ETV Bharat / state

तृतीय नवरात्रि: मां चंद्रघंटा की आराधना से मिलती है पापों से मुक्ति, जानिए कैसे होती है पूजा-अर्चना

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के विंध्याचल धाम में मां चंद्रघंटा की पूजा और आराधना की गई. मां दुर्गा का तीसरा रूप शक्ति का रूप है जिससे भक्तों के कष्टों का निवारण होता है. मां के धाम में भक्तों की हजारों की संख्या में उमड़ी.

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की अराधना
author img

By

Published : Oct 1, 2019, 12:24 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST

मिर्जापुर: नौ दिन के नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा के अनेक रूप देखने को मिलते हैं. वहीं नवरात्रि के तीसरे दिन विंध्याचल धाम में मां चंद्रघंटा के स्वरूप की आराधना की गई. मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया.

नवरात्रि के तीसरे दिन दर्शन के लिए उमड़े भक्त.

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।।

जाने क्यों जाना जाता है मां को चंद्रघंटा के नाम से...
चंद्रघंटा मां का रूप परम शक्ति दायक और कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है, जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ जो कि विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत रहते हैं. भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है. जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है वह संसार में यश कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है.

इसे भी पढ़ें:- तृतीय नवरात्रि: मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग

...मिलती है भक्तों को पापों और कष्टों से मुक्ति

माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्तों को जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है और लोक-परलोक में कल्याण प्रदान होता है. मां भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख, संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं. मनुष्यों को निरंतर माता चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना करना चाहिए. इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मानपूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए. वहीं महिलाओं को कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट प्रदान करना चाहिए. इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है.

मिर्जापुर: नौ दिन के नवरात्रि के अवसर पर मां दुर्गा के अनेक रूप देखने को मिलते हैं. वहीं नवरात्रि के तीसरे दिन विंध्याचल धाम में मां चंद्रघंटा के स्वरूप की आराधना की गई. मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया.

नवरात्रि के तीसरे दिन दर्शन के लिए उमड़े भक्त.

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।।

जाने क्यों जाना जाता है मां को चंद्रघंटा के नाम से...
चंद्रघंटा मां का रूप परम शक्ति दायक और कल्याणकारी है. माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है. माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है, जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ जो कि विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं. सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत रहते हैं. भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है. जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है वह संसार में यश कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है.

इसे भी पढ़ें:- तृतीय नवरात्रि: मां चंद्रघंटा की पूजा से बढ़ती है शक्ति और वीरता, जानें पूजा विधि, मंत्र और भोग

...मिलती है भक्तों को पापों और कष्टों से मुक्ति

माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना से भक्तों को जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है और लोक-परलोक में कल्याण प्रदान होता है. मां भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु, सुख, संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं. मनुष्यों को निरंतर माता चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना करना चाहिए. इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मानपूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए. वहीं महिलाओं को कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट प्रदान करना चाहिए. इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है.

Intro:मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में नवरात्र के तीसरे दिन मां विंध्यवासिनी के चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना की गई ।मां की मंगला आरती के बाद भक्तों को मां का दर्शन मिलना शुरू हो गया मां दुर्गा की नौ शक्तियों की तीसरी स्वरूपा भगवती चंद्रघंटा की पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है माता के माथे पर घंटे आकार का अर्धचंद्र है जिसके कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। सुबह से ही भक्तों का ताता लगा हुआ है भक्तों मां का दर्शन पूजन कर रहे हैं और अपनी मनोकामना मां से कर रहे हैं


Body:चंद्रघंटा मां का रूप परम शक्ति दायक और कल्याणकारी है माता का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल है। इनका वाहन सिंह है और इनके दस हाथ है जो कि विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित रहते हैं सिंह पर सवार मां चंद्रघंटा का रूप युद्ध के लिए उद्धत दिखता है और उनके घंटे की प्रचंड ध्वनि से असुर और राक्षस भयभीत रहते हैं भगवती चंद्रघंटा की उपासना करने से उपासक आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त करता है और जो श्रद्धालु इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक दुर्गा सप्तमी का पाठ करता है वह संसार में यश कीर्ति एवं सम्मान को प्राप्त करता है माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना भक्तों को सभी जन्मों के कष्टों और पापों से मुक्त कर इस लोक और परलोक में कल्याण प्रदान करती है और भगवती अपने दोनों हाथों से साधकों को चिरायु सुख संपदा और रोगों से मुक्त होने का वरदान देती हैं मनुष्य निरंतर माता चंद्रघंटा के पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की और अग्रसर होने का प्रयास करना चाहिए और इस दिन महिलाओं को घर पर बुलाकर आदर सम्मान पूर्वक उन्हें भोजन कराना चाहिए और कलश या मंदिर की घंटी उन्हें भेंट प्रदान करना चाहिए इससे भक्त पर सदा भगवती की कृपा दृष्टि बनी रहती है।

Bite-स्वाति भक्त
Bite- राजन गुरु-तीर्थ पुरोहित

जय प्रकाश सिंह
मिर्ज़ापुर
9453881630


Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.