मुरादाबाद: देश में प्रदूषण नियंत्रण के तमाम दावों के बाद भी सरकारी महकमे सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. ताजा मामला मुरादाबाद का है, जहां प्रदूषण रोकने में नाकाम साबित हुए जिला महिला एवं पुरुष अस्पतालों पर भारी जुर्माना लगाया गया है. अस्पतालों के वेस्टेज का सही तरीके से निस्तारण न होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी के आदेश के बाद अस्पतालों पर बारह-बारह लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं सरकारी अस्पतालों के साथ निजी अस्पताल भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रडार पर है.
प्रदूषण नियंत्रण में निजी अस्पतालों के साथ सरकारी अस्पताल भी नाकाम साबित हो रहें हैं. मुरादाबाद जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जिला महिला एवं पुरुष अस्पताल पर प्रदूषण रोकने के प्रभावी इंतजाम करने में विफल रहने पर कुल चौबीस लाख रुपये का जुर्माना किया है.
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2016 में एनजीटी ने सभी अस्पतालों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकारी अस्पतालों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले सप्ताह अस्पतालों को सहमति पत्र लेने का नोटिस जारी किया था, लेकिन अस्पतालों ने इसे भी किनारे कर दिया. जिला महिला एवं पुरुष अस्पताल की जांच पिछले महीने एनजीटी की एक टीम ने की थी, जिसमें अस्पताल प्रदूषण के मानक पर फेल साबित हुए थे.
एनजीटी के आदेशों के बाद भी सरकारी अस्पतालों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लग पाया है, जिससे अस्पतालों से निकलने वाला प्रदूषित पानी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहा है. जिला अस्पतालों की जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद जुर्माने की कार्रवाई की गई है. क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के मुताबिक मुरादाबाद जनपद के सरकारी अस्पतालों पर कार्रवाई के बाद अब निजी अस्पतालों की जांच की जा रही है और एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि मानकों को पूरा न करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई की जाए.