मिर्जापुर : उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने सहयोगी दलों को साधने में जुटी है. यही वजह है कि भाजपा की सहयोगी अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है. मिर्जापुर की सांसद और अपना दल (एस) राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथग्रहण समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली. अनुप्रिया पटेल के मंत्री बनने के बाद मिर्जापुर में उनके आवास और पार्टी कार्यालय पर जश्न का माहौल देखा गया. अपना दल (एस) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने नेता को मंत्री बनाए जाने पर अबीर-गुलाल उड़ाकर खुशी का इजहार किया. अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार पार्ट-1 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री रह चुकी हैं.
अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल कानपुर के रहने वाले थे. वे प्रदेश के सियासत में सक्रिय थे और अपनी एक अलग पहचान रखते थे. वह बसपा के संस्थापकों में से एक माने जाते हैं. बाद में वह बसपा से नीतियों नाराज होकर वे पार्टी से अलग हो गए और OBC वर्ग को केंद्रित कर अपना दल बनाया. प्रदेश में ओबीसी जातियों का एक बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में इलाहाबाद से लेकर पूर्वांचल में अपना दल वोट का काफी असर देखने को मिलता है. बाहुबली अतीक अहमद ने पहली बार अपना दल से चुनाव जीता था. सपा सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र पटेल ने भी पहली बार अपना दल के टिकट पर ही चुनाव जीता था.
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पिता की मौत के बाद अनुप्रिया ने संभाली पार्टी की कमान
अनुप्रिया पटेल का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर में हुआ. दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. वह छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी (कानपुर) से एमबीए भी हैं. इनका विवाह पूर्व इंजीनियर और वर्तमान एमएलसी आशीष कुमार सिंह से हुआ है. वर्तमान समय में राजनीति में पटेल वर्ग में इनकी लोकप्रिय छवि बनी हुई है. अनुप्रिया शुरुआती जीवन में राजनीति से दूर ही रहीं. वह राजनीति में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन पिता सोनेलाल पटेल की 2009 में सड़क हादसे में मृत्यु के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. पिता की मौत के कुछ दिन पहले ही अनुप्रिया पटेल और आशीष पटेल की शादी हुई थी. पार्टी के कार्यकर्ताओं के कहने पर राजनीति में उतर आई.
मां-बहन से अलग होकर बनाई पार्टी
पिता सोनेलाल पटेल की मृत्यु के बाद अनुप्रिया पटेल पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव बनीं. जबकि, पार्टी की कमान मां कृष्णा पटेल के पास थी. राजनीति में आने के बाद जैसे-जैसे अनुप्रिया अपनी अलग पहचान बनाती गईं, वैसे-वैसे उनके परिवार में तनाव भी बढ़ता चला गया. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में अनुप्रिया वाराणसी की रोहनिया विधानसभा से चुनाव जीता. इसके दो साल बाद ही पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन किया और 2014 में अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से भारी मतों से लोकसभा चुनाव जीत लिया. इसके बाद वह केंद्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भी बनीं. वे 36 वर्ष की उम्र में सबसे कम उम्र की मंत्री बनाई गयी थी.
केंद्र की राजनीति में पहुंचने के बाद अनुप्रिया ने जब वाराणसी की रोहनिया विधानसभा सीट छोड़ी तो इस सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर परिवार में रस्साकसी सामने शुरू हो गयी. बताया जाता है यहीं से अपना दल में टूट शुरू हो गई. कहा जाता है इस सीट पर अनुप्रिया के पति आशीष सिंह चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अनुप्रिया की मां कृष्णा पटेल ने ऐसा नहीं होने दिया और खुद रोहनिया से चुनाव लड़ा. इस उपचुनाव में कृष्णा पटेल हार गईं और इसी को लेकर मां और बेटी आमने-सामने आ गईं. इसके बाद पार्टी पर कब्जे की जंग शुरू हो गई. नाराज कृष्णा पटेल ने सीधे अनुप्रिया पटेल और उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से बाहर कर दिया, लेकिन तब तक अनुप्रिया की अलग पहचान बन चुकी थी. इस बीच अनुप्रिया पटेल ने 2016 में अपनी अलग पार्टी अपना दल (सोनेलाल) बना ली. तब से हर चुनाव में मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल से उनका टकराव समय-समय पर होता रहता है.