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मुरादाबाद: पश्चिमी यूपी के खेतों में जल्द एंट्री करेगा काला चावल, कृषि शोध केंद्र में ट्रायल शुरू

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Published : Jul 14, 2020, 12:01 AM IST

यूपी के पश्चिमी यूपी के खेतों में काला चावल जल्द ही देखने को मिलेगा. जिसको लेकर कृषि शोध केंद्र में ट्रायल शुरू हो चुका है.

खेतों में लगे काला धान के फसल.
खेतों में लगे काला धान के फसल.

मुरादाबाद: जिले के कृषि शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में ट्रायल के तौर पर एक बीघा जमीन में काला धान लगाया गया है. महज तीन महीने में तैयार होने वाली धान की यह फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मौसम में इसकी पैदावार और लागत देखने के लिए इसको अभी ट्रायल के तौर पर लगाया गया है. अधिकारियों के मुताबिक अभी तक के परिणाम काफी उत्साहजनक हैं. पैदावार के बाद अगले साल काले धान का बीज किसानों को वितरित किया जाएगा.

गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी यूपी में उगाया जाने वाला चावल बाजार में 50 से 60 रुपये किलो बिकता है. जबकि काले चावल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है. प्रभारी वैज्ञानिक दीपक मेंदीरत्ता ने बताया कि मुरादाबाद कृषि शोध एंव प्रशिक्षण केंद्र में एक बीघा जमीन में ट्रायल के तौर पर काला धान रोपा गया है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक अभी तक धान की पौध का विकास काफी अच्छा हुआ है और यह गर्मी में भी बेहतर तरीके से खुद को ढाल रहा हैं.

किसानों को वितरित किया जाएगा बीज

मुरादाबाद मंडल में काला चावल आने वाले समय में किसानों के लिए एक विकल्प बन सकता है. बाजार में डिमांड और ज्यादा कीमत के चलते किसान भी शोध केंद्र में इससे जुड़ी जानकारियों के प्रति रुचि दिखा रहे हैं. शोध केंद्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गर्म मौसम में एक बीघा जमीन में इसके उत्पादन की गणना भी की जाएगी, जिसके बाद इसके बीज को किसानों को वितरित किया जाएगा.

90 से 100 दिन में तैयार हो जाता है

काला धान गन्ने के मुकाबले महज 90 से 100 दिन में तैयार हो जाता है. वहीं यह गन्ने से कहीं ज्यादा मुनाफा भी देता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी तक इसमें आम धान की तरह ही पानी दिया जा रहा है. कोरोना संकट के चलते कम किसान अभी शोध केंद्र पहुंच रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में काले धान की खेती को देखने किसान पहुंचेंगे.

मुरादाबाद: जिले के कृषि शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में ट्रायल के तौर पर एक बीघा जमीन में काला धान लगाया गया है. महज तीन महीने में तैयार होने वाली धान की यह फसल किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मौसम में इसकी पैदावार और लागत देखने के लिए इसको अभी ट्रायल के तौर पर लगाया गया है. अधिकारियों के मुताबिक अभी तक के परिणाम काफी उत्साहजनक हैं. पैदावार के बाद अगले साल काले धान का बीज किसानों को वितरित किया जाएगा.

गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी यूपी में उगाया जाने वाला चावल बाजार में 50 से 60 रुपये किलो बिकता है. जबकि काले चावल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो से शुरू होती है. प्रभारी वैज्ञानिक दीपक मेंदीरत्ता ने बताया कि मुरादाबाद कृषि शोध एंव प्रशिक्षण केंद्र में एक बीघा जमीन में ट्रायल के तौर पर काला धान रोपा गया है. कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक अभी तक धान की पौध का विकास काफी अच्छा हुआ है और यह गर्मी में भी बेहतर तरीके से खुद को ढाल रहा हैं.

किसानों को वितरित किया जाएगा बीज

मुरादाबाद मंडल में काला चावल आने वाले समय में किसानों के लिए एक विकल्प बन सकता है. बाजार में डिमांड और ज्यादा कीमत के चलते किसान भी शोध केंद्र में इससे जुड़ी जानकारियों के प्रति रुचि दिखा रहे हैं. शोध केंद्र में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गर्म मौसम में एक बीघा जमीन में इसके उत्पादन की गणना भी की जाएगी, जिसके बाद इसके बीज को किसानों को वितरित किया जाएगा.

90 से 100 दिन में तैयार हो जाता है

काला धान गन्ने के मुकाबले महज 90 से 100 दिन में तैयार हो जाता है. वहीं यह गन्ने से कहीं ज्यादा मुनाफा भी देता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी तक इसमें आम धान की तरह ही पानी दिया जा रहा है. कोरोना संकट के चलते कम किसान अभी शोध केंद्र पहुंच रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में काले धान की खेती को देखने किसान पहुंचेंगे.

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