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जीवन को जल की तलाश: पानी की किल्लत से ग्रामीण परेशान, गांव में नहीं करना चाहता कोई अपनी बेटी की शादी

मिर्जापुर जिले में स्थित लहुरियादह गांव के लोग पानी की समस्या को लेकर खासा परेशान हैं. यहां ग्रामीण अपने घर से 2 किलोमीटर दूर झरने से पानी लाने को मजबूर हैं. पानी की समस्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गांव में कोई अपनी बेटी की शादी करने के लिए भी तैयार नहीं है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : May 25, 2022, 10:12 AM IST

Updated : May 25, 2022, 10:29 AM IST

मिर्जापुर: जिले का एक ऐसा गांव जहां आजादी के बाद से आज तक पानी की समस्या का निदान कोई सरकार नहीं कर सकी है. ग्रामीण घर से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ के प्राकृतिक जल स्रोत के झरने से पानी भरने को मजबूर हैं. 12 महीने टैंकर से सप्लाई के बावजूद भी पानी कम पड़ने पर झरने का ही सहारा लिया जाता है. टैंकर से एक व्यक्ति को हर दिन के हिसाब से 15 लीटर पानी मिलता है, जिसके लिए बकायदा ग्रामीणों का कार्ड बनाया गया है. कार्ड के मुताबिक ही पानी वितरण किया जाता है. तीसरे दिन टैंकर से ग्रामीणों को पानी दिया जाता है. ग्रामीण इस पानी को इकट्ठा कर 2-3 दिन तक काम चलाते हैं. यहां की महिलाएं पूरा समय पानी में ही लगा देती हैं. गौरतलब है कि गांव में पानी की किल्लत के कारण यहां पर कोई अपनी बेटी का रिश्ता भी नहीं करना चाहता.

जानकारी देते ग्रामीण.

मिर्जापुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर हलिया ब्लाक के लहुरियादह गांव में पानी की समस्या कोई आज की समस्या नहीं है. हलिया ब्लाक के लहुरियादह गांव जिले का सबसे पिछड़ा गांव है. पहाड़ पर गांव बसे होने के चलते झरना ही ग्रामीणों का सहारा है. यहां ग्रामीण 2 किलोमीटर पैदल चलकर झरने से पानी ले आने को मजबूर हैं.

कार्ड के मुताबिक ग्रामीणों को मिलता है पानी
गांव में पानी का संकट सदियों से चला आ रहा है. ऐसे में इस भीषण गर्मी में लोगों के सामने पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है. पानी सभी को मिले इसको देखते हुए ग्राम प्रधान ने हर व्यक्ति के लिए कार्ड बनवाया है. कार्ड के मुताबिक ही ग्रामीणों को पानी मिलता है. एक व्यक्ति को 15 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी दिया जा रहा है. टैंकर आने पर एक व्यक्ति को 15 लीटर के हिसाब से 3 दिन का पानी एक साथ दिया जाता है. ग्रामीण इस पानी को 3 दिन तक चलाते हैं. टैंकर पहुंचते ही ग्रामीण अपने-अपने डिब्बे और बाल्टी लेकर दौड़ पड़ते हैं और जरूरत का पानी इकट्ठा कर घरों में रख लेते हैं.

लहुरियादह गांव की आबादी लगभग 2 हजार की है. इस गांव में पानी की स्थाई व्यवस्था न होने के चलते ग्रामीण अपमानित महसूस करते हैं. ग्रामीणों की माने तो पानी की वजह से कोई अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव में नहीं करना चाहता. ग्रामीण रिश्ते को लेकर अब चिंतित और परेशान नजर आते हैं.

जीवन को जल की तलाश.
जीवन को जल की तलाश.

पानी लाने में ही चला जाता है महिलाओं का समय
लहुरियादह गांव की महिलाएं अपना पूरा समय चूल्हा-चौका के बाद पानी में ही लगा देती हैं. महिलाओं का कहना है कि टैंकर से सप्लाई तो की जा रही है, लेकिन इतना कम पानी मिलता है कि मजबूरन हम लोगों को टैंकर के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोत के झरने का भी सहारा लेना पड़ता है. महिलाएं सुबह, शाम और दोपहर केवल पानी लाने में ही लगा देती हैं.

सैकड़ों गांव में पानी का संकट
मिर्जापुर जनपद के सबसे पिछड़ा ब्लॉक हलिया के साथ ही राजगढ़, लालगंज, पहाड़ी, पटेहरा और मंझवा ब्लॉक के लगभग 150 गांव में वाटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से हैंडपंपों में पानी निकलना बंद हो गया है. इस भीषण गर्मी में तालाब कुएं सूख गए हैं. हैंडपंप पानी नहीं दे रहे है. इसकी वजह से कई ग्राम सभाओं में टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है. टैंकर ही ग्रामीणों के लिए सहारा बना हुआ है.

पाइप पेयजल योजना के तहत हर घर पहुंच रहा है नल
सरकार बुंदेलखंड के साथ विंध्य क्षेत्र में लोगों की प्यास बुझाने के लिए पाइप पेय जल योजना के तहत हर घर पानी पहुंचाने की घोषणा की थी और उसका काम भी जिले में तेजी से चल रहा है. सीडीओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने बताया कि पाइप पेयजल योजना के तहत काम चल रहा है. जहां जल्द ही सभी घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचेगा. लहुरियादह गांव में भी पानी पहुंचेगा. जिले के जिस गांव में पानी का संकट है. वहां पर टैंकर से सप्लाई की जा रही है. सभी को पानी मिल रहा है. पानी को लेकर कहीं हाहाकार नहीं मचा हुआ है. पर्याप्त पानी लोगों को दिया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं- यूपी के इस गांव में छुआछूत, अनुसूचित जाति के लोगों को पानी भरना मना है...

मिर्जापुर: जिले का एक ऐसा गांव जहां आजादी के बाद से आज तक पानी की समस्या का निदान कोई सरकार नहीं कर सकी है. ग्रामीण घर से 2 किलोमीटर दूर पहाड़ के प्राकृतिक जल स्रोत के झरने से पानी भरने को मजबूर हैं. 12 महीने टैंकर से सप्लाई के बावजूद भी पानी कम पड़ने पर झरने का ही सहारा लिया जाता है. टैंकर से एक व्यक्ति को हर दिन के हिसाब से 15 लीटर पानी मिलता है, जिसके लिए बकायदा ग्रामीणों का कार्ड बनाया गया है. कार्ड के मुताबिक ही पानी वितरण किया जाता है. तीसरे दिन टैंकर से ग्रामीणों को पानी दिया जाता है. ग्रामीण इस पानी को इकट्ठा कर 2-3 दिन तक काम चलाते हैं. यहां की महिलाएं पूरा समय पानी में ही लगा देती हैं. गौरतलब है कि गांव में पानी की किल्लत के कारण यहां पर कोई अपनी बेटी का रिश्ता भी नहीं करना चाहता.

जानकारी देते ग्रामीण.

मिर्जापुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर हलिया ब्लाक के लहुरियादह गांव में पानी की समस्या कोई आज की समस्या नहीं है. हलिया ब्लाक के लहुरियादह गांव जिले का सबसे पिछड़ा गांव है. पहाड़ पर गांव बसे होने के चलते झरना ही ग्रामीणों का सहारा है. यहां ग्रामीण 2 किलोमीटर पैदल चलकर झरने से पानी ले आने को मजबूर हैं.

कार्ड के मुताबिक ग्रामीणों को मिलता है पानी
गांव में पानी का संकट सदियों से चला आ रहा है. ऐसे में इस भीषण गर्मी में लोगों के सामने पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है. पानी सभी को मिले इसको देखते हुए ग्राम प्रधान ने हर व्यक्ति के लिए कार्ड बनवाया है. कार्ड के मुताबिक ही ग्रामीणों को पानी मिलता है. एक व्यक्ति को 15 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से पानी दिया जा रहा है. टैंकर आने पर एक व्यक्ति को 15 लीटर के हिसाब से 3 दिन का पानी एक साथ दिया जाता है. ग्रामीण इस पानी को 3 दिन तक चलाते हैं. टैंकर पहुंचते ही ग्रामीण अपने-अपने डिब्बे और बाल्टी लेकर दौड़ पड़ते हैं और जरूरत का पानी इकट्ठा कर घरों में रख लेते हैं.

लहुरियादह गांव की आबादी लगभग 2 हजार की है. इस गांव में पानी की स्थाई व्यवस्था न होने के चलते ग्रामीण अपमानित महसूस करते हैं. ग्रामीणों की माने तो पानी की वजह से कोई अपनी बेटी का रिश्ता इस गांव में नहीं करना चाहता. ग्रामीण रिश्ते को लेकर अब चिंतित और परेशान नजर आते हैं.

जीवन को जल की तलाश.
जीवन को जल की तलाश.

पानी लाने में ही चला जाता है महिलाओं का समय
लहुरियादह गांव की महिलाएं अपना पूरा समय चूल्हा-चौका के बाद पानी में ही लगा देती हैं. महिलाओं का कहना है कि टैंकर से सप्लाई तो की जा रही है, लेकिन इतना कम पानी मिलता है कि मजबूरन हम लोगों को टैंकर के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोत के झरने का भी सहारा लेना पड़ता है. महिलाएं सुबह, शाम और दोपहर केवल पानी लाने में ही लगा देती हैं.

सैकड़ों गांव में पानी का संकट
मिर्जापुर जनपद के सबसे पिछड़ा ब्लॉक हलिया के साथ ही राजगढ़, लालगंज, पहाड़ी, पटेहरा और मंझवा ब्लॉक के लगभग 150 गांव में वाटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से हैंडपंपों में पानी निकलना बंद हो गया है. इस भीषण गर्मी में तालाब कुएं सूख गए हैं. हैंडपंप पानी नहीं दे रहे है. इसकी वजह से कई ग्राम सभाओं में टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है. टैंकर ही ग्रामीणों के लिए सहारा बना हुआ है.

पाइप पेयजल योजना के तहत हर घर पहुंच रहा है नल
सरकार बुंदेलखंड के साथ विंध्य क्षेत्र में लोगों की प्यास बुझाने के लिए पाइप पेय जल योजना के तहत हर घर पानी पहुंचाने की घोषणा की थी और उसका काम भी जिले में तेजी से चल रहा है. सीडीओ श्रीलक्ष्मी वीएस ने बताया कि पाइप पेयजल योजना के तहत काम चल रहा है. जहां जल्द ही सभी घरों में नल के माध्यम से पानी पहुंचेगा. लहुरियादह गांव में भी पानी पहुंचेगा. जिले के जिस गांव में पानी का संकट है. वहां पर टैंकर से सप्लाई की जा रही है. सभी को पानी मिल रहा है. पानी को लेकर कहीं हाहाकार नहीं मचा हुआ है. पर्याप्त पानी लोगों को दिया जा रहा है.

इसे भी पढे़ं- यूपी के इस गांव में छुआछूत, अनुसूचित जाति के लोगों को पानी भरना मना है...

Last Updated : May 25, 2022, 10:29 AM IST
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