अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने के बाद पीतल उद्योग लगातार बदहाल होता जा रहा है.

पीतल उद्योग में संकट के बादल

  • पूरे देश में हस्तशिल्प निर्यात का सालाना 28 फीसदी उत्पाद मुरादाबाद से विदेशों को निर्यात होता है.
  • मुरादाबाद में सालाना निर्यात से 800 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आती हैं.
  • उद्योग में पांच लाख से ज्यादा कारीगर दिन-रात मेहनत कर अपने हाथों के हुनर से उत्पाद को चमकाते हैं.
  • उद्योग इन दिनों आर्थिक मंदी की चपेट में है और इस साल क्रिसमस ऑर्डर में आई पच्चीस फीसदी की गिरावट का असर अब दिखने लगा है.

ऑर्डर न होने के चलते फैक्ट्रियों में काम नाम मात्र का रह गया है और कारीगरों पर छंटनी का खतरा मंडराने लगा है. सितंबर का महीना आम तौर पर पीतल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने यूरोप और अमेरिका को क्रिसमस में ऑर्डर तैयार कर भेजे जाते हैं. देश में दीपावली को लेकर भी तैयारी शुरू हो जाती है, लेकिन पीतल उद्योग में इस साल सन्नाटा पसरा हुआ है.

छोटे स्तर पर चलने वाले ज्यादातर कारखाने काम न होने की वजह से महज कुछ घण्टे के लिए खुल रहें है और ज्यादातर कारखानों में कारीगरों की संख्या आधी रह गयी है.कारोबारियों के मुताबिक विदेशों से ऑर्डर न मिलने की स्थिति में कर्मचारियों को रख पाना सम्भव नहीं है.

-सतपाल सिंह, पीतल कारोबारी

मुरादाबाद : पूरी दुनिया में पीतल नगरी के नाम से पहचान रखने वाले मुरादाबाद के पीतल उद्योग पर आर्थिक मंदी का असर नजर आने लगा है. पीतल उद्योग के लिए यह वक्त यूरोप और अमेरिका के क्रिसमस उत्पादों को तैयार करने का होता है, लेकिन आर्थिक मंदी के बाद इस साल कारोबारियों को बहुत कम ऑर्डर मिल पाए हैं.

मुरादाबाद के पीतल उद्योग में संकट के बादल.

पीतल फैक्ट्रियों में काम न होने की वजह से जहां कारोबारी और कारीगर खाली हाथ बैठे हैं, वहीं आने वाले दिनों में छंटनी की आशंका भी जताई जा रही है. नोटबन्दी, जीएसटी और अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने के बाद पीतल उद्योग लगातार बदहाल होता जा रहा है.

पीतल उद्योग में संकट के बादल

  • पूरे देश में हस्तशिल्प निर्यात का सालाना 28 फीसदी उत्पाद मुरादाबाद से विदेशों को निर्यात होता है.
  • मुरादाबाद में सालाना निर्यात से 800 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आती हैं.
  • उद्योग में पांच लाख से ज्यादा कारीगर दिन-रात मेहनत कर अपने हाथों के हुनर से उत्पाद को चमकाते हैं.
  • उद्योग इन दिनों आर्थिक मंदी की चपेट में है और इस साल क्रिसमस ऑर्डर में आई पच्चीस फीसदी की गिरावट का असर अब दिखने लगा है.

ऑर्डर न होने के चलते फैक्ट्रियों में काम नाम मात्र का रह गया है और कारीगरों पर छंटनी का खतरा मंडराने लगा है. सितंबर का महीना आम तौर पर पीतल उद्योग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने यूरोप और अमेरिका को क्रिसमस में ऑर्डर तैयार कर भेजे जाते हैं. देश में दीपावली को लेकर भी तैयारी शुरू हो जाती है, लेकिन पीतल उद्योग में इस साल सन्नाटा पसरा हुआ है.

छोटे स्तर पर चलने वाले ज्यादातर कारखाने काम न होने की वजह से महज कुछ घण्टे के लिए खुल रहें है और ज्यादातर कारखानों में कारीगरों की संख्या आधी रह गयी है.कारोबारियों के मुताबिक विदेशों से ऑर्डर न मिलने की स्थिति में कर्मचारियों को रख पाना सम्भव नहीं है.

-सतपाल सिंह, पीतल कारोबारी

Intro:एंकर: मुरादाबाद: पूरी दुनिया मे पीतल नगरी के नाम से पहचान रखने वाले मुरादाबाद के पीतल उधोग पर आर्थिक मंदी का असर नजर आने लगा है. पीतल उधोग के लिए यह वक्त यूरोप और अमेरिका के क्रिसमस उत्पादों को तैयार करने का होता है, लेकिन विदेशों में छाई आर्थिक मंदी के बाद इस साल कारोबारियों को बहुत कम ऑर्डर मिल पाए है. पीतल फैक्ट्रियों में काम न होने की वजह से जहां कारोबारी और कारीगर खाली हाथ बैठे है वहीं आने वाले दिनों में छंटनी की आशंका भी जताई जा रहीं है. नोटबन्दी, जीएसटी, ईरान विवाद और अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने के बाद पीतल उधोग लगातार बदहाल होता जा रहा है ऐसे में विदेशी बायरों के कम ऑर्डर ने कारोबारियों की नींद उड़ा रखी है.


Body:वीओ वन: पूरे देश में हस्तशिल्प निर्यात का सालाना 28 फीसदी उत्पाद मुरादाबाद से विदेशों को निर्यात होता है. निर्यात से अकेले मुरादाबाद में सालाना आठ सौ करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा आती है. शहर की गलियों से लेकर बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों तक पीतल उधोग में पांच लाख से ज्यादा कारीगर दिन- रात मेहनत कर अपने हाथों के हुनर से उत्पाद को चमकाते है. सोने की चमक रखने वाला मुरादाबाद का पीतल उधोग आजकल पूरी दुनिया में छाई अघोषित आर्थिक मंदी की चपेट में है और इस साल क्रिसमस ऑर्डर में आई पच्चीस फीसदी की गिरावट का असर अब दिखने लगा है. कारोबारियों के मुताबिक ऑर्डर न होने के चलते फैक्ट्रियों में काम नाम मात्र का रह गया है और कारीगरों पर छंटनी का खतरा मंडराने लगा है.
बाईट- सतपाल सिंहः कारोबारी
वीओ टू: सितंबर का महीना आम तौर पर पीतल उधोग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने यूरोप और अमेरिका को क्रिसमस ऑर्डर तैयार कर भेजे जाते है. इसके साथ ही देश में दीपावली को लेकर भी तैयारी शुरू हो जाती है,लेकिन पीतल उधोग में इस साल सन्नाटा पसरा हुआ है और क्रिसमस के ऑर्डर भी कारोबारियों के पास नहीं है. छोटे स्तर पर चलने वाले ज्यादातर कारखाने काम न होने की वजह से महज कुछ घण्टे के लिए खुल रहें है और ज्यादातर कारखानों में कारीगरों की संख्या आधी रह गयी है. कारोबारियों के मुताबिक विदेशों से ऑर्डर न मिलने की स्थिति में कर्मचारियों को रख पाना सम्भव नही है.
बाईट: डॉक्टर गानिम: चैयरमैन( FTPPA)


Conclusion: वीओ तीन: क्रिसमस ऑर्डर के लिए पीतल कारोबारी साल भर मेहनत करते है और कारोबारियों को क्रिसमस का महीनों से इंतजार रहता है. पिछले सालों की तुलना में कम ऑर्डर मिलने के बाद जहां पीतल उधोग में मायूसी महसूस की जा रहीं है वहीं स्थानीय त्यौहारों को लेकर भी ज्यादा उत्साह नहीं दिखाई दे रहा. बदहाल होते कारोबार को लेकर सबसे ज्यादा चिंता उन लाखों कारीगरों के चेहरे पर नजर आती है जिनकी रोजी- रोटी का एकमात्र जरिया ही यह उधोग है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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