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लकड़ी के खिलौनेः कभी प्रधानमंत्री ने की थी बढ़ाई, आज घटती जा रही कमाई

मिर्जापुर में बने अहरौरा की लकड़ी के खिलौने देश में ही नहीं, पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. यहां के बने लकड़ी के रोलर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के एक कार्यक्रम में भी दिखा चुके हैं. पेश है ईटीवी भारत की अहरौरा की लकड़ी से बने खिलौनों पर एक खास रिपोर्ट...

अहरौरा की लकड़ी के खिलौने
अहरौरा की लकड़ी के खिलौने
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Published : Jan 28, 2021, 5:22 PM IST

मिर्जापुर: लकड़ी की काठी... गाना याद है न. बचपन में लकड़ी की गाड़ी पर बैठकर हम सब ने ये गाना गुन गुनाया है. समय कितना भी आगे चला जाए, लेकिन कुछ चीजें कभी पुरानी नहीं होतीं. जी हां, ऐसे ही तो हैं अहरौरा की लकड़ी से बने खिलौने. अहरौरा की लकड़ी के खिलौने देश में ही नहीं, पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. यहां के बने लकड़ी के रोलर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के एक कार्यक्रम में दिखा भी चुके हैं. इस रोलन से ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल किया जाता है. लेकिन, कोरोना के चलते इन खिलौनों की मांग घट गई हैं. जिले के व्यापारियों का कहना है कि इस आइटम को विदेशों में सप्लाई किया जाए तो, उनका व्यवसाय बेहतर हो जाएगा और प्रधानमंत्री का वोकल फॉर लोकल का नारा भी सार्थक हो जाएगा.

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लोकल से वोकल बनें हम

पीएम ने किया था प्रयोग

मिर्जापुर में लकड़ी के खिलौने का व्यापार सबसे ज्यादा होता है. लेकिन, चाइना के खिलौनों की बढ़ती मांग के कारण अब इक्का-दुक्का कारोबारी ही लकड़ी के खिलौने के कारोबार में बचे हैं. लकड़ी के खिलौनों के साथ ब्लड सर्कुलेशन सही रखने और शरीर के दर्द को मिटाने के लिए यहां के लकड़ी के रोलर की भी डिमांड है. लकड़ी के इस रोलर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में अपने हाथों में लेकर दिखाया था. तब इस रोलर की मांग तेजी से बढ़ गई थी. इसके बाद कुछ दिन तक तो अच्छी सप्लाई हुई, मगर कोरोना के चलते फिर रोलर की मांग घट गई है.

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लकड़ी के रोलर की भी डिमांड
दशकों से चल रहा लकड़ी के खिलौने का कारोबार

अहरौरा बाजार में चार दशकों से लकड़ी के खिलौनों का कारोबार किया जा रहा है. चाइना के सामान की मांग अधिक होने से यहां के खिलौने की मांग कम हो गई है. खिलौनों के साथ ब्लड सर्कुलेशन सही रखने के लिए लकड़ी के बने रोलर से यहां के कारोबारियों को उम्मीद जगी थी, लेकिन कोरोना ने उस उम्मीद को भी तोड़ दिया.


ये होता है रोलर का काम

शरीर को फिट रखने के लिए सबसे जरूरी है सही ब्लड सर्कुलेशन. पूरे शरीर में खून का प्रवाह सही तरीके से होना चाहिए. तभी व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है. लकड़ी का बना यह रोलर शरीर के समस्त दर्द के निवारण में काम आता है. इसे जमीन पर रखकर दोनों पैरों को इस पर चलाया जाता है. पैर के नीचे की नस ब्लड सरकुलेशन को तेज करती है. इससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और लोगों को आराम मिलता है. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

कर्मचारियों की संख्या हुई कम

कारोबारी रामजी गुप्ता ने बताया कि यहां पर कई सालों से लकड़ी के खिलौने का कारोबार किया जा रहा है. अब हम लोग खिलौने के साथ ब्लड सर्कुलेशन के काम में आने वाले इस रोलर का भी काम करते हैं. हमारे यहां के बने रोलर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के एक कार्यक्रम में दिखाया था. हम लोगों को उम्मीद जगी थी कि रोलर की वजह से लकड़ी के व्यवसाय को संजीवनी मिलेगी. मगर बीच में कोरोना आ जाने से इसकी डिमांड फिर से घट गई. हम लोग चाहते हैं कि मांग यहां के बने आइटम को विदेशों तक भेजा जाए. जिससे हम लोग अच्छी इनकम के साथ लोकल से वोकल भी बन सकें. यहां पर पहले 400 से ज्यादा वर्कर काम करते थे. अब महज 200 रह गए हैं.

मिर्जापुर: लकड़ी की काठी... गाना याद है न. बचपन में लकड़ी की गाड़ी पर बैठकर हम सब ने ये गाना गुन गुनाया है. समय कितना भी आगे चला जाए, लेकिन कुछ चीजें कभी पुरानी नहीं होतीं. जी हां, ऐसे ही तो हैं अहरौरा की लकड़ी से बने खिलौने. अहरौरा की लकड़ी के खिलौने देश में ही नहीं, पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. यहां के बने लकड़ी के रोलर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के एक कार्यक्रम में दिखा भी चुके हैं. इस रोलन से ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल किया जाता है. लेकिन, कोरोना के चलते इन खिलौनों की मांग घट गई हैं. जिले के व्यापारियों का कहना है कि इस आइटम को विदेशों में सप्लाई किया जाए तो, उनका व्यवसाय बेहतर हो जाएगा और प्रधानमंत्री का वोकल फॉर लोकल का नारा भी सार्थक हो जाएगा.

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लोकल से वोकल बनें हम

पीएम ने किया था प्रयोग

मिर्जापुर में लकड़ी के खिलौने का व्यापार सबसे ज्यादा होता है. लेकिन, चाइना के खिलौनों की बढ़ती मांग के कारण अब इक्का-दुक्का कारोबारी ही लकड़ी के खिलौने के कारोबार में बचे हैं. लकड़ी के खिलौनों के साथ ब्लड सर्कुलेशन सही रखने और शरीर के दर्द को मिटाने के लिए यहां के लकड़ी के रोलर की भी डिमांड है. लकड़ी के इस रोलर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में अपने हाथों में लेकर दिखाया था. तब इस रोलर की मांग तेजी से बढ़ गई थी. इसके बाद कुछ दिन तक तो अच्छी सप्लाई हुई, मगर कोरोना के चलते फिर रोलर की मांग घट गई है.

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लकड़ी के रोलर की भी डिमांड
दशकों से चल रहा लकड़ी के खिलौने का कारोबार

अहरौरा बाजार में चार दशकों से लकड़ी के खिलौनों का कारोबार किया जा रहा है. चाइना के सामान की मांग अधिक होने से यहां के खिलौने की मांग कम हो गई है. खिलौनों के साथ ब्लड सर्कुलेशन सही रखने के लिए लकड़ी के बने रोलर से यहां के कारोबारियों को उम्मीद जगी थी, लेकिन कोरोना ने उस उम्मीद को भी तोड़ दिया.


ये होता है रोलर का काम

शरीर को फिट रखने के लिए सबसे जरूरी है सही ब्लड सर्कुलेशन. पूरे शरीर में खून का प्रवाह सही तरीके से होना चाहिए. तभी व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है. लकड़ी का बना यह रोलर शरीर के समस्त दर्द के निवारण में काम आता है. इसे जमीन पर रखकर दोनों पैरों को इस पर चलाया जाता है. पैर के नीचे की नस ब्लड सरकुलेशन को तेज करती है. इससे पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और लोगों को आराम मिलता है. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

कर्मचारियों की संख्या हुई कम

कारोबारी रामजी गुप्ता ने बताया कि यहां पर कई सालों से लकड़ी के खिलौने का कारोबार किया जा रहा है. अब हम लोग खिलौने के साथ ब्लड सर्कुलेशन के काम में आने वाले इस रोलर का भी काम करते हैं. हमारे यहां के बने रोलर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के एक कार्यक्रम में दिखाया था. हम लोगों को उम्मीद जगी थी कि रोलर की वजह से लकड़ी के व्यवसाय को संजीवनी मिलेगी. मगर बीच में कोरोना आ जाने से इसकी डिमांड फिर से घट गई. हम लोग चाहते हैं कि मांग यहां के बने आइटम को विदेशों तक भेजा जाए. जिससे हम लोग अच्छी इनकम के साथ लोकल से वोकल भी बन सकें. यहां पर पहले 400 से ज्यादा वर्कर काम करते थे. अब महज 200 रह गए हैं.

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