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मिर्जापुर: ट्रक मालिक नहीं दे पा रहे किश्त, 1000 ट्रक किए सरेंडर

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में शास्त्री सेतु पर दो वर्षों से भारी वाहन का आवागमन बंद होने से यहां के ट्रांसपोर्ट जगत को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. जो कुछ बचा था वह कोरोना संक्रमण ने ट्रक मालिकों को तबाह होने के कगार पहुंचा दिया है. लॉकडाउन में ट्रक खड़े हो जाने से ट्रक मालिक किश्तें नहीं भर पा रहे हैं. जिसके चलते यहां के वाहन मालिक लगभग 1000 ट्रक सरेंडर कर चुके हैं.

मिर्जापुर में खड़े ट्रक.
मिर्जापुर में खड़े ट्रक.
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Published : Nov 3, 2020, 12:34 PM IST

मिर्जापुरः मिर्जापुर ट्रांसपोर्ट जगत का एक बड़ा हब है. यहां के ट्रक ज्यादातर खनन, बालू और सीमेंट के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. पत्थर गिट्टी का व्यवसाय होने के कारण यहां के अधिकतर लोग ट्रांसपोर्ट का धंधा करते हैं. इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है, लेकिन लगभग सालों से शास्त्री सेतु पर भारी वाहनों का आवागमन बाधित होने के कारण ट्रक मालिक परेशान चल रहे थे. इस बीच कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में ट्रक खड़े हो जाने और किश्त टूट जाने से अब ट्रक चलवाना मुश्किल हो रहा है. इसके चलते ट्रक सरेंडर कर रहे हैं या घर पर खड़े कर दिए हैं.

मिर्जापुर में ट्रक मालिकों की हालत दयनीय.
यहां के ट्रक पत्थर-गिट्टी करते हैं लोडमिर्जापुर में पत्थर का कारोबार सबसे ज्यादा होता है. यहां की गिट्टी-पटिया प्रदेश के कई जनपदों में जाती है. शास्त्री सेतु पर भारी वाहन बंद होने से गाड़ियां वाराणसी से औराई पहुंचती है, जिसकी वजह से खर्च ज्यादा आ रहा है. इस बीच कोरोना संक्रमण आ जाने से लगे लॉकडाउन में वाहनों का संचालन ठप होने से किश्त टूट गई और ट्रकों की किश्त पर ब्याज बढ़ता गया. इसके चलते वाहन मालिकों पर किश्त का बोझ अचानक बढ़ गया. मजबूरन ट्रक मालिकों ने अपने वाहन सरेंडर कर दिए. जनपद में लगभग 1000 ट्रक सरेंडर किए गए हैं और 500 ट्रक घरों पर खड़े हैं. अब इन ट्रक मालिकों को ट्रक चलवाना मुश्किल हो रहा है.बैंकों ने नहीं दिया मोटोरियम का लाभअधिकतर ट्रक मालिक 30 से 40 लाख रुपये वाले वाहनों में तीस प्रतिशत तक जमाकर बाकी फाइनेंस कराया था. इसकी किश्त 50 से 80 हजार आ रही है. लॉकडाउन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मोटोरियम का लाभ लोन लेने वाले लोगों को देने को कहा था.बैंकों को निर्देशित किया था कि कोई भी बैंक 6 महीने तक किसी से किश्त नहीं लेगा और चक्रवृद्धि ब्याज भी नहीं लेगा. कुछ बैंकों ने इसका पालन किया, जबकि अधिकतर बैंक इसको अनसुना कर पूरे ब्याज सहित किश्त वसूल रहे हैं.शास्त्री सेतु पर भारी वाहनों का आवागमन शुरू करने की मांगशास्त्री सेतु लाइफ लाइन कहा जाता है. मध्य प्रदेश के साथ प्रयागराज, भदोही, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र जैसे जगहों पर जाने के लिए मात्र यही एक सेतु है. इस सेतु पर लगभग 2 वर्षों से भारी वाहन की रोक लगी है. इसके चलते वाराणसी टेंगरा मोड़ से जाने पर खर्च के साथ समय ज्यादा लग रहा है. ट्रक मालिकों की मांग है कि चुनार और भटौली नए पुल की सड़कों का एक से 2 मीटर चौड़ीकरण कर दिया जाए और बड़े वाहनों को आने-जाने की अनुमति दे दिया जाए, तो यहां के वाहन मालिक फिर से जीवित हो जाएंगे और अपना कारोबार फिर से शुरू कर देंगे.

किश्त के लिए सरकार दे छूट
ट्रक मालिकों ने बताया कि यहां का मेन व्यवसाय गिट्टी-पत्थर है. हमारे ट्रक उसी में चलते हैं, लेकिन शास्त्री सेतु और कोरोना के चलते पूरी तरह से धंधा चौपट हो गया है. ट्रक जगह-जगह खड़े हैं. फाइनेंसर वाले परेशान कर रहे हैं. लोगों ने मजबूरी में कुछ ट्रकों को सरेंडर कर दिया है और कुछ के चक्के खोलकर दरवाजे पर खड़े कर दिए हैं. इक्का-दुक्का ट्रक जो बचे हैं, उसी में चक्का लगाकर काम कर रहे हैं. ट्रक मालिकों ने कहा कि सरकार किश्त के लिए छूट दे, जिससे हम लोगों को राहत मिले.

मिर्जापुरः मिर्जापुर ट्रांसपोर्ट जगत का एक बड़ा हब है. यहां के ट्रक ज्यादातर खनन, बालू और सीमेंट के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. पत्थर गिट्टी का व्यवसाय होने के कारण यहां के अधिकतर लोग ट्रांसपोर्ट का धंधा करते हैं. इसी से उनकी रोजी-रोटी चलती है, लेकिन लगभग सालों से शास्त्री सेतु पर भारी वाहनों का आवागमन बाधित होने के कारण ट्रक मालिक परेशान चल रहे थे. इस बीच कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में ट्रक खड़े हो जाने और किश्त टूट जाने से अब ट्रक चलवाना मुश्किल हो रहा है. इसके चलते ट्रक सरेंडर कर रहे हैं या घर पर खड़े कर दिए हैं.

मिर्जापुर में ट्रक मालिकों की हालत दयनीय.
यहां के ट्रक पत्थर-गिट्टी करते हैं लोडमिर्जापुर में पत्थर का कारोबार सबसे ज्यादा होता है. यहां की गिट्टी-पटिया प्रदेश के कई जनपदों में जाती है. शास्त्री सेतु पर भारी वाहन बंद होने से गाड़ियां वाराणसी से औराई पहुंचती है, जिसकी वजह से खर्च ज्यादा आ रहा है. इस बीच कोरोना संक्रमण आ जाने से लगे लॉकडाउन में वाहनों का संचालन ठप होने से किश्त टूट गई और ट्रकों की किश्त पर ब्याज बढ़ता गया. इसके चलते वाहन मालिकों पर किश्त का बोझ अचानक बढ़ गया. मजबूरन ट्रक मालिकों ने अपने वाहन सरेंडर कर दिए. जनपद में लगभग 1000 ट्रक सरेंडर किए गए हैं और 500 ट्रक घरों पर खड़े हैं. अब इन ट्रक मालिकों को ट्रक चलवाना मुश्किल हो रहा है.बैंकों ने नहीं दिया मोटोरियम का लाभअधिकतर ट्रक मालिक 30 से 40 लाख रुपये वाले वाहनों में तीस प्रतिशत तक जमाकर बाकी फाइनेंस कराया था. इसकी किश्त 50 से 80 हजार आ रही है. लॉकडाउन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मोटोरियम का लाभ लोन लेने वाले लोगों को देने को कहा था.बैंकों को निर्देशित किया था कि कोई भी बैंक 6 महीने तक किसी से किश्त नहीं लेगा और चक्रवृद्धि ब्याज भी नहीं लेगा. कुछ बैंकों ने इसका पालन किया, जबकि अधिकतर बैंक इसको अनसुना कर पूरे ब्याज सहित किश्त वसूल रहे हैं.शास्त्री सेतु पर भारी वाहनों का आवागमन शुरू करने की मांगशास्त्री सेतु लाइफ लाइन कहा जाता है. मध्य प्रदेश के साथ प्रयागराज, भदोही, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र जैसे जगहों पर जाने के लिए मात्र यही एक सेतु है. इस सेतु पर लगभग 2 वर्षों से भारी वाहन की रोक लगी है. इसके चलते वाराणसी टेंगरा मोड़ से जाने पर खर्च के साथ समय ज्यादा लग रहा है. ट्रक मालिकों की मांग है कि चुनार और भटौली नए पुल की सड़कों का एक से 2 मीटर चौड़ीकरण कर दिया जाए और बड़े वाहनों को आने-जाने की अनुमति दे दिया जाए, तो यहां के वाहन मालिक फिर से जीवित हो जाएंगे और अपना कारोबार फिर से शुरू कर देंगे.

किश्त के लिए सरकार दे छूट
ट्रक मालिकों ने बताया कि यहां का मेन व्यवसाय गिट्टी-पत्थर है. हमारे ट्रक उसी में चलते हैं, लेकिन शास्त्री सेतु और कोरोना के चलते पूरी तरह से धंधा चौपट हो गया है. ट्रक जगह-जगह खड़े हैं. फाइनेंसर वाले परेशान कर रहे हैं. लोगों ने मजबूरी में कुछ ट्रकों को सरेंडर कर दिया है और कुछ के चक्के खोलकर दरवाजे पर खड़े कर दिए हैं. इक्का-दुक्का ट्रक जो बचे हैं, उसी में चक्का लगाकर काम कर रहे हैं. ट्रक मालिकों ने कहा कि सरकार किश्त के लिए छूट दे, जिससे हम लोगों को राहत मिले.

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